सरदार वल्लभ भाई पटेल के त्याग का वो ‘अनसुना’ क़िस्सा, जो उनको अपने भाई के लिए करना पड़ा था

J P Gupta

Sardar Vallabhbhai Patel: आज़ादी के समय अलग-अलग रियासतों में बंटे देश को एक करने वाले ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है. देश के आज़ाद होने के साथ ही नई सरकार के गठन का काम भी शुरू हो गया था. देश के पहले प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे थे सरदार वल्लभ भाई पटेल, लेकिन गांधी जी के कहने पर उन्होंने ये पद त्याग कर देश का पहला गृह मंत्री बनना स्वीकार किया.

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स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभ भाई पटेल के त्याग की ये कहानी तो हर किसी को पता है, लेकिन उन्होंने अपने निज़ी जीवन में भी कई त्याग किए हैं. उसी से जुड़ा एक क़िस्सा हम आपको बताएंगे.

इंग्लैंड से करना चाहते थे पढ़ाई

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बात उन दिनों की है जब 22 साल की उम्र में मैट्रिक पास कर सरदार वल्लभ भाई पटेल एक वकील के सहायक के रूप में काम कर रहे थे. उनका भी सपना था कि वो भी एक बड़े वकील बनें. वो वकालत की पढ़ाई इंग्लैंड से करना चाहते थे. उस दौर में इस सपने को पूरा करने के लिए 7-10 हज़ार रुपये की ज़रूरत थी. 

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इसके लिए वो बचत करने लगे, उनकी पत्नी ने भी इसमें उनकी मदद की और गै़र-ज़रूरी ख़र्चों पर लगाम लगाई. 4 साल की बचत के बाद उनके पास विदेश में पढ़ाई करने के लिए पैसे जमा हो गए. डाक से वीज़ा और टिकट मिलने का इंतज़ार था. डाकिया ये सुखद समाचार लाया भी लेकिन उन तक पहुंचा न सका.

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बड़े भाई यहां पहुंच गया टिकट और वीज़ा

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दरअसल, नाम के कंफ़्यूजन में वो टिकट और वीज़ा उनके बड़े भाई विट्ठल भाई पटेल के घर दे आया. दोनों के नाम एक जैसे थे और नाम के शुरुआती अक्षर V.B. थे. अब जब बड़े भाई को पता चला कि छोटा भाई इंग्लैंड पढ़ने जा रहा है तो उनका भी वहां जाने के लिए लालायित हो उठा. वो भी वकील थे और वहां पढ़ने की हसरत रखते थे.

भाई के लिए त्याग दिया अपना सपना

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इंग्लैंड से पढ़कर आए वकील की समाज में हैसियत ही अलग होती थी, तो उन्होंने छोटे भाई को समझाया कि वो उन्हें जाने दें. सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई ने समझाया कि पहले उन्हें पढ़ आने दें और बाद में वो चले जाएं. घर-परिवार की प्रतिष्ठा की भी बातें उनसे कही. भलमनसाहत में छोटे भाई ने बड़े भाई की खातिर ये त्याग कर दिया और ख़र्चे के लिए जुटाए पैसे भी उनको दे दिए.

36 साल की उम्र में सपना हुआ पूरा

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इंग्लैंड जाने का मौक़ा हाथ से चला गया, लेकिन उनका सपना अभी टूटा नहीं था. उन्होंने घर की ज़िम्मेदारियों को उठाते हुए फिर से पैसे इक्कठे करना शुरू किए. उनके बड़े भाई 30 महीने में डिग्री लेकर आए थे. सरदार वल्लभ भाई पटेल को जब 36 की उम्र में ये सपना पूरा करने का अवसर प्राप्त हुआ तो उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर कोर्स को 2 साल में ही कंप्लीट कर लिया. साथ उसमें टॉप कर भारत लौट आए. 

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चाहे निजी जीवन हो या प्रोफ़ेशनल ज़िंदगी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हमेशा त्याग कर दूसरों को मौक़ा दिया. उनके जैसा अद्भुत इंसान भारत में आज के समय में मिलना दुर्लभ है.

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