हाल ही में मैंने इंसानों के साथ बात करना छोड़ दिया था. सोचा था कि इत्ती रोंदड़ी प्रजाति के साथ अपना टाइम वेस्ट करना ही नहीं. अपने को भी लाइफ़ में कुछ हेल्दी कन्वर्सेशन मंगता था.
लेकिन मुझे क्या मालूम था कि इंसानों की दुनिया से ज़्यादा क्रांति का माहौल तो जीव-जंतुओं की दुनिया में चल रहा है. यक़ीन मानिए, हर प्राणी हम इंसानों से एकदम उकताया बैठा है. इतना कि कभी भी सत्ता पलट संभव है. जानवर एकदम भरे बैठे हैं, ख़ासकर गधे. वो हम इंसानों को आजकल अपना सीधा प्रतिद्वंदी समझते हैं.
दूसरी प्रजातियों में भी सेम टू सेम ग़ुस्सा नज़र आ रहा है. आइये, आपको भी बताते हैं कि कौन-कौन से प्राणी और काहे हमें इत्ता गरियाए पड़े हैं.
1. कबूतर
कबूतर तो मतलब बात कम गाली ज़्यादा दे रहा था. बोला, तुम इंसानों की तो “गुटुर-गुटुर”, साला तुम लोगों की मुंहपेलई ने हमे कबूतर से ख़बरी बना छोड़ा है. उड़े नहीं कि लोग गाने लगे, ‘उड़ता है कबूतर कोई तो है चक्कर’. अबे काहे का चक्कर बे, बस सामने वाली के सिर पे बीट करने ही तो जा रहे थे.
तुम्हारे ‘कबूतर जा-जा’ के चक्कर में तो अब हमारी महतारी गरियाने लगी है. कहत है दुई दाना लाने को बोल दें, तो मौत आने लगती. और फ़िल्मों में ये मुआ जा-जा कर चिट्ठियां पहुंचाता है. लौंडे सेट करवाएगा, आया बड़ा पोस्ट मैन की औलाद.
2. चींटी
चींटिया तो मतलब अपनी छइयों टांगे लिए हमें लतियाने को ढूंढ रही हैं. बोली, सुबह-शाम कप भर-भर के चाय पीते हो और हम ज़रा सा उमा डुबकी लगा देई तो तुरंत उंगलीबाजी शुरू कर देते. कभी उंगली मार-मार डुबोते हो तो कभी साइड में चिपका के खींच लेते. नासपीटों मन तो करता है कि तुम इंसानों के मुंह पर एक फ़्लाइंग किक जड़ दूं.
3. कौआ
कौए तो और बवाल काटे पड़े हैं. बोले कि हम भइया इधर कांओ-कांओ करे नहीं कि उधर ये ससुरे मेहमान की राह तकने लगते हैं. अबे इनके लखैरे रिश्तेदारों का ठेका लिए हैं क्या, साला मुख़बिर ही समझ लिया. ऊपर से झूठ कोई और बोले और ये सनकी हमें काटने को बोलते. अबे मतलब कुत्ता ही समझ लिए हो का?
4. बिल्ली
बिल्ली मौसी म्याऊं-म्याऊं. अबे भक्क. काहे कि मौसी रे. ख़ुद की पनौती जैसी शक्ल लेकर हमें मनहूस बोलते हो. रास्ता काट दें, तो लुल्ल ऐसे खड़े हो जाते. अरे मन तो करता है, उसी रास्ते पर गिरा-गिरा के कूटे तुमको. मार पंजा अनुपम खेर बना दें.
5. कुत्ता
कुत्ते तो मतलब रो पड़े. कहने लगे भाई इत्ती बेज़्ज़ती होती है कि बता नहीं सकते. अभी दुई दिन पहले सामने वाली मोड़ पर हमारी दो फ़ीमेल दोस्त खड़ी थीं. हम और शेरू चुपचाप इश्क़ फ़रमा रहे थे कि इत्ते में एक इंसान हमें पुचकार दीहिस. हम सोचे कोई काम रहा होगा तो चले गए. साला वहां गए तो मुंह पर जूता रखकर बोला जाओ. अबे ये क्या रंगबाज़ी थी? भाई हमारी वाली देखकर हंसने लगीं. बोलीं, अब 14 इंजेक्शन के ज़माने गए, अब तो ऐसे ही जुतियाए जाओगे.
6. गाय
गायों का तो पूछिए ही मत. आए दिन अपने बारे में अनाप-शनाप बातें सुनकर गायों का ग़ुस्सा भड़क उठा है. इत्ता माइंड उनका ख़राब हो गया है कि सड़कों पर गों-गों कर गरिया रही हैं. बोलती हैं भाईसाब, इस ससुरी राजनीति ने हमें कहीं का न छोड़ा. आए दिन हर अख़बार, टीवी पर अपने गोबर और मूत्र की बात सुन-सुन कर इत्ती बेज़्ज़ती लगती है कि पूछो नहीं. आप हई बताइए, ऐसन टीवी पर कभी किसी इंसान का कुछ किया-धरा दिखाया जाए तो कैसा लगेगा.
अभी कल की ही बात है. एक इंसान मेरे पीछे खड़े होकर जबरदस्ती गोबर करने को कहने लगा. बताओ बेशर्मी की भी हद होती है? तुम लोगों को क्या बताई बड़ा अजीब लग रहा था. हमाए तो उतरी ही नहीं.
7. तितली
तितली से बात करने पहुंचा ही था कि बिना कुछ बोले मेरे मुंह पे ‘पर’ जड़ दीहिस. बोली ये बताओ ‘तितली उड़ी बस, पे चढ़ी, ड्राइवर ने कहा आजा मेरे पास, तितली कहे चल हट बदमाश’… ये कौन सी रंगबाज़ी पेलते हो तुम लोग. नहीं, मतलब ये कौन ससुरा ड्राइवर है जो हमें छेड़ रहा और हमें ही नहीं ख़बर. और हम बस पर चढ़ेंगे ही क्यों? मैंने कहा पर… बोलीं मेरे ‘पर’ से तेरा क्या बे. तू जवाब दे.
8. गधा
यक़ीन मानिए इन सबका ग़ुस्सा देख मेरी तो हालत पतली हो गई. मैं निकल ही रहा था कि इत्ते में किसी ने पीछे से लतिया दिया. देखा तो सामने गधा खड़ा. हम कहे काहे महाराज हमसे क्या ख़ता हो गई. बोला- अबे तुमसे नहीं हुई, हम तो देख रहे थे कि इंसानों को लतिया कर कैसे फ़ील होता है बे.
बाकी नराज़ तो हम भी हैं गुरू. काहे कि साला चुनाव में तुम लोग हमारा इस्तेमाल करते हो, लेकिन जब कुर्सी देने के बारी आती है तो हमारे सबसे बड़े प्रतिद्वंदियों को आगे कर देते. गायों को कम से कम गोमाता का दर्जा दिला दिए, लेकिन हमें तो आज भी खुलेआम बेवकूफ़ बोला जाता. अमा अपने नेताओं से हमारा आईक्यू की तुलना करा लो, दुई-चार प्वाइंट ज़्यादा ही निकलिए. काहे कि हम तो बस घोंचू-घोंचू करते हैं, बाकी तुम्हारे वाले तो वाकई में घोंचू हैं.