Biju Patnaik: पढ़ें देश को आज़ादी दिलाने से लेकर विकास की पटरी पर लाने वाले बीजू पटनायक की कहानी

Nikita Panwar

(Unsung Hero Of India Biju Patnaik)– देश की आज़ादी में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अहम भूमिका निभाई थी. जिनकी सूची काफ़ी लंबी है और उसमें एक नाम बीजू पटनायक का भी शामिल है. जो ओडिशा के 2 बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध, कश्मीर संग्राम, इंडोनेशिया स्वतंत्रता संग्राम जैसे कई घटनाओं में मुख्य भूमिका निभाई थी. चलिए आज इस आर्टिकल के माध्यम से निडर पायलट बीजू पटनायक के बारे में जानते हैं.

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चलिए जानते हैं बीजू पटनायक की निडर और साहसी ज़िन्दगी के बारे में(Unsung Hero Of India Biju Patnaik)

कटक (ओडिशा) में जन्म हुआ था.

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बीजू पटनायक का जन्म 5 मार्च, 1916 में कटक (ओडिशा) में हुआ था. उनकी माता का नाम आशालता पटनायक और पिता का नाम लक्ष्मीनारायण पटनायक था. उन्होंने अपनी पढ़ाई मिशनरी प्राइमरी स्कूल से पूरी की थी और कॉलेज की पढ़ाई रावेनशॉ कॉलेज से पूरी की थी. वो अच्छे विद्यार्थी ही नहीं, बल्कि अच्छे खिलाड़ी भी थे जो फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट जैसे कई अन्य खेलों के हेड भी रह चुके थे. साथ ही उन्हें विमान उड़ाने में भी काफ़ी दिलचस्पी थी. उन्होंने 1930 में दिल्ली फ़्लाइंग क्लब में दाख़िला लिया था. जिसके बाद 1936 में बीजू इंडियन नेशनल एयरवेज़ में शामिल हो गए.

भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी.

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1942 में जापान ने पूर्वी एशिया के अंग्रेजों और डच के क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में दख़ल दिया तो बीजू ने अंग्रेज़ नागरिकों को बचाने के लिए विमान से म्यांमार गए. इसी दौरान बीजू ने म्यांमार में अंग्रेज़ों के अधीन लड़ रहे भारतीय सैनिकों के लिये भारत छोड़ो आंदोलन और आज़ाद हिंद फ़ौज के पर्चे भी विमान से फ़ेंकने शुरू कर दिए. इतना ही नहीं, बल्कि बीजू भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले बहुत से राजनेता और स्वतंत्रता सेनानियों को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने का भी काम किया था. ताकि उन सेनानियों को अंग्रेज़ों की क्रूर नज़र से बचाया जा सके. जिसके कारणवश 1943 में बीजू को गिरफ़्तार भी कर लिया गया था.

यही समय था, जब उनकी दोस्ती जवाहरलाल नेहरू के साथ गहरी हो गई.

कलिंगा एयरलाइन्स की नींव भी बीजू पटनायक ने रखी थी.

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1946 में जेल से रिहा होने के बाद बीजू ने कलकत्ता में कलिंगा एयरलाइन्स की नींव रखी थी. कलिंग एयरलाइंस जिसने स्वतंत्रता के शुरुआती वर्षों में डकोटा विमानों का संचालन किया था. साथ ही इस विमान ने इंडोनेशिया में अहम भूमिका निभाई थी. 1953 में कलिंगा एयरलाइन्स भारतीय एयरलाइन्स में विलय हो गई.

हालांकि, एक साल बाद 1946 में ही डचों ने फिर से इंडोनेशिया पर आक्रमण करना शुरू कर दिया और जुलाई 1947 में पूर्ण तरीके से हमला करना शुरू कर दिया. डच सेना ने जकार्ता में सज़हरीर को नजरबंद कर दिया था. पटनायक को नेहरू ने सज़हरीर और तत्कालीन उपराष्ट्रपति मोहम्मद हट्टा को जावा से उड़ाने के लिए कहा ताकि वो इंडोनेशिया की दुर्दशा को दुनिया के बाकी हिस्सों में प्रसारित कर सकें.

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जिसके बाद बीजू और उनकी पत्नी ज्ञाना देवी 21 जुलाई, 1947 को पहुंच गए. उनके सिंगापुर से जावा आइलैंड के रस्ते में डच सेना ने उनके एयरक्राफ़्ट को ख़त्म कर देने धमकी दी. लेकिन निडर बीजू ने हार नहीं मानी और सज़हरीर और हट्टा को सिंगापुर पहुंचा दिया.

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जिससे ख़ुश होकर इंडोनेशिया की सरकार ने बीजू को 1950 में वन का हिस्सा दिया. जिसे लेने से बीजू ने इनकार कर दिया. जिसके बाद सरकार ने बीजू को इंडोनेशिया की नागरिकता और “भूमि पुत्र” अवॉर्ड से भी नवाज़ा. 

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