महाराजा रणजीत सिंह: वो महान सिख योद्धा जिनके साहस के आगे ‘मुग़ल और अफ़गान’ भी टिक न सके

Maahi

The Great Sikh Warrior Maharaja Ranjit Singh: भारत के इतिहास में जब भी महान राजा-महाराजाओं की बात होती है ‘शेर-ए-पंजाब’ के नाम से मशहूर महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) का नाम सबसे ऊपर आता है. महाराजा रणजीत सिंह की बहादुरी के बारे में जितना कहें वो भी कम है. पंजाब पर शासन करने वाले रणजीत सिंह जी ने 10 साल की उम्र में पहला युद्ध लड़ा था और 12 साल की उम्र में गद्दी संभाल ली थी. वहीं 18 साल की उम्र में लाहौर को जीत लिया था. 40 साल की उम्र तक उन्होंने अपने शासनकाल में अंग्रेज़ों को अपने साम्राज्य के आसपास भी नहीं फटकने दिया. आज भी रणजीत सिंह की कई वीर गाथाएं लोगों को प्रेरित करती हैं.

ये भी पढ़िए: ईशर सिंह: वो महान सिख योद्धा जिसके साहस के आगे अफ़ग़ानों ने टेक दिये थे घुटने

bbc

The Great Sikh Warrior Maharaja Ranjit Singh

महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) का जन्म पंजाब के गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) में 13 नवंबर, 1780 को हुआ था. उनके पिता का महा सिंह और मां का नाम राज कौर था. छोटी सी उम्र में चेचक की वजह से महाराजा रणजीत सिंह की एक आंख की रोशनी चली गयी थी. इसके बाद जब वो 12 साल के थे, उनके पिता चल बसे और राजपाट का सारा बोझ उनके कंधों पर आ गया. ये वो दौर था जब पंजाब प्रशासनिक तौर पर टुकड़े-टुकड़े में बंट चुका था. इन छोटे छोटे हिस्सों को ‘मिस्ल’ कहा जाता था और इन मिस्ल पर सिखों की हुकूमत चलती थी. रणजीत सिंह के पिता महा सिंह ‘सुकरचकिया मिस्ल’ के कमांडर थे.

wikipedia

20 साल की उम्र में बने महाराजा 

रणजीत सिंह ने बेहद कम उम्र में अन्य ‘मिस्लों के सरदारों’ को हराकर अपने सैन्य अभियान की शुरुआत की थी. रणजीत सिंह जी ने 7 जुलाई, 1799 को पहली जीत हासिल की थी. इस दौरान उन्‍होंने चेत सिंह की सेना को हराकर लाहौर पर कब्ज़ा किया. जब उन्होंने क़िले के मुख्य द्वार से प्रवेश किया तो उन्हें तोपों की शाही सलामी दी गई. उन्होंने अगले कुछ दशकों में एक विशाल ‘सिख साम्राज्य’ की स्थापना की. इसके बाद 12 अप्रैल, 1801 को रणजीत सिंह की पंजाब के ‘महाराज’ के तौर पर ताजपोशी की गई. महज 20 साल की उम्र में उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की थी. इसके बाद सन 1802 में उन्होंने ‘अमृतसर’ को अपने साम्राज्य में मिला लिया और सन 1807 में उन्होंने अफ़गानी शासक कुतुबुद्दीन को हराकर ‘कसूर’ पर कब्ज़ा किया. 

bbc

रणजीत सिंह ने जीते कई युद्ध  

सन 1818 में मुल्तान और सन 1819 में रणजीत सिंह ने कश्मीर पर कब्ज़ा कर उसे भी ‘सिख साम्राज्य’ का हिस्सा बना लिया. रणजीत सिंह जी ने अफ़गानों के ख़िलाफ़ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ फ़ेंका. इसके बाद पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर भी उनका अधिकार हो गया. ये पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर-मुस्लिम ने राज किया. इसके अलावा अफ़गानों और सिखों के बीच 1813 और 1837 के बीच कई युद्ध हुए. सन 1837 में ‘जमरुद का युद्ध’ उनके बीच आख़िरी भिड़ंत थी. इस युद्ध में रणजीत सिंह के सबसे बेहतरीन योद्धा हरि सिंह नलवा मारे गए थे. 

tribuneindia

ये भी पढ़ें: बाबा दीप सिंह: वो महान सिख योद्धा जो धड़ से सिर अलग होने के बावजूद मुगलों से लड़ते रहे

महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने ही पहली आधुनिक भारतीय सेना ‘सिख खालसा सेना’ का गठन किया था. उनके नेतृत्व में अब पंजाब एक शक्तिशाली सूबा बन चुका था. इसी ताकतवर सेना ने लंबे अर्से तक अंग्रेज़ों को पंजाब हड़पने से रोके रखा. इस दौरान एक ऐसा मौका भी आया जब पंजाब ही एकमात्र ऐसा सूबा था, जिस पर अंग्रेज़ों का कब्जा नहीं था.

