बाघ हाज़रिका: अहोम सेना का वो बहादुर योद्धा, जिसने सूझ-बूझ से गुवाहाटी युद्ध में मुग़लों को चटाई थी धूल

Kratika Nigam

Warrior Bagh Hazarika: 1671 में हुए सरायघाट के युद्ध में बहुत से लोग अहोम सेनापति लाचित बरफुकन को तो जानते होंगे, जिन्होंने मुग़ल सेना के ख़िलाफ़ अहोम सेना का नेतृत्व किया और उन्हें हराया, लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो उनके सात मैदान में मुग्लों के क़िलाफ़ लड़ रहे इस्माइल सिद्दीक़ी के बारे में जानते हों, जिन्हें बाघ हज़ारिका नाम दिया गया था. मुग़लों का पूर्वोत्र में वर्चस्व बढ़ाने की हिम्मत ने अहोम सेना और मुग़लों में समय-समय पर लड़ाई छेड़ी. ये लड़ाई 5 दशकों से चली आ रही थी, जो 1615 में दोनों को युद्ध के मैदान में खींच लाई.

Image Source: telegraphindia

1661 में बंगाल के गवर्नर मीर जुमला ने गुवाहाटी सहित एक बड़े इलाके पर अपना कब्ज़ा कर लिया था. मुग़लों और अहोम सेना की लड़ाई के बीच एक योद्धा खड़ा था, जिनका इस्माइल सिद्दीक़ी था.

चलिए, इस्माइल सिद्दीक़ी के बारे में, जिन्होंने गुवाहाटी को कब्ज़ा मुक्त कराने के युद्ध में अहम भूमिका निभाई और ये भी जानते हैं कि इनका नाम बाघ हज़ारिका कैसे पड़ा?

Warrior Bagh Hazarika: लाचित की अहोम सेना के पराक्रमी और बुद्धिमान योद्धा इस्माइल सिद्दीक़ी थे, जिनका जन्म असम में गढ़गांव के पास स्थित ढेकेरिगांव के एक असमिया मुस्लिम परिवार में हुआ था. इनके बाघ हज़ारिका नाम से एक क़िस्सा प्रचलित है कि,

एक बार इनके गांव में बाघ आ गया था, जिससे निहत्थे हड़ते हुए इस्माइल ने बाघ को मार डाला तब से इनके नाम के आगे बाघ जुड़ गया और हज़ारिका इसलिए पड़ा क्योंकि वो हज़ार सैनिकों की सेना का नेतृत्व करते थे तो हज़ारिका पड़ गया.

गवर्नर मीर जुमला के गुवाहाटी पर कब्ज़ा करने के बाद लाचित को गुवाहाटी को मुक्त कराना था, जिसके लिए उन्होंने 1667 में एक अभियान के तहत एक नेवी तैयार की, जिसको अस्त्र-शस्त्र और तोपों से भी लैस किया, लेकिन लाचित सीधे मुग़लों से नहीं टकरा सकते थे और गुवाहाटी को मुक्त कराने के लिए पहले ईटाखुली के क़िले पर कब्ज़ा ज़रूरी था, उसके लिए एक ऐसे योद्धा की ज़रूरत थी, जो ज़मीन पर युद्ध लड़ सके और बेहतरीन घुड़सवार भी हो. तब लाचित बरफुकन ने दूसरा प्लान बनाया और उसमें इस्माइल सिद्दीक़ी को शामिल किया.

ये भी पढ़ें: लचित बरफुकन: वो वीर असमिया योद्धा जिसने मुग़लों को चटाई थी धूल, राक्षस बनकर लड़े थे सैनिक

Image Source: tosshub

ये भी पढ़ें: नूरजहां: मुगल साम्राज्य की वो रानी जिसने सिक्कों पर छपवाया अपना नाम, संभाली सल्तनत की कमान  

सिद्दीक़ी जब सेना में शामिल हो गए तो उन्होंने अहोम जनरल लचित बरफुकन, शाही मंत्री अतन बुराहागोहेन और अन्य जनरलों को मुग़लों के ख़िलाफ़ एक बेहतरीन रणनीति बताई कि अगर हम मुग़लों की तोपों को बेकार कर दें तो ये युद्ध हमारे ही हक़ में जाएगा, इनकी रणनीति से सभी प्रभावित हुए और इस्माइल को सेना की कमान दे दी गई.

india

इस्माइल उर्फ़ बाघ हज़ारिका जानते थे कि फ़ज्र की नमाज़ का समय सबसे उचित होगा क्योंकि वो सुबह का समय होगा और सभी मुग़लिया सैनिक नमाज़ अता कर रहे होंगे और ठीक वैसा ही हुआ भी. फ़ज्र के समय इस्माइल के नेतृत्व में कुछ सैनिक ब्रह्मपुत्र नदी को पार कर उत्तरी किनारे पर पहुंचें और मौक़ा पाते ही सैनिकों के साथ तटबंधों पर चढ़ गए, जहां उन्होंने मुग़लों की तोपों में पानी भर दिया और उन्हें बेकार कर दिया.

Image Source: twimg

तोपों को बेकार करने के बाद अहोम सेना ने युद्ध का बिगुल यानि तुरहियां बजाकर युद्ध की घोषणा की. मुग़ल सैनिक इस युद्ध के आह्वान से चिंतित हुए, लेकिन अपनी-अपनी चौकियों की ओर दौड़े जैसे ही उन्होंने अहोम सेना पर तोप दागी तैप ख़राब हो चुकी थी, बिना तोपों के मुग़ल सैनिक अहोम सैनिकों के सामने कमज़ोर पड़ गए और इस तरह लाचित बरफुकन ने अपने वीर योद्धा इस्माइल सिद्दीक़ी उर्फ़ बाघ हज़ारिका की रणनीति से गुवाहाटी को वापस हासिल कर लिया.

आपको ये भी पसंद आएगा
कोलकाता में मौजूद British Era के Pice Hotels, जहां आज भी मिलता है 3 रुपये में भरपेट भोजन
जब नहीं थीं बर्फ़ की मशीनें, उस ज़माने में ड्रिंक्स में कैसे Ice Cubes मिलाते थे राजा-महाराजा?
कहानी युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस की, जो बेख़ौफ़ हाथ में गीता लिए चढ़ गया फांसी की वेदी पर
बाबा रामदेव से पहले इस योग गुरु का था भारत की सत्ता में बोलबाला, इंदिरा गांधी भी थी इनकी अनुयायी
क्या है रायसीना हिल्स का इतिहास, जानिए कैसे लोगों को बेघर कर बनाया गया था वायसराय हाउस
मिलिए दुनिया के सबसे अमीर भारतीय बिज़नेसमैन से, जो मुगलों और अंग्रेज़ों को देता था लोन