सुबह-सुबह घर से फ़ोन आया कि आज धनतेरस है, कुछ ख़रीद लेना. पहले तो खूब टाला फिर थोड़ी देर बाद हामी भरते हुए फोन काट दिया. आधे घंटे माथापच्ची किया तब भी नहीं सूझा क्या ख़रीदूं. जो ख़रीदने की चाहते थी, उसके लिए पैसे नहीं थे. जितने पैसे हैं, उतने में ढंग की चीज़ ख़रीदी नहीं जा सकती.
ख़्याली घोड़ा दौड़ाते-दौड़ाते में इस ख़्वाब तक पहुंच गया कि अगर मैं मुकेश अंबानी होता तो आज के दिन क्या ख़रीदता. मुकेश अंबानी का मतलब भारत का सबसे अमीर इंसान, इतना पैसा… इतना पैसा.. इतना पैसा कि बंदा बैंक को लोन दे कर वापस लेना भूल जाए. मैं अगर मुकेश इंसान बन जाऊं तो क्या ख़रीदता!
मैंने सोचा, सबसे पहले तो मैं Zomato Gold ख़रीदूंगा, फिर ख़ुद पर लानत भेजी कि जब मैं Zomato ही ख़रीद सकता हूं फिर ये चिंदीगिरी क्यों सोच रहा हूं. Zomato ख़रीदने से थोड़ा कॉन्फ़िडेंस आया, अब मैं मुड़ा दूसरी ओर वहां खड़ी दिखी मुझे ओला. इन्होंने बारीश में मुझसे 100 रुपये एक्स्ट्रा लिए थे, अब इनकी ख़ाली कैब को बारिश में इधर से उधर में मुफ़्त में दौड़ाऊंगा. ओला भी ख़रीद ली.
इतनी ख़रीदारी करने के बाद सोचा, अकाउंट में कितने पैसे बचे होंगे मेरे! फिर सेक्रिटेरी ने बताया कि सर आप जीतनी देर में पैसे चेक करेंगे, उतनी देर में उतने कमा चुके होंगे, शॉपिंग चालू रखिए. अबतक मुझे पैसों का घमंट हो चुका था, मैं सोचा ये सेक्रिटेरी मुझे बताएगा कि मुकेश अंबानी को क्या करना है, नौकरी से निकाल दिया.
फिर मैं ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए Amazon खोला, कुछ चीज़ें कार्ट में Add किया, पेमेंट ऑप्शन पर पहुंचते ही मेरे भीतर का अहंकार बोला, ‘Amazon’ ही ख़रीद लो. थोड़ा गूगल किया तो पता चला कि Amazon के मालिक के पास मेरे से ज़्यादा पैसा है. मेरा अहंकार को ठेस पहुंची, ये गूगल मुझसे बद्दतमीज़ी कर रहा है, इसे भी ख़रीदना पड़ेगा, उसका मालिक भी ज़्यादा अमीर निकला.
कुछ झटके खाने के बाद में मेरे ख़्याल का मुकेश अंबानी ‘डाउन टू अर्थ’ हो चुका था. अब मैं सोच रहा था कि पैसों की बर्बादी करनी ठीक नहीं, ये पैसे भी तो मेहनत से ही कमाए हैं, इसकी इज्ज़त करनी चाहिए. ज़्यादा दिखावा करने से कुछ फ़ायदा नहीं है. सिर झुका कर चलो, काम से काम रखो. इसलिए मुकेश अंबानी के तौर पर धनतेरस के दिन मैंने एक चांदी का सिक्का ख़रीदा. मेरे ख़्याली मुकेश अंबानी को मेरे मिडिल क्लास सोच ने ओवरटेक कर लिया था.