चूहा नौकरी करता है, कबूतर फ़ोटो खींचता है, जासूसी दुनिया के बेताज बादशाह हैं ये जीव

Bikram Singh

बचपन में हम पंचतंत्र, नंदन और चंपक जैसी किताबों की कहानियों में जानवरों के साथ एक अपनी दुनिया बना लेते थे. जानवरों की तरह हम भी इस धरती पर एक सामान्य जीव हैं. लेकिन कुछ मामलों में हम अन्य जीवों से बेहतर हैं. इसका कतई ये मतलब नहीं हुआ कि हम अन्य जीवों से बेहतर हैं. सच्चाई तो ये है कि बिना उनके सहयोग से हम इस धरती पर ज़िंदा भी नहीं रह सकते. कुछ जीव ऐसे हैं, जिनकी मदद से ही आगे बढ़ पाए हैं. ख़ैर, हम आपको कुछ उदाहरणों द्वारा बताने की कोशिश करेंगे कि ये जानवर हमारे लिए कितने उपयोगी हैं.

मेसेज के लिए कबूतर का इस्तेमाल किया जाता था

प्राचीन काल से ही कबूतरों को संदेशवाहक समझा जाता था. इतना ही नहीं, दोनों विश्व युद्धों में भी कबूतरों का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया गया.

फ़ोटोग्राफ़र कबूतर

ऐसा नहीं है कि कबूतर सिर्फ़ मेसेज ले जाने के लिए प्रसिद्ध हैं. इनका इस्तेमाल फ़ोटोग्राफ़र के रूप में भी किया गया. 1907 में इनके गले में छोटा सा कैमरा बांधने का प्रोजेक्ट था, ताकि जासूसी में काम आ सके. कभी इस्तेमाल हुआ या नहीं, इस बात की कोई जानकारी नहीं है.

इंसान का बेस्ट फ्रेंड

मेट्रो या सार्वजनिक जगहों पर आप पुलिस को कुत्ते के साथ ज़रुर देखते होंगे. ऐसा माना जाता है कि कुत्ते बारूदी सुरंग और बम की सुगंध को आसानी से सूंघ लेते हैं. इस कारण इनका इस्तेमाल किया जाता है.

बम गिराने वाले चमगादड़

यूं तो हम चमगादड़ से काफ़ी डरते हैं. लोग इनसे दूरी बना कर चलते हैं. हालांकि, 1940 में अमेरिका ने एक प्रयोग शुरू किया. वो चमगादड़ों पर बम बांध देता था और उसकी मदद से विस्फोट करवाता था. यह बिल्कुल ड्रोन की तरह काम करता था.

बिल्ली मासी नहीं, जासूस है

घर से दूध चुराने वाली बिल्ली एक जासूस की भूमिका में रहती है. 1960 में CIA ने बिल्लियों के ज़रिए सोवियत दूतावासों में जासूसी करने की योजना शुरू की. इसके लिए एक बिल्ली में माइक्रोफोन, बैटरी, एंटीना ऑपरेशन कर लगा दिए जाते थे.

जासूस डॉल्फिन

आपको नहीं पता होगा कि सी लायन और डॉल्फिन अमेरिकी सेना में 1960 से काम कर रहे हैं. अमेरिकी नौसेना उन्हें दुश्मन गोताखोरों का पता लगाने, जहाज़ के यात्रियों को सुरक्षित तट तक पहुंचाने और पानी के नीचे बिछाई गई बारुदी सुरंगों का पता लगाने के लिए करती है.

नौकरी वाले चूहे

चूहे चटोरे होते हैं, मगर कुछ चूहे अपने पैसे से खाते हैं. तंजानिया में गैर सरकारी संगठन ‘अपोपो’ चूहों को बारुदी सुरंग सूंघने की ट्रेनिंग दे रहा है. इन चूहों को कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है और फिर ये दूसरे देशों को किराये पर दिए जाते हैं. फिलहाल 57 चूहे ऐसे हैं, जो इन सुरंगों का पता लगा सकते हैं. अब मत कहना कि चूहा काम नहीं करते हैं.

सभी जीव अपने आप में ख़ास होते हैं. उनकी विशेषताओं और उपयोगिता के कारण उनका इस्तेमाल करने पर वे बेहतर परिणाम देते हैं. अब इन जीवों को ही देख लीजिए.

Source: DW Hindi

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