‘सिगरेट पीना ग़लत तो नहीं!’ वो क़िस्सा जिसने मेरे अंदर इस क्रांतिकारी सोच को जन्म दिया

Abhay Sinha

Smoking Cigarettes Is Wrong Or Not Funny Kissa: जब जवानी की मूंछ भी नहीं आई थी, तब से हमने सिगरेट की पूंछ पकड़ ली थी. मने कम उम्र में ही ज़िंदगी धुंआधार हो गई थी. घर पर पिता जी की मार से हमारे धुंए उड़ते थे और बाहर हम सुट्टा मारकर इलाका धुंआ-धुंआ करते थे.

tenor

यूं तो बालक हम बहुत क़ायदे के थे. मगर लौंडे-लपाड़ों के चक्कर में सिगरेट के लती हो गए. काहे कि दोस्त बता दिए थे कि मुंह पे सिगरेट हो तो लड़की के सामने भौकाल मेनटेन हो जाता है. अब बुद्धि हमारी थी बॉलीवुडिया तो सच मान लिए.

हालांकि, मन में एक अपराध बोध हमेशा रहा कि यार मैं क्यों सिगरेट पी रहा. अपने पूज्य पिता की गाढ़ी कमाई को इस तरह धुंए में उड़ाना कोई ठीक बात तो नहीं. फिर हेल्थ की भी टेंशन थी ही. मगर दोस्त बोले कि सिगरेट पीने से टेंशन का नाश होता है और हम नासपीटों की बात में आ गए.

Smoking Cigarettes Is Wrong Or Not Funny Kissa

हर गली-नुक्कड़ पर जाकर छुप-छुपाकर सिगरेट फूंक लेते थे. अंधियारे कोनों की हर गुमटी का पता हमें मालूम था. पिता जी के हाथों पेले न जाएं, इस बात का हमेशा ख़्याल रखते थे. सिगरेट की बदबू छुपाने को कभी इलायती ठूंसते थे तो कभी माउथ फ़्रेशनर फांक लेते थे.

स्वीटी सुपारी के रैपर में उंगली डालकर हाथ की बदबू दूर करते थे. उस वक़्त कोई कह देता कि सूअर की चुम्मी लेने से सिगरेट की बदबू चली जाती है तो हम वो भी कर लिए होते.

tenor

ख़ैर, जब तक घर पर रहे, ये भसड़ जारी रही. फिर पढ़ाई के नाम पर ज़िंदगी नरक करने दूसरे शहर आ गए. अब न तो कोई रोकने वाला और न ही ठोकने वाला. अकेले कमरे में लेटे-लेटे अपना भविष्य सुलगाया करते थे. कप, प्लेट, गिलास और यहां तक खिड़की की दराज तक को हमने एशट्रे बना डाला था.

रात-बिरात सिगरेट की तलब लग जाए तो बुझी सिगरेट के फ़िल्टर तक ढूंढ-ढूंढ कर फूंक डालते थे. पैसा कम पड़ने पर बीड़ी तक फूंकने से नहीं चूंके. एक बार तो सिगरेट ख़रदीने के लिए कबाड़ी वाले को ढूंढने निकल पड़े, ताकि रद्दी अख़बार बेच कर पैसों का जुगाड़ हो जाए.

इस बात का मेरी इमोशनल हेल्थ पर बड़ा असर पड़ा. मुझे लगा कि मैं किन अंधेरी राहों पर निकल चुका हूं, जहां सिवाए धुंए के कुछ नहीं. मुझे ख़ुद में मुकेश की कहानी नज़र आने लगी थी. मगर फिर मैंने सोचा कि मुकेश को तो कैंसर गुटखा चबाने की वजह से हुआ था. मैं तो सिगरेट पीता हूं.

pinim

ख़ैर, जब वापस घर लौटा, तब तक मैं एक परिपक्व सिगरेट बाज़ बन चुका था. अब छोटी गोल्ड के रूप में मेरा सिगरेट ब्रांड भी फ़िक्स था. अब किसी भी गुमटी पर जाकर ये कहने की ज़रूरत नहीं थी कि भइया छोटी गोल्ड दे दो. बस खड़े होते ही मेरा वाला ब्रांड हाज़िर था.

