बीते कुछ दशकों में पत्रकारिता बदली है. आज जो ज़रूरी मुद्दे हैं, वो TRP और ट्विटर ट्रेंड की सूली चढ़ चुके हैं. पत्रकारिता, जो कभी जनहित की बातें करती थी, वो अब अधिकतर जनरुचि की बातें करती दिख रही है. इसी बदलाव के साथ धीरे-धीरे खोजी पत्रकारिता का मतलब भी बदल चुका है. जहां पहले इसका मतलब गुप्त तरीके से किसी स्कैम या सूचना का भांडाफ़ोड़ करना होता था, वो आज खोज के नाम पर गहरे समुद्र में लोगों की मान्यता खोज रही है.
हाल में आज तक ने एक शो बनाया जिसमें उनकी स्टार एंकर, श्वेता सिंह, स्कूबा डाइविंग करके समुद्र में श्री कृष्ण की द्वारका नगरी खोजने उतर गईं. ऐसा भी नहीं था कि हाल ही में मरीन आर्कियोलॉजी द्वारा कोई बड़ी खोज हुई हो, जिसके बाद सारे चैनल वो ख़बर कवर करें. आखिरी बार मरीन आर्कियोलॉजी साल 2007 में यहां सर्वे कर रही थी. दिलचस्प बात ये थी कि इस चैनल ने किस तरह शो में करोड़ों लोगों की आस्था का तड़का लगाया, कुछ धार्मिक गीत जोड़े और बाकी ग्राफ़िक्स की मदद से ख़ुद को TRP के मामले में नंबर 1 बना लिया.