Ladakhi Woman Who Kept Kargil AIR Station Running During Kargil War: आज से 23 साल पहले लद्धाख की कारगिल पहाड़ियों पर भारत ने पाकिस्तान के संग ऐतिहासिक जंग लड़ी थी. इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई जब पाक सैनिकों ने कारगिल की पहाड़ियों पर घुसपैठ की और अपना ठिकाना बनाया. फिर क्या था, जब भारतीय सेना को इसकी जानकारी हुई, तो पाकिस्तानी सैनिकों को वहां से भगाकर भारतीय तिरंगा फहरा दिया.
आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं ये आर्टिकल (Ladakhi Woman Who Kept Kargil AIR Station Running During Kargil War).
जवानों की मदद के लिये ज़रूरी घोषणा
Ladakhi Woman Who Kept Kargil AIR Station Running During Kargil War : हम जिस महिला की बात कर रहे हैं उनका नाम शेरिंग अंग्मो शुनु है. शेरिंग ऑल इंडिया रेडियो कारगिल की स्टेशन डायरेक्टर थीं. इन्होंने न सिर्फ़ युद्ध के दौरान रेडियो स्टेशन का प्रसारण जारी रखा, बल्कि जवानों की मदद के लिए ज़रूरी घोषणाएं भी की. दरअसल, कर्नल विनय दत्ता ने शेरिंग को कहा था कि युद्ध में लड़ने वाले जवानों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भर्ती की जा रही है, क्योंकि, पहाड़ों में सड़कें नहीं थी और भारतीय सैनिकों के पास गोला-बारूद, भोजन और अन्य ज़रूरत की चीज़ों को ढोने के लिए कुली या खच्चर नहीं थे.
बेटे को जवानों की मदद के लिए आगे भेजा
शेरिंग अंग्मो शुनु ने न सिर्फ़ रेडिया स्टेशन संभाला बल्कि भारतीय जवानों की मदद के लिए अपने 18 साल के बेटे को वॉलंटियर भी बनाया था. उनके बेटे इस काम के लिए डर रहे थे, लेकिन शेरिंग ने उन्हें मना लिया था. चार दिन के अंदर शेरिंग के बेटे सहित 200 लद्दाखी वॉलंटियर तैयार हो गए थे. इनमें 10 से 35 साल के युवक शामिल थे.
जवानों की मदद करते रहे
Ladakhi Woman Who Kept Kargil AIR Station Running During Kargil War : इन वॉलंटियर्स ने लगातार दो महीनों तक भारतीय जवानों की मदद की. ज़रूरत के सामानों को वो पैदल ही भारतीय सैनिकों तक पहुंचाते रहे. इन वॉलंटियर्स ने बटालिक-यलदोर-चोरबत ला सेक्टर जैसे संवेदनशिल इलाक़ों में तैनात भारतीय सेना की भी मदद की थी. हालांकि, इनके काम के लिए इन्हें वेतन भी दिया जाता था, लेकिन ये वॉलंटियर्स राष्ट्रप्रेम के लिए काम कर रहे थे. इन वॉलंटियर्स ने देश के लिए शहीद हुए जवानों और घायल सैनिकों को निकालने में भी काफ़ी मदद की.
भारी गोलाबारी के बीच जारी रखा प्रसारण
बेटर इंडिया से बात करते हुए शेरिंग अंग्मो शुनु बताती हैं कि, “ऑल इंडिया रेडियो कारगिल स्टेशन के पास लगातार गोलाबारी होती थी. जिस वक़्त गोलीबारी होती, हम 15 किमी दूर एक गांव में भागकर चले जाते थे. हमने वहां एक कमरा किराये पर ले लिया था और हम सब कर्मचारी फ़र्श पर ही सो जाया करते थे. वहीं, जब गोलाबारी शांत होती, हम फिर प्रसारण लिए वापस स्टेशन लौट आते थे.”
कई कर्मचारी जान बचाकर भाग गए थे
Ladakhi Woman Who Kept Kargil AIR Station Running During Kargil War : शेरिंग ने आगे बताया कि स्टेशन परिसर में भी पाकिस्तानी गोले गिरे थे. वहीं, मेरे कई साथी अपनी जान बचाकर वहां से भाग गए थे, लेकिन मैंने प्रसारण बंद नहीं होने दिया. वहीं, कभी-कभी रेडियो स्टेशन की तकनीकी टीम काम करने से मना कर देती, इसलिए कई बार मुझे सेना के टेक्निशियन की मदद लेनी पड़ी.”