सम्राट अशोक के शिलालेख ‘संस्कृत’ में क्यों नहीं लिखे गए और उन पर ‘पियादसी’ क्यों लिखा गया था?

Nripendra

Samrat Ashoka Stone Edict : भारतीय इतिहास के सबसे महान राजाओं में से एक थे सम्राट अशोक. ये मौर्य वंश के ऐसे चक्रवर्ती सम्राट थे जिनका शासन देश के दोनों सिरो पर था. मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वार की गई थी. वहीं, इस साम्राज्य का विस्तार राजा बिंदुसार के हाथों हुआ था, जो कि सम्राट अशोक के पिता थे. सम्राट अशोक अपने समाज के लिए किए गए काम और बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जाने गए. 

वहीं, उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जगह-जगह शिलालेख भी लगवाए थे, जिनपर बौद्ध धर्म से जुड़े उपदेश अंकित होते थे. लेकिन, उनके द्वारा लगाए गए कई शिलालेख पर पियादसी शब्द भी मिलता है. आख़िर क्यों सम्राट अशोक के शिलालेख पर लिखवाया गया था पियादसी, जानिए इस लेख में. साथ में ये भी जानिए कि अशोक के शिलालेख में संस्कृति भाषा का प्रयोग क्यों नहीं किया गया था. 

पियादसी (Samrat Ashoka Stone Edict) के बारे में जानने से पहले आइये, जान लेते हैं सम्राट अशोक से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें. 

क्यों सम्राट अशोक में अपनाया था बौद्ध धर्म?  

medium

पिता बिंदुसार की मृत्यु के बाद जब सम्राट अशोक ने जब साम्राज्य की बागडोर संभाली, तो उन्होंने राज्य विस्तार के उद्देश्य से कई बड़ी लड़ाइयां लड़ीं. इनमें एक सबसे भयंकर युद्ध कलिंग (ओड़िशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश का क्षेत्र) का था. कहते हैं कि इस युद्ध में एक से तीन लाख की संख्या में मौते हुई थीं. इस युद्ध के बाद जब उन्होंने अपने चारों तरफ़ इंसानों की कटी लाशें व स्त्रियों की चित्कार सुनी, तो वो काफ़ी ज़्यादा अंदर से दुखी हुए और उसी क्षण युद्ध न लड़ने की कसम खाई और बौद्ध धर्म अपना लिया

अपने रॉक एडिक्ट 13 में उन्होंने लिखा था कि वो इस युद्ध में की गईं हत्याओं और युद्ध बंदियों के देश निकाले को लेकर काफ़ी दुखी थे. इसके बाद उन्होंने साम्राज्य की हिंसक विदेशी नीति को शांंतिपूर्ण नीति में बदल दिया था. वहीं, उनके चौथे शिलालेख में उन्होंने लिखवाया था कि उनके राज्य में युद्ध के ढोल की जगह अब नैतिकता ने जगह ले ली है.

पत्थरों के स्तंभों पर संदेश  

gujarattourism

जैसा कि हमने बताया कि कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक का पूरी तरह मन परिवर्तन हो गया था. उन्होंने बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को बड़े-बड़े पत्थरों के स्तंभों पर लिखवाने का फैसला किया. चक्रवर्ती सम्राट अशोक चाहते थे कि ये संदेश भविष्य की पीढ़ी भी पढ़े. ये संदेश पत्थरों (Samrat Ashoka Stone Edict) पर लिखवाए गए थे, ताकि ये लंबे समय तक इसी तरह बने रहें. ये काम उन्होंने साम्राज्य के चारों ओर और व्यापारिक मार्गों पर भी किया. 

संस्कृत में नहीं लिखवाए संदेश 

reddit

उन्होंने शिलालेख पर संदेश (Samrat Ashoka Stone Edict) संस्कृत में न लिखवाकर ब्राह्मी और खरोष्ठी जैसी स्थानीय बोलियों में लिखवाया, ताकि उन्हें आसानी से समझा जा सके. वहीं, उन्होंने बौद्ध संदेश ग्रीक और अरामी भाषा में भी लिखवाए थे (अफ़गानिस्तान में) . इस तरह उन्होंने अलग-अलग धर्मों के सम्मान को भी बढ़ावा दिया. इसके साथ ही उन्होंने पशुओं के शिकार पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. वो एक वन्यजीव सरंक्षक बन गए थे. उन्होंने बड़े स्तर पर बाग लगवाए, तालाब खुदवाए व सड़क किनारे आश्रय भी बनवाए. इंसानों के साथ-साथ जानवरों को छाया मिल सके, इसलिए उन्होंने बरगद के पेड़ भी लगवाए.

ये भी पढ़ें : सम्राट अशोक और उसके 9 बेमिसाल रत्न जो आज भी एक रहस्य से कम नहीं हैं…  

पियादसी

wikipedia

कहते हैं कि शुरू के शिलालेखों में कहीं भी सम्राट अशोक का उल्लेख नहीं था, इसलिए पहले कोई नहीं जान पाया था कि ये सम्राट अशोक द्वारा ही बनवाए गए हैं. शिलालेखों में पियादसी का उल्लेख था, जिसका मतलब था ‘देवताओं का प्रिय’. कहते हैं कि ये समझने में 7 दशक का समय लगा कि सम्राट अशोक ही ‘पियादसी’ थे. इस बात का पता 1915 में मिले सम्राट अशोक के एक शिलालेख से चला, जिसमें स्वयं अशोक ने ख़ुद को ‘अशोक पियादसी’ कहा था. आज भी सम्राट अशोक के शिलालेख भारतवर्ष में मिल जाएंगे, जबकि कई समय के साथ नष्ट हो चुके हैं.  

ये भी पढ़ें : भारत का वो महान राजा, जिसने बिना किसी ख़ून-ख़राबे के 500 हाथियों से जीता था अफ़ग़ानिस्तान      

आपको ये भी पसंद आएगा
मुगल सम्राट जहांगीर ने बनवाया था दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्का, जानें कितना वजन था और अब कहां हैं
जब नहीं थीं बर्फ़ की मशीनें, उस ज़माने में ड्रिंक्स में कैसे Ice Cubes मिलाते थे राजा-महाराजा?
Old Photos Of Palestine & Israel: 12 तस्वीरों में देखें 90 साल पहले कैसा था इज़रायल और फ़िलिस्तीन
जानिए आज़ादी की लड़ाई में गांधी जी का सहारा बनने वाली ‘लाठी’ उन्हें किसने दी थी और अब वो कहां है
भारत का वो ‘बैंक’ जिसमें थे देश के कई क्रांतिकारियों के अकाउंट, लाला लाजपत राय थे पहले ग्राहक
आज़ादी से पहले के ये 7 आइकॉनिक भारतीय ब्रांड, जो आज भी देश में ‘नंबर वन’ बने हुए हैं