जानिए क्यों महाराजा हरि सिंह को न चाहते हुए भी भारत में कश्मीर के विलय के लिए राज़ी होना पड़ा था

Nripendra

Story of Kashmir merger with India in Hindi: आज का अखंड भारत कभी 565 रियासतों में बंटा हुआ था. अलग-अलग रियासतें जो छोटे-बड़े राजाओं के नियंत्रण में थीं. वहीं, जब भारत अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद हुआ, तो आज़ाद भारत के पास सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि इन रियासतों का विलय कैसे किया जाये. 

इस काम की ज़िम्मेदारी भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल पर थी. धीरे-धीरे सभी रिसायतों के विलय का काम शुरु हुआ, लेकिन अंत में कुछ रिसायतों ने विलय के लिए इंकार कर दिया था. इसमें जम्मू और कश्मीर की रिसायत भी शामिल थी. 

जम्मू-कश्मीर का विलय उतना आसान नहीं था, इसके पीछे एक बड़ी ऐतिहासिक लड़ाई शामिल है. 

आइये, इस ख़ास लेख में जानते हैं कि न चाहते हुए भी जम्मू-कश्मीर (Story of Kashmir merger with India in Hindi) के राजा हरि सिंह अपनी रियासत को भारत में विलय के लिये क्यों तैयार हो गए थे.    

क्यों कश्मीर के भारत में विलय के खिलाफ़ थे राजा हरि सिंह? 

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Story of Kashmir merger with India in Hindi: जहां अधिकतर रियासतें आसानी से भारत में विलय के लिये तैयार हो गईं थी, तो वहीं कुछ रियासतें स्वतंत्र होना चाहती थी यानी न भारत का हिस्सा और न ही पाकिस्तान. जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह भी यही चाहते थे. पाकिस्तान की भी नज़र कश्मीर पर थी और वो भी यही चाहता था कि कश्मीर पर उसका ही नियंत्रण हो. उस दौरान इस रियासत की तीन-चौथाई आबादी मुस्लिम समुदाय की थी, लेकिन महाराजा हिन्दू थे. BBC के अनुसार, बंटवारे और सांप्रादायिक तनाव की वजह से उनके लिये पाकिस्तान में शामिल होना मुस्किल था, इसलिये वो अपनी रियासत के लोगों के साथ स्वतंत्र होने पर ज़ोर दे रहे थे.  

भारत की आज़ादी तक फैसला नहीं ले पाये थे हरि सिंह

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जैसा कि हमने बताया कि राजा हरि सिंह अपने राज्य को स्वतंत्र करना चाहते थे, इसलिए भारत में विलय के प्रस्ताव के बावजूद वो फैसला लेने में धीमी गति से आगे बढ़ रहे थे. भारत की आज़ादी यानी 15 अगस्त 1947 तक भी वो फैसला नहीं ले पाए थे. 

क़बायली लड़ाकों का आक्रमण

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Story of Kashmir merger with India in Hindi: कश्मीर के भारत में विलय के पीछे क़बायली लड़ाकों के आक्रमण (Kabali tribal invasion of Kashmir) एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है. शुरुआत में राजा हरि सिंह भारत और पाकिस्तान के साथ स्वतंत्र और हस्ताक्षर समझौते पर बने रहना चाहते थे और पाकिस्तान ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए थे, लेकिन इस बीच कश्मीर पर क़बायली लड़ाकों ने आक्रमण कर दिया और इसके लिये राजा हरि सिंह को भारत से मदद मांगनी पड़ी थी. वहीं, इन लड़ाकों का पाकिस्तान की नई सरकार और सेना का पूरा समर्थन प्राप्त था. यहां तक कि पाकिस्तान इन्हें हथियार भी दे रहा था. 

भारत में विलय का प्रस्ताव 

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Story of Kashmir merger with India in Hindi: पाकिस्तान से आये क़बायली लड़ाकों के आक्रमण की वजह से राजा हरि सिंह ने विलय का फ़ैसला किया था. राजा हरि सिंह द्वारा भारत से मदद की मांगने के बदले कश्मीर का भारत में विलय का प्रस्ताव रखा गया. वहीं, 26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसेशन’ पर हस्ताक्षर किए, जिसे लॉर्ड माउंटबेटन ने 27 अक्टूबर 1947 को स्वीकार कर लिया था. 

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