“तू मेरा दिल, तू मेरी जान… Oh, I love you, Daddy” कभी-कभी सोचता हूं कि ये गाना कौन अपने बाप के साथ गा सकता है? मतलब मैं इत्ते प्यार से अगर अपने पिता को “Oh, I love you, Daddy” बोलूं तो वो मेरी इस जमूरी शक्ल को देख कर सदमे में चले जाएं. (Dad Things Every Indian Will Relate To)
काहे कि देसी बापों को ऐसा गुड़-चींटे वाला रिश्ता रखने की आदत ही नहीं है. उनकी तो बिल्कुल ठेठ बाप वाली आदतें. हैं. काम बोलो, कम बोलो या फिर बोलो ही नहीं. अब Father’s Day है तो हमने सोचा पिता जी की उन आदतों पर बात की जाए जो उन्हें सच में ‘बाप’ बनाती हैं.
Dad Things Every Indian Will Relate To
1. हां ठीक है
पापा के लिए सब ठीक है, सिवाए औलाद के. आप चाहें कितना क़ीमती तोहफ़ा उन्हें दे दीजिए. मगर वो सिर्फ़ दो ही बातें बोलेंगे, ‘हां ठीक है’ और ‘शाहख़र्ची थोड़ी कम करो’.
2. कार के आगे औलाद बेकार
पापा लोग अपने बच्चों के लिए इतना Possessive नहीं होते, जितना अपनी कार के लिए. ग़लती से आपने दूसरे की जगह चौथा गियर लगा दिया, टपली कहां से पड़ेगी, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है.
3. तुम जानो, तुम्हारा काम जाने
किसी चीज़ के लिए इजाज़त मांगो, ख़ास तौर पर कहीं जाने या घूमने के लिए तो सीधा मना नहीं करते. कहते हैं “मेरी तरफ़ से ना है, बाक़ी तुम्हारी मर्ज़ी”… हमारी मर्ज़ी? बताइए, जो बाप सालों हमको बैंक अकाउंट नहीं खुलवाया कि कहीं औलाद जायदाद में हिस्सा ना मांग ले. वो हमको हमारी मर्ज़ी करने देगा भला!
4. घर पर पिता कम भीखू म्हात्रे ज़्यादा होते हैं
सत्या में भीखू म्हात्रे जैसे चिल्लाता था “मुंबई का किंग कौन…” वैसा ही मिजाज़ बाप लोगों का घर पर रहता है. टीवी का रिमोट तो ऐसा पकड़े रहते हैं, मानो पूरे देश की बागडोर संभाले हों.
5. ताने जो दिन भर सुनाने
पिताओं के लिए नालायकी का पर्यायवाची उनकी ख़ुद की औलाद होती है. बचपन में दुकान में जाकर सबसे सस्ती चीज़ दिला देते थे, जब टूट जाती तो कहते “तुम इसके लायक ही नहीं हो”… जवानी में भी ताने कम नहीं हुए. न्यूज़ वाले बता रहे कि मंगल गृह पर पानी मिला. तो मेरे बाप कह रहे कि “देखो, साला मंगल पर पानी मिल गया, मगर तुम्हें नौकरी ना मिली.”
6. सर्वगुण संपन्न पिता
देसी पापा सिर्फ़ एक जॉब नहीं करते, पैसे बचाने के लिए वो इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, बिजली बचाओ अधिकारी भी बन जाते हैं. उनका बस नहीं चलता, वरना वो बच्चों के खोपड़ी पर कटोरा रख कर बालों की कटिंग भी कर डालें.
7. संघर्षों की अमर कथा
पिता जी ने, उनके पिता जी ने, उनके भी पिता जी ने… सबने बहुत संघर्ष, मेहनत और त्याग किया है. बस हमने ही अवतरित होकर पूरी पीढ़ी ख़राब कर दी है. हर वक़्त एक ही बात, “तुम्हारे जितनी सुविधाएं मिलती तो हम ब्रहमांड विजय कर लिए होते.”
8. जिस दिन कमाओगे
आप कुछ भी अपने आप से अपने लिए ख़रीद लीजिए, वो भले ही जींस हो या सड़क पर बिक रही मूंगफली, देसी बाप का एक ही डायलॉग सुनाई देता है, “उड़ाओ-उड़ाओ बाप के पैसे, क्या चिंता करनी, जिस दिन कमाओगे उस दिन पता चलेगा.”
9. ऑफ़िस मीटिंग का लंच घर पर खुलता था
देसी बाप कितना ही क्रूर बनने की कोशिश कर ले, मगर वो हद से ज़्यादा प्यारा होता है. शायद ही कोई पिता ऐसा हो, जो मीटिंग में मिलने वाला लंच ऑफ़िस में खाकर आता हो. हर बार लंच का डिब्बा घर पर आकर बच्चों के हवाले हो जाता है. एक भी अच्छी चीज़ वो अपने लिए नहीं रख सकते.
10. ख़ुद पर खर्च करने की उम्र नहीं
यार ये आदत जितनी प्यारी है, उतनी ही नापसंद भी. ख़ुद के लिए कभी कुछ नहीं करते. हर त्योहार पर बच्चों के कपड़े बनवाते हैं, मगर ख़ुद वही 2 पुरानी पैंट और शर्ट में ख़ुश. मां बोल भी दें कि कुछ आप भी खरीदिए तो एक ही डायलॉग, “ख़ुद पर खर्च करने की उम्र नहीं, बस बच्चे अच्छा पहने-ओढ़ें.”
क्या यार पापा, बाप कम इमली ज़्यादा लगते हो. एकदम खट्ठे-मीठे. Happy Father’s Day
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