21 अक्टूबर को हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए, आज वोटों की गिनती हो रही है. टीवी चैनल खोल कर देखिए तो लगता है नहीं कि दो राज्यों में चुनाव हुए हैं. सब जगह बस हरियाणा की बात हो रही है. महाराष्ट्र में सीधे-सीधे सरकार बन रही है, एंकर को इसपर बात करने में मज़ा नहीं आ रहा. जिसकी सरकार थी वो दोबारा सरकार बना रही है, सिंपल.
हरियाणा पर गॉसिप करनें में मज़ा आ रहा. भाजपा के नेताओं से ढूंढ-ढूंढ कर बाईट ली जा रही है. कांग्रेस वालों को ऐसे देखा जा रहा है जैसे कोई शेर मार दिया हो और नई नवेली पार्टी जननायक जनता पार्टी दस सीटों पर बढ़त बनाने के बाद ऐसे चौड़े हो रहे हैं जैसे यही सबसे पहले सरकार बनाने का दावा पेश कर आएंगे.
जब जब सरकार बनाने में कुछ विधायक कम पड़ने लगते हैं. सोशल मीडिया पर विधायक-रिसॉर्ट और अमित शाह जोक की फ़सल लहलहा उठती है. ये सब मान चुके हैं कि भारतीय लोकतंत्र में विधायकों की ख़रीद-बिक्री तो होती ही हैं और अमित शाह सबसे बढ़िया डील क्रैक करते हैं.
चैनल बदलते-बदलते एक एंकर हरियाणा की स्थिति को समझाने के लिए दर्शकों से ही पूछ रहे थे कि चाबी बड़ी होती है या ताला? अच्छा हुआ किसी ने जवाब नहीं दिया कि फेंक कर मारो, जिससे ज़्यादा तेज़ चोट लगी वो बड़ा हुआ.
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा से जब एक चैनल पर हरियाणा के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि हरियाणा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और नियम के हिसाब से राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता देते हैं. जब एंकर ने हाल ही घटी गोवा की कहानी याद दिलाई तब संबित पात्रा जी सकपका से गए.
चुनाव परिणाम लोकतंत्र का सबसे बढ़िया सर्कस लगता है. सबकुछ हो चुका होता है, अच्छे बुरे भाषण का दौर जा चुका होता है, कोई बयानबाज़ी नहीं. टीवी पर एंकर्स भी हंसते हुए दिखते हैं. प्रवक्ता सारे लोकतंत्र की जीत बताते हैं, हारने वाले जनता के फ़ैसले को स्वीकार करते हैं, जीतने वाले जीत का क्रेडिट सब में बांट देते हैं. सब कुछ हंप्टी डंप्टी सा चलता है. इतने खुशनुमा माहौल को और मनोरंजक बनाने के लिए स्टूडियों में हास्य कवि बुलाए जाने लगे हैं. दो तीन चुनाव के बाद ऑरकेस्ट्रा पार्टी भी दिख सकती है, सब लोकतंत्र की लीला है.
सोशल मीडिया पर जोक के कैसे रुझान आ रहे हैं, वो भी देखिए.