जानिए कौन थे ‘Sir Gangaram’ जिनके नाम का अस्पताल भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बनाया गया है

Nripendra

Sir Ganga Ram History in Hindi: भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी तो मिली, लेकिन भारत को अपना हिस्सा गवाना पड़ा, जो पाकिस्तान के नाम से एक अलग देश बना. वहीं, जब देश का बंटवारा हुआ, तो लोगों को अपने पैतृक निवास अपनी संपत्ती छोड़कर जाना पड़ा. इनमें आम देशवासियों के अलावा देश के अमीर घराने भी शामिल थे. 

आज भी पाकिस्तान में विरासतों के रूप में कई भारतीयों के घर व इमारतें मौजूद हैं, जबकि कई समय के साथ नष्ट हो गईं.  

इस लेख के ज़रिये हम भारतीय इतिहास के उस शख़्स (Sir Ganga Ram History in Hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके नाम की विरासत भारत और पाकिस्तान में आज भी मौजूद हैं. 

सर गंगाराम

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Sir Ganga Ram History in Hindi: हम जिनके बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनका नाम है सर गंगाराम, जो अपने वक़्त के एक बड़े इंजीनियर और समाजसेवी थे. गंगाराम का जन्म (1851) लाहौर से क़रीब 64 किमी दूरी पर स्थित मांगतावाला गांव में हुआ था. उनके पिता पहले उत्तर प्रदेश में रहते थे, फिर वो लाहौर आ गए और पुलिस विभाग में जूनियर इंस्पेक्टर के तौर पर काम करने लगे. 

इसके बाद गंगाराम का परिवार अमृतसर शिफ़्ट हो गया, जहां गंगाराम में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई लाहौर गवर्नमेंट कॉलेज से पूरी की. वहीं, उन्हें थॉमसन इंजीनियरिंग कॉलेज (रुड़की, उत्तराखंड) में के लिए स्कॉलरशिप मिली. 50 रुपये की स्कॉलरशिप में आधे पैसे घर भेज दिया करते थे. 

बने शीर्ष सिविल इंजीनियर

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Sir Ganga Ram History in Hindi: इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उस वक़्त के लाहौर के चीफ़ इंजीनियर राय बहादुर कन्हैया के अंडर इंटर्नशिप पूरी की. इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन के वो वहां के नामी शीर्ष सिविल इंजीनियर बन गए. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग से लाहौर शहर को आकार देना शुरू किया. 

सर गंगाराम ने लाहौर म्यूज़ियम, नेशनल कॉलेज ऑफ़ ऑर्ट्स, द एचिसन कॉलेज, मुख्य डाकघर जैसी इमारतों को डिज़ाइन देने के साथ-साथ उनका निर्माण करवाया.

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किए कई बड़े काम  

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रिटायर होने के बाद वो पंजाब अपने गांव आए. उनकी कार्य के लिए सरकार ने उन्हें चेनाब कॉलोनी में ज़मीन थी. यहां उन्होंने आधुनिक सिंचाई सुविधा वाले गांव एक आदर्श गांव का नींव रखी, जो गंगापुर के नाम से जाना गया. साथ ही रेलेवे स्टेशन से गांव को जोड़ने के लिए परिवहन व्यवस्था का निर्माण भी किया. 

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इसके अलावा उन्होंने रेलाना खुर्द में जलविद्युत परियोजना स्थापित की. 

समाज सेवा में योगदान 

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Sir Ganga Ram History in Hindi: ब ‘हार्वेस्ट फ्रॉम द डेजर्ट: द लाइफ़ एंड वर्क ऑफ़ सर गंगा राम’ नामक किताब के अनुसार, उन्होंने हिन्दू समाज में विधवाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाई. साथ ही धार्मिक बैठकों में विधवाओं के पुनर्विवाह के प्रस्ताव को पास करने की भी मांग की. हालांकि, ये  हो न सका. 

आगे चलकर उन्होंने सरकार की अनुमति से 1921 में ढाई लाख की लागत से विधवाओं के लिए एक आश्रम बनवाया था, जिसमें दो स्कूल और एक छात्रावास भी था. हालांकि, इससे पहले वो विधवा विवाह संघ की स्थापना कर चुके थे, लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि बहुत-सी विधवाएं फिर से शादी करने के लिहाज से उम्रदराज हो चुकी थीं और कई अपनी मर्जी से दोबारा से शादी नहीं करना चाहती थीं. 

वहीं, उन्होंने अपनी दो एकड़ ज़मीन पर एक हिन्दू अपाहिज आश्रम की स्थापना भी की थी. 

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मुफ़्त अस्तपताल की स्थापना 

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Sir Ganga Ram History in Hindi: 1923 में सर गंगाराम ट्रस्ट की नींव रखी गई और इस ट्रस्ट ने लाहौर शहर में मुफ़्त अस्पताल और डिस्पेंसरी की स्थापना की, जो आगे चलकर अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस अस्पताल के रूप में उभरा. 

निधन के बाद पार्थिव शरीर की राख लाहौर लाई गई 

1927 में लंदन में उनका निधन हुआ था और उनके पार्थिव शरीर की राख के कुछ हिस्से को लाहौर लाया गया था और अपाहिज आश्रम के पास दफना दिया गया, जो कि उनकी इच्छा थी. यहां आज भी सर गंगाराम की समाधि देखी जा सकती है. 

वहीं, जब देश का विभाजन हुआ, तो गंगाराम का परिवार पाकिस्तान के लाहौर से दिल्ली आ गया. दिल्ली में भी Sir Ganga Ram Hospital मौजूद है. 

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