जानिए आज़ादी की लड़ाई में गांधी जी का सहारा बनने वाली ‘लाठी’ उन्हें किसने दी थी और अब वो कहां है

Abhay Sinha

Mahatma Gandhi Iconic Lathi Story: महात्मा गांधी की तस्वीर हो या वीडियो, जब भी आपकी नज़र उन पर पड़ेगी तो उनके हाथ में लाठी ज़रूर नज़र आती है. गांधी जी हमेशा चलते वक़्त लाठी अपने साथ रखते थे. मगर आपने कभी सोचा है कि आख़िर गांधी जी के पास ये लाठी कहां से और कब से आई. साथ ही, गांधी जी की लाठी अब कहां पर है.

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1930 में गांधी को मिली लाठी

यूं तो गांधी जी साल 1915 में ही भारत आ गए थे, मगर उस वक़्त वो लाठी लेकर नहीं चलते थे. गांधी जी का लाठी के साथ सफ़र साल 1930 में नमक कानून तोड़ने के साथ शुरू हुआ था.

दरअसल, जब ऐतिहासिक दांडी मार्च के लिए गांधी जी अहमदाबाद के अपने साबरमती आश्रम से निकलने वाले थे, तब उनके सहकर्मी और दोस्त काका कालेलकर ने गांधी को लाठी दी. वजह थी कि 240 मील लंबा सफ़र पैदल तय करना था और कोई चीज़ सपोर्ट के लिए चाहिए थी.

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ये लाठी ‘नागारा बेथा’ ( कैलमस नागबेटाई) प्रजाति की थी. इसकी हर गांठ पर प्राकृतिक तौर पर काला धब्बा होता है.बांस की ये ख़ास किस्म केवल तटीय कर्नाटक के मलनाड में उगती है.

गांधी जी से पहले कन्नड़ कवि के पास रही ये लाठी

गांधी जी को जो लाठी काका कालेकर ने सौंपी थी, वो अन्य लोगों के हाथों में होकर उन तक पहुंची थी. दरअसल, सबसे पहले इस लाठी का इस्तेमाल प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एम गोविंद पई करते थे, जो कर्नाटक में मंगलुरु के पास मंजेश्वर गांव में रहते थे. पई अपने समय के विख्यात कवि, लेखक और शोधार्थी थे. वो एक कट्टर राष्ट्रवादी थे. अपने लेखन के ज़रिए उन्होंने छुआछूत जैसी कुरीतियों का विरोध किया.

गांधी जी से प्रभावित होकर पई 30 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय शिक्षा में अपनी सेवाएं देने के लिए गुजरात के नवसारी आ गए. यहीं पई की मुलाकात प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और विद्वान काका कालेलकर से हुई, जो वहां प्रिंसिपल थे. दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी.

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स्कूल छोड़ते वक़्त पई ने ही कालेलकर को उपहार में वो छड़ी दी, जो उन्हें उनके दादा ने इस्तेमाल की थी. बाद कालेलकर ने इसे गांधी जी को दिया.

लाठी बनी आंदोलन का प्रतीक

दांडी के बाद लाठी आंदोलन का प्रतीक बन गई थी. गांधी जी के पास हमेशा लाठी रहती थी. कभी-कभी छोटे बच्चे लाठी का मुठ पकड़ कर उनके साथ चलते थे. हालांकि गांधी जी ने अपने पूरे लाइफ़ में अलग-अलग लाठियों का इस्तेमाल किया.

लाठी गांधी जी के पास 30 जनवरी 1948 तक रही उनकी हत्या के बाद ये लाठी नई दिल्ली के राजघाट स्थित राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय में रखी है.

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