इस दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया. मैं एक गुमटी पर सिगरेट लेने पहुंचा. रात का वक़्त था और दुकान पर बैठी बुज़ुर्ग महिला मुझे बहुत ध्यान से देखने लगी. ख़ैर, मैंने उनसे कहा कि दादी ज़रा सिगरेट देना.

वो सिगरेट देने ही वाली थीं कि उनके हाथ रूक गए. बोलीं- तुम फलाने के पोते हो? मैं सकपका गया, क्योंकि, मेरे दादा जी को गुज़रे ज़माना हो गया था. मैं सोचने लगा कि ये औरत कैसे उन्हें जानती है, कहीं कोई पुरानी आशिक़ी का मामला तो नहीं?

मगर मेरा शक़ बेबुनियाद निकला. उन्होंने बताया कि जब वो क़रीब 50-55 साल पहले शादी कर इस गुमटी पर बैठी थीं, तब मेरे दादा जी यहां सिगरेट पीने आते थे. उस ज़माने में Capstan उनका फ़ेवरेट ब्रांड हुआ करता था. फिर बोलीं कि तुम्हारे पिता जी भी यहां मुझसे ही सिगरेट ख़रीदते थे. वो भी Capstan ही पीते थे. मगर अब नहीं आते. मैंने कहा कि हां दादी, उन्होंने तो सिगरेट बहुत पहले छोड़ दी.

imgur

दादी से बात करते-करते मेरी सिगरेट ख़त्म हो गई. मैंने उन्हें 100 का नोट दिया तो वो बोलीं कि टूटे नहीं है. मैंने कहा रख लो मैं बाद में लूंगा. मगर सच तो ये है कि उस दिन मैंने सिर्फ़ बचे पैसे दुक़ान पर नहीं छोड़े, बल्क़ि अपना अपराध बोध भी दुक़ान पर ही छोड़ आया.

मुझे लगा यार इस गुमटी पर मेरे खानदान की तीन पीढ़ियां आई हैं. सोचो अगर मैं सिगरेट नहीं पीता तो अपने खानदान की परंपरा को आगे बढ़ाने से चूक गया होता. और खानदानी परंपरा को आगे बढ़ाना कोई अपराध तो नहीं है. हां, अफ़सोस बस इतना रहा कि मेरी दो पीढ़ियों के ब्रांड मुझसे नहीं मिलते थे. आधुनिकता ने छोटी गोल्ड वाली नयी पीढ़ी को Capstan वाली पुरानी पीढ़ी से अलग कर दिया.

चेतावनी- ये आर्टिकल महज़ हंसने-खिलखिलाने के लिए लिखा गया है. बावले होकर सिगरेट न फूंकने लगना. अगर फूंक रहे हो तो तुरंत छोड़ दो. क्योंकि, सिवाए कैंसर के सिगरेट कुछ नहीं देगी.

ये भी पढ़ें: भारतीय शादियों में होने वाली ये 7 खुरपेंचें आपको किसी भी फ़िल्म में देखने को नहीं मिलेंगी

आपको ये भी पसंद आएगा
इन 20 भोजपुरी फ़िल्मों के नाम पढ़ कर ऐसी हंसी छूटेगी कि जबड़ा रहम की भीख मांगेगा
नाम बदलने के दौर में अगर मुगल शासकों के नाम बदले जाएं तो क्या होंगे, देखें हमारी सिरफिरी कलाकारी
जानिए कौन है ‘Doge Meme’ के पीछे का असली डॉगी और कैसे ये बन गया Meme World का बड़ा चेहरा
‘पठान’ के Besharam Rang पर यूज़र्स ने बनाए ऐसे-ऐसे Memes, दीपिका-शाहरुख भी देखकर हंस देंगे
पाकिस्तानी शख़्स को इंटरनेट पर मदद मांगना पड़ा भारी, Photo Edit कराने के चक्कर में हो गई छीछालेदर
SRK Bad Habits: शाहरुख़ ख़ान की वो 6 बुरी आदतें, जिन्हें वो अकेले ही करना पसंद करते हैं