वर्तमान में दिल्ली को बिना मेट्रो के इमैजिन भी नहीं किया जा सकता. इतने कम समय में मेट्रो दिल्ली की जान और पहचान बन चुकी है. मेट्रो में सफ़र करना मज़ेदार है, लेकिन इतने सालों से एक किस्म के अनाउंसमेंट सुन-सुन कर कान पक गए हैं. अब दिल और दिमाग़ कुछ नया मांगता है.
इसलिए हमने सैंपल के तौर पर ये कुछ शायरियों वाली अनाउंसेंट बनाई है, पसंद आए तो दाद ज़रुर दीजिएगा.
अगर मेट्रो में ऐसे अनाउंसमेंट होने लगें तो लोग सीट के लिए लड़ेंगे नहीं, बल्कि सीट से उछल-उछल कर वाह-वाह कहेंगे.