हमारे नेताओं की पर्सनैलिटी को बखूबी बयां करती हैं ये 9 सब्ज़ियां, न यक़ीन हो तो ख़ुद पढ़ लो

Abhay Sinha

हमारे देश के नेता बिल्कुल सब्ज़ियों माफ़िक हैं. आपको मेरी बात झूठ या बचकानी लग सकती है, मग़र सच है. आपके भोलेपन की कसम. हमारे माननीय पूरी तरह सब्ज़ियों के गुण लिए बैठे हैं. इतना ही नहीं, हमारा लोकतंत्र भी कोई देश चलाने की व्यवस्था नहीं है, बल्कि नेताओं को तैयार करने वाली वो कढ़ाई है, जिसका एक कान पकड़कर मांझा जाता है और दोनों कान पकड़कर आंच पर चढ़ा दिया जाता है.  

बस फिर लोकतंत्र में आग लगाइए और ख़ुद को मस्त सियासी रोटियों संग जनता के आगे परोस दीजिए. जनता भी खाने-पीने की शौकीन है, तो हर पांच साल में धोखा खा लेती है. सियासी मिर्च कितनी ही तीखी क्यों न लगे, पर कभी सिसियाती नहीं. ग़ुस्सा पीकर शांत हो जाती है.

अब कंफ़्यूज़न बस इतना है कि हमारे माननीय कौन-कौन सी सब्ज़ी का गुण लिए बैठे हैं? तो चलिए फिर आज अपने ख़लिहर दिमाग से इसी बात का विश्लेषण करते हैं. 

1. नरेंद्र मोदी – प्याज़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकदम प्याज़ हैं. अग़र आपको अच्छे खाने की ख़्वाहिश है, तो आप प्याज़ से चाहकर भी मुंह नहीं मोड़ पाते. बाकी इतिहास गवाह है कि प्याज़ का इस्तेमाल करने वाले रोते बहुत हैं. 

2. राहुल गांधी – टिंडा

कांग्रेसी जिसे इटैलियन पास्ता समझकर चापे पड़े हैं, वो राहुल गांधी हकीकत में टिंडा हैं. अब भले ही बाज़ार में ये कितना भी मिले, लेकिन इसे खाना कोई नहीं चाहता. बस ‘मम्मी’ ही हैं, जो ज़बरदस्ती इसके फ़र्जी गुण गिनाकर हमें खिलाने पर आमादा हैं.

3. असदुद्दीन ओवैसी – कटहल

जिस तरह कटहल को हिंदुओं का मीट कहा जाता है, वैसे ही ओवैसी को बीजेपी एजेंट. मतलब ये भला मानुष कहीं भी जाकर कितनी ही शिद्धत से चुनाव लड़ आए, इन्हें वोट कटवा ही क़रार दिया जाता है. यही वजह है कि ओवैसी मियां हिंदुओं का मीट यानि कटहल बनकर रह गए हैं.

4. अरविंद केजरीवाल- लॉकी

अरविंद केजरीवाल के साथ दिक़्क़त ये है कि वो हम भारतीयों के स्वादानुसार नही हैं. क्योंकि हम मसालेदार खाना खाकर अगली सुबह आग निकाल सकते हैं, लेकिन बेस्वाद लॉकी को अपनी कढ़ाई में कतई जगह नहीं दे सकते. फिर भले ही वो सेहत के लिए अच्छी क्यों न हो. 

5. मायावती – मिर्च

यूपी का इतिसाह पलटे तो मालूम पड़ जाएगा कि मायावती किसी मिर्च से कम नही हैं. सपा हो या कांग्रेस या फिर बीजेपी सभी कभी न कभी इनके तीखे सियासी स्वाद से सिसियाने पर मजबूर हुए हैं. 

6. अखिलेश यादव- धनिया

कभी मायावती इनको अपने साथ मिलाकर चटनी बनाए देती हैं तो कभी राहुल इनका गार्निंशिग की तरह इस्तेमाल करे ले रहे. अब डर का आलम ये है कि अखिलेश भइया की हरी-भरी जवानी फ़्रिज में ही पड़े-पड़े ठंडा रही है. 

7. योगी आदित्यनाथ – गाजर

योगी आदित्यनाथ वो गाजर हैं, जिसे खाने के बाद प्रदेशवासियों की आंखें खुल गईं. क्योंकि किसी को पहले उम्मीद नहीं थी कि सख़्त सी दिखने वाली गाजर का यूपी में ऐसा हलवा बंटेगा कि बीजेपी वाले ही डायबिटिक फ़ील करने लगेंगे.

8. अमित शाह – आलू

अपने अमित शाह तो यक़ीनन आलू हैं. काहे कि चुनावी सीज़न कोई भी हो, ये हर जगह मिलेंगे. बाकी कढ़ाई में आलू-प्याज का कॉम्बिनेशन तो सदियों पहले से ही घर-घर में इस्तेमाल होने लगा था और आज भी ये हर जगह हिट है.

9. ममता बनर्जी – पालक

ममता दी शत-प्रतिशत पालक हैं. क्योंकि मोदी जी से टक्कर लेने का आयरन केवल इनके पास ही है. अब भले ही पालक को ज़्यादा लोग खाना पसंद न करते हों, फिर भी सेहत की ख़ातिर उन्हें खाना ही पड़ जाता है. दिलचस्प ये भी है कि इसे न तो धनिया-मिर्च का मुंह तकना पड़ता है न ही किसी दूसरी सब्ज़ी की ज़रूरत है. हां, कुछ लोग आलू-पालक को मिलाकर खाने की ख़्वााहिश ज़रूर रखते हैं, लेकिन ये कॉम्बिनेशन शायद ही किसी को मज़ेदार लगे.

कुल जमा ये है कि नेता कोई भी सब्ज़ी हो, लेकिन इनको बनाने के लिए लोकतंत्र के नीचे आग लगना पहली शर्त होती है. इसलिए जनता को ध्यान रहे कि लोकतंत्र आंच पर चढ़ा है, हाथ में मत लें. वरना ख़ुद को जला बैठेंगे.

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