हमारे देश के लोग कितने प्रगतिशील हैं, इस बात का अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल काम नहीं है. बस आपको हर रोज़ न्यूज पेपर में शादी का विज्ञापन देखते रहना होगा. यहां न सिर्फ़ पितृसत्तामक समाज का ज़हर धड़ल्ले से उड़ेला जाता है, बल्कि महिलाओं को उनके लुक्स के आधार पर नीचा दिखाने की हर मुमकिन कोशिश की जाती है.
किसी को लंबी, पतली तो किसी को गोरी दुल्हन चाहिए होती है. कुछ लोग तो कट्टर देशभक्त दुल्हन चाहते हैं. एक भाईसाहब ने तो ऐसी दुल्हन की फ़रमाइश कर दी, जिसे सोशल मीडिया की लत न हो. ये सिलसिला अभी भी जारी है. ताज़ा उदाहरण एक ‘Effluent’ Industrialist की तरफ़ से दिया गया शादी का विज्ञापन हैं, जिन्हें ‘गोरी दुल्हन की तलाश है.
हालांकि, इस एड में एक खेल हो गया. गोरी दुल्हन चाहने वाले इन महाशय ने एड में एक स्पेलिंग ग़लत लिख दी, जिसने न सिर्फ़ अर्थ का अनर्थ किया बल्कि सोशल मीडिया पर धर कर खिंचाई करवाने का मौका भी दे दिया.
आप में से जो लोग नहीं जानते हैं, उनके लिए ‘effluent’ का मतलब लिक्विड वेस्ट (कचरा) होता है, जो मुख्य रूप से कारखानों या सीवेज से आता है, जिसे नदी या किसी अन्य जल निकाय में डिस्चार्ज किया जाता है.
बस फिर क्या सोशल मीडिया पर बैठे लोग ऐसे ही मौकों की तो तलाश में होते हैं. जमकर हौकाई शुरू हो गई. लोगों ने कहा कि ज़ाहिर तौर पर ये शख़्स ख़ुद को Affluent यानि संपन्न लिखना चाहता था, लेकिन एक ग़लत स्पेलिंग ने शख़्स की सही पहचान उजागर कर दी.
ख़ैर, ये ग़लती भले ही मज़ाक का विषय बन गई हो, लेकिन ये विषय कतई मज़ाक का नहीं है. जिस देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा सांवले रंग का हो, वहां रंगभेद का ऐसा ज़हर पनपना पूरी दुनिया के लिए चौंकाने वाली चीज़ है. ये मूर्खतापूर्ण तो है ही साथ ही हमारी ख़ुद की पहचान के लिए भी बेहद ख़तरनाक है.