भारतीय संविधान क्या है? इससे जुड़ी ये 10 महत्वपूर्ण बातें हर भारतीय को पता होनी चाहिए

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Constitution of India: भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे विस्तृत लिखित संविधान है. ‘संविधान सभा’ के 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के सतत प्रयत्न, अध्ययन, विचार-विमर्श, चिंतन एवं परिश्रम का निचोड़ है भारतीय संविधान (Constitution of India). ये ‘संविधान सभा’ द्वारा 26 नवंबर, 1949 को पारित हुआ था. इसे 26 जनवरी, 1950 को संपूर्ण भारत पर लागू किया गया था. भारत जैसे विशाल देश को चलाने के लिए जिन अहम चीज़ों की ज़रूरत होनी चाहिए थी हमारे विद्वान संविधान निर्माताओं ने देश के संविधान में उनको जगह दी है. आज हम आपको भारतीय संविधान की उन विशेषताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो इसे दुनिया के अन्य देशों के संविधान से अलग बनाती हैं.

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भारतीय संविधान की विशेषता (Characteristics of the Constitution of India)

भारतीय संविधान (Constitution of India) की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये एक लिखित संविधान है. कई देशों के संविधान में बदलाव संभव नहीं है. जबकि कई देशों के संविधान में आसानी से बदलाव किया जा सकता है. भारत में इसके बीच की व्यवस्था है. संविधान का मौलिक ढांचा ‘संविधान की सर्वोच्चता’, ‘संसदीय लोकतंत्र’ और ‘स्वतन्त्र न्यायपालिका’ को नहीं बदला जा सकता, लेकिन अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग प्रक्रिया के तहत बदलाव किया जा सकता है.

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भारत के संविधान की 10 महत्वपूर्ण बातें

1- संविधान का मसौदा 

29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना हुई, जिसमें अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar) की नियुक्ति हुई. इसीलिए डॉ. अंबेडकर को संविधान निर्माता भी कहा जाता है.

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2- संविधान सभा के सदस्य 

संविधान सभा (Drafting Committee) के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये थे, जिनमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं. इसके बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान अस्तित्व में आया. इसे पारित करने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था.

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3- दुनिया का सबसे बड़ा संविधान 

भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. संविधान लागू होने के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे, जो वर्तमान में बढ़कर 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हो गए हैं. अब इसमें 5 परिशिष्ठ भी जोड़ दिये गये हैं, जो प्रारंभ में नहीं थे.

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4- भारत राज्यों का संघ 

भारत राज्‍यों का एक संघ है. ये संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्‍वतंत्र प्रभुसत्ता सम्‍पन्‍न समाजवादी लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य है. ये गणराज्‍य भारत के संविधान के अनुसार शासित है, जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को ग्रहण किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था.  

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5- संविधान की प्रस्तावना

‘भारतीय संविधान’ की प्रस्तावना ‘अमेरिकी संविधान’ से प्रभावित और विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इसी प्रस्तावना के माध्यम से ‘भारतीय संविधान’ का सार, इसकी अपेक्षाएं, उद्देश्य और लक्ष्य प्रकट होते हैं. प्रस्तावना ये घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है इसी कारण ये ‘हम भारत के लोग’ इस वाक्य से प्रारम्भ होती है. 

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6- भारतीय संविधान की विशेषता 

भारत के संविधान की विशेषता ये है कि ये संघात्मक भी है और एकात्मक भी. भारत के संविधान में संघात्मक संविधान की सभी उपर्युक्त विशेषताएं विद्यमान हैं. आपातकाल में भारतीय संविधान में एकात्मक संविधानों के अनुरूप केंद्र को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए कुछ प्रावधान हैं. भारतीय संविधान केवल एक नागरिकता का ही समावेश किया गया है और एक ही संविधान केंद्र व राज्य दोनों ही सरकारों के कार्य संचालन के लिए व्यवस्थाएं प्रदान करता है. इसके अलावा भारतीय संविधान में कुछ अच्छी चीज़ें विश्व के दूसरे संविधानों से भी संकलित की गई हैं. 

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7- भारतीय संविधान का संसदीय स्वरूप 

भारत के संविधान में सरकार के ‘संसदीय स्‍वरूप’ की व्‍यवस्‍था भी की गई है. केंद्रीय कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति होता है. भारत के संविधान की धारा 79 के मुताबिक़ केंद्रीय संसद की परिषद में राष्‍ट्रपति और दो सदन हैं जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद (राज्‍य सभा) तथा लोगों का सदन (लोक सभा) के नाम से जाना जाता है. संविधान की धारा 74 (1) में ये व्‍यवस्‍था की गई है कि राष्‍ट्रपति की सहायता करने और उन्हें सलाह देने के लिए एक ‘मंत्री परिषद’ होगी जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा और राष्‍ट्रपति सलाह के मुताबिक़ अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा. इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है. 

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8- भारतीय संविधान के प्रमुख 3 मुख्य बिंदु  

भारत का संविधान तीन प्रमुख बिंदुओं पर आधारित है. पहला राजनीतिक सिद्धांत, जिसके अनुसार भारत एक लोकतांत्रिक देश होगा और ये सार्वभौमिक धर्मनिरपेक्ष्य राज्य होगा. दूसरा, भारत की सरकारी संस्थाओं के मध्य किस प्रकार का संबंध होगा, वो एक दूसरे के साथ किस प्रकार कार्य करेंगे. सरकारी संस्थाओं के क्या अधिकार होंगे, क्या कर्तव्य होंगे और किस प्रकार की प्रक्रिया संस्थाओं पर लागू होगी. तीसरा, भारतीय नागरिकों को कौन-कौन से मौलिक अधिकार प्राप्त होंगे और नागरिकों के क्या कर्तव्य होंगे. इसके अलावा राज्य के नीति निर्देशक तत्व क्या होंगे, ये सभी भारतीय संविधान में लिखित हैं.  

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9- समाजवाद एवं धर्मनिरपेक्षता 

भारतीय संविधान समाजवाद एवं धर्मनिरपेक्षता का पोषक है. ये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समाजवादी समाज की संरचना के सपने को साकार करता है. इसकी प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का अवगाहन किया गया है. समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में जोड़े गये. इससे पहले धर्मनिरपेक्ष के स्थान पर पंथनिरपेक्ष शब्द था. ये अपने सभी नागरिकों को जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना सभी को बराबरी का दर्जा और अवसर देता है. 

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10- संविधान संशोधन 

संविधान सभा के मुताबिक़ देश को चहुंमुखी विकास लिए समय-समय पर उपयुक्त प्रावधानों की आवश्यकता पड़ सकती है, जिसके लिए संविधान में संशोधन के लिए तीन विभिन्न प्रक्रियाएं दी गई हैं. भारत के संविधान में पहला संशोधन 18 जून 1951 को किया गया था. अब तक भारतीय संविधान में कुल 100 संशोधन किए जा चुके हैं.  

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भारत के संविधान का मूल आधार भारत सरकार ‘अधिनियम 1935’ को माना जाता है.

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