पिंगली वेंकैया ही नहीं इस महिला का भी भारतीय ध्वज को बनाने में बहुत बड़ा योगदान था

J P Gupta

Designing The Indian Flag: हम सबकी आन बान और शान है तिरंगा. इससे जुड़ी जानकारी भी हमें स्कूल या समाज से मिल ही जाती है. हम सभी को यही पता है कि भारतीय ध्वज 1921 में पिंगली वेंकैया द्वारा डिज़ाइन किया गया था.

मगर हम ये कहें कि ये पूरा सच नहीं है तो आपको कैसा लगेगा? एक रिपोर्ट के मुताबिक, तिरंगे को बनाने में एक और महिला का हाथ था. कौन थी, ये महिला और कैसे वो राष्ट्रीय ध्वज की खोज का हिस्सा बनीं, आपको सब बताते हैं.

ये भी पढ़ें: भारत से लेकर अमेरिका तक, इन 30 देशों के National Flag को क्या कहते हैं, जान लो

Google Plus

एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैप्टन एल पांडुरंगा रेड्डी ने एक अध्ययन में दावा किया है कि स्वतंत्रता आंदोलन के कई दशकों में वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय ध्वज विकसित हुआ, ये हैदराबाद की एक महिला थी जिसने हमें अंतिम तिरंगे की सुंदरता दी जिसे हम अपना ध्वज कहते हैं. इनका नाम है सुरैया तैयबजी. 

उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को बनाने में उल्लेखनीय और अविश्वसनीय योगदान दिया है. उनके मुताबिक, बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट द्वारा होम रूल लीग आंदोलन का कांग्रेस में विलय हो गया, जिन्होंने अपने झंडे में चरखा जोड़ा. माना जाता है कि 1921 में एक बैठक में वेंकैया ने लाला हंसराज और महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित तिरंगा भेंट किया था. हालांकि, कांग्रेस के भीतर या उस समय के समकालीन समाचार पत्रों (स्थानीय और अंग्रेजी)  दोनों में बैठकों में इसका कोई उल्लेख नहीं है.

ये भी पढ़ें: जानते हो स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडा अलग-अलग तरीके से क्यों फहराया जाता है

Wikipedia

इस बीच विद्वान अंग्रेजी इतिहासकार ट्रेवर रॉयल ने अपनी पुस्तक द लास्ट डेज ऑफ़ द राज में खुलासा किया कि अंतिम राष्ट्रीय ध्वज सुरैया तैयबजी ने दिया वो बदरुद्दीन तैयबजी की पत्नी थीं. उनके पति 1947 में प्रधानमंत्री कार्यालय में आईसीएस अधिकारी थे. यही नहीं वो हैदराबाद के सर अकबर हैदरी की भतीजी थीं. रॉयल के अनुसार, ध्वज को 17 जुलाई 1947 को डिज़ाइन और अनुमोदित किया गया था.

SheThePeople

उन्होंने अपनी किताब में लिखा: ‘उन विरोधाभासों में से एक जो भारत के इतिहास में साथ चलते हैं, राष्ट्रीय ध्वज को एक मुस्लिम बद्र-उद-दीन तैयबजी द्वारा डिजाइन किया गया था. मूल रूप से तिरंगे में गांधी द्वारा इस्तेमाल किया गया चरखे का प्रतीक शामिल था, लेकिन ये एक पार्टी का प्रतीक था. इसके बारे में तैयबजी ने बताया कि शायद ये ग़लत हो सकता है. काफ़ी अनुनय-विनय के बाद गांधी अशोक च्रक को उसमें लगाने को राजी हो गए. क्योंकि सम्राट अशोक को हिंदू और मुसलमान समान रूप से पूजते थे. आज़ादी की रात नेहरू की कार पर जो झंडा फहराया गया था, वो विशेष रूप से तैयबजी की पत्नी द्वारा बनाया गया था.

इस तरह सुरैया जी की ही वजह से हमारे राष्ट्रीय ध्वज में केसरिया, सफेद और हरा रंगों के बीच में अशोक चक्र को स्थान मिला. इससे हमारा झंडा सबसे अलग और सार्थक बना. सुरैया  तैयबजी के इस योगदान के हम सदा आभारी रहेंगे.

आपको ये भी पसंद आएगा
ऋषि कपूर और नीतू कपूर का 43 साल पुराना वेडिंग कार्ड हुआ Viral! जानिए कैसी थी उनकी प्रेम कहानी
Optical Illusion: अगर आपका IQ भी है तेज़, तो 10 सेकेंड में ढूंढ निकालिए तस्वीर में छुपा हुआ ‘तोता’
उत्तरकाशी टनल से लौटे मज़दूरों की वो Pics, जिसमें ज़िंदगी को फिर से पाने की ख़ुशी नज़र आती है
20 सेकेंड में इस तस्वीर में छिपी Car ढूंढ निकालेंगे तो पक्का जीनियस कहलाएंगे
साउथ सिनेमा में डेब्यू कर रहे हैं बॉबी देओल, उनसे पहले ये 8 बॉलीवुड स्टार्स कर चुके हैं Debut
पहचान कौन! इस बच्चे का SRK जैसा था स्टारडम, पर बॉलीवुड में नहीं जमा सिक्का, आज है बहुत बड़ा स्टार