Worst Designed Dresses: कार्ल मार्क्स बाबू धर्म को अफ़ीम बताए थे, मगर हम उनसे सहमत नहीं. काहे असली अफ़ीम तो फ़ैशन है, जिसके नशे में आदमी कुछ भी अंट-शंट कर बैठता है. मतलब ऐसे-ऐसे आउटफ़िट्स पहनकर लोग निकल पड़ते हैं, जिन्हें कोई भी शुद्ध बुद्धि का आदमी पहनने को सोचे भी न. बशर्ते वो दिमाग़ से चवन्नी कम न हुआ हो, जैसे कि ये लोग हैं. अमा हां, एकदम ही कूड़ा ड्रेसिंग सेंस है.
भइया ये लोग ऐसे-ऐसे अतरंगी और वाहियात आउटफ़िट्स पहनकर घूम रहे हैं, जिन्हें देखने के बाद आंखे क़यामत तक तौबा-तौबा करती रहेंगी.
Worst Designed Dresses: तो चलिए आप भी लीजिए इन लोगों महा-वाहियात ड्रेसिंग सेंस का लुत्फ़-
1. पता नहीं कहां काई में लोटकर आ गईं मैडम!
2. इस ड्रेस को देख कर उल्टी भी आ सकती है.
3. ऐसा फ़ैशन करोगे तो जैकेट ही हग करेगी, दुनिया नहीं.
4. कुछ भी!
5. इन महाशय को क्या तकलीफ़ है भई?
6. ये ड्रेस सिलकर बनाई गई है या फाड़कर?
7. फ़ैशन यही है, जो मन करे उठाकर सिल दो.
8. लग रह हवा भर के फुलाई गई है ये ड्रेस.
9. अपने यहां कोई जून की दोपहरी में इसे पहन ले, तो पगला ही जाए.
10. अरे इसको क्या हो गया?
11. मोहतरमा ने तो निशब्द ही कर दिया.
12. ये तो लग रहा सोफ़े का कुशन उठाकर लगा ली हैं.
13. बेचारोंं जानवरों को तो बख़्श दो, उनका ऐसे फ़ैशन से कोई लेना-देना नहीं.
14. कुछ भी लपेट लो, रैंप पर सब फ़ैशन ही कहलाएगा.
15. दोस्त, पर्यावरण से इतना प्यार भी ठीक नहीं!
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ऐसा सेंसलेस ड्रेसिंग सेंस भगवान किसी को न दे.