indiathedestiny

रणजीत सिंह थे एक धर्मनिरपेक्ष शासक 

महाराजा रणजीत सिंह ने अपने राज में ‘धर्मनिरपेक्ष साम्राज्‍य’ की स्‍थापना की थी. उन्होंने पंजाब में ऐसी क़ानून एवं व्यवस्था कायम की थी कि किसी को कभी मृत्युदण्ड नहीं दिया गया. उन्होंने ही हिंदुओं और सिखों से वसूले जाने वाले ‘जजिया कर’ पर भी रोक लगाई थी. इसके अलावा उन्होंने कभी भी किसी को भी ‘सिख धर्म’ अपनाने के लिए विवश नहीं किया. रणजीत सिंह एक धर्मनिरपेक्ष शासक थे। उनकी सेना में हिंदू, मुस्लिम और यूरोपीय योद्धा एवं जनरल शामिल थे, उनकी सेना में जहां हरि सिंह नलवा, प्राण सुख यादव, गुरमुख सिंह लांबा, दीवान मोखम चंद और वीर सिंह ढिल्लो जैसे भारतीय जनरल थे तो फ्रांस के जीन फ्रैंकोइस अलार्ड और क्लाउड ऑगस्ट कोर्ट, इटली के जीन बाप्तिस्ते वेंचुरा और पाओलो डी एविटेबाइल, अमेरिका के जोसिया हरलान और स्कॉट-आयरिश मूल के अलेक्जेंडर गार्डनर जैसे सैन्य ऑफ़िसर भी शामिल थे.

bbc

The Great Sikh Warrior Maharaja Ranjit Singh

रणजीत सिंह से जुड़ी रोचक बातें  

सिख धर्म में भगवान के सामने हर किसी को बराबर माना जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए जब रणजीत सिंह गद्दी पर बैठे तो कभी ताज नहीं पहना. रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान कभी भी सिक्कों पर अपना नाम नहीं छपवाया, बल्कि उन्हें नानकशाही सिक्के कहा जाता था. इन सिक्कों पर फ़ारसी में एक वाक्य लिखा रहता था जिसका मतलब था, ‘अपने साम्राज्य, अपना विजय और अपनी प्रसिद्धि के लिए मैं गुरु नानक और गुरु गोविंद सिंह का ऋणी हूं. 

civilaspirant

The Great Sikh Warrior Maharaja Ranjit Singh

महाराजा रणजीत सिंह की एक और ख़ास बात थी, उन्होंने युद्ध क्षेत्र को छोड़ कर कभी भी किसी की जान नहीं ली और हमेशा अपने दुश्मनों को हराने के बाद उनसे नर्मी से पेश आए. इसके अलावा महाराजा रणजीत सिंह ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी. वो न तो लिख सकते थे और न ही पढ़ सकते थे. लेकिन पढ़े लिखे और क़ाबिल लोगों के लिए उनके मन में बहुत सम्मान था. रणजीत सिंह ने ‘तख्त सिंह पटना साहिब’ और ‘तख्त सिंह हजूर साहिब’ का निर्माण भी कराया था. इसके अलावा उन्होंने अमृतसर के ‘हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे’ में संगमरमर लगवाया और उस पर सोना मढ़वाया, तभी से इसे ‘स्वर्ण मंदिर’ कहा जाने लगा.  

bbc

जब भेंट में मिला था ‘कोहिनूर हीरा’

एक बार अफ़गान शासक शाह शुजा की पत्नी ने महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) से आग्रह किया कि अगर वो शाह शुजा की रक्षा करेंगे और उनको लाहौर सुरक्षित ले आएंगे तो वो उन्हें ‘कोहिनूर हीरा’ भेंट करेंगी. रणजीत सिंह जी ने अपना वादा निभाया और 1 जून, 1813 को मुग़ल शासक ने उन्हें ‘कोहिनूर हीरा’ भेंट किया. ये ‘कोहिनूर हीरा’ कई सालों तक रणजीत सिंह के खजाने की शान रहा.

The Great Sikh Warrior Maharaja Ranjit Singh

thedispatch

ये भी पढ़ें: बंदा सिंह बहादुर: वो महान सिख योद्धा जिनके साहस के आगे मुग़लों ने घुटने टेक दिये थे

दशकों तक शासन के बाद 27 जून, 1839 को महाराजा रणजीत सिंह का निधन हो गया. उनके जाने के बाद ‘सिख साम्राज्य’ की बागडोर खड़क सिंह के हाथ में आई. लेकिन रणजीत सिंह के मजबूत साम्राज्य को संभालने में खड़क सिंह नाकाम रहे. आपसी लड़ाईयों और शासन की कमियों की वजह से ‘सिख साम्राज्य’ का पतन शुरू हो गया. अंग्रेजों से हुए 1845 के युद्ध के बाद ‘सिख साम्राज्य’ पर पूरी तरह से अंग्रेज़ों का कब्ज़ा हो गया.

आपको ये भी पसंद आएगा
कोलकाता में मौजूद British Era के Pice Hotels, जहां आज भी मिलता है 3 रुपये में भरपेट भोजन
जब नहीं थीं बर्फ़ की मशीनें, उस ज़माने में ड्रिंक्स में कैसे Ice Cubes मिलाते थे राजा-महाराजा?
कहानी युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस की, जो बेख़ौफ़ हाथ में गीता लिए चढ़ गया फांसी की वेदी पर
बाबा रामदेव से पहले इस योग गुरु का था भारत की सत्ता में बोलबाला, इंदिरा गांधी भी थी इनकी अनुयायी
क्या है रायसीना हिल्स का इतिहास, जानिए कैसे लोगों को बेघर कर बनाया गया था वायसराय हाउस
मिलिए दुनिया के सबसे अमीर भारतीय बिज़नेसमैन से, जो मुगलों और अंग्रेज़ों को देता था लोन