पूरे देश में लॉकडाउन लगाना कोई आसान काम नहीं होता है. अर्थव्यवस्था की हालत बहुत ख़राब हो जाती है और आख़िरकार दुकानें खोलनी पड़ती हैं, रेलवे और उड़ानें शुरू करनी पड़ती हैं.
हालांकि, इसका ये मतलब कतई नहीं होता कि सब-कुछ ठीक हो गया है और बाहर वायरस का नामों-निशान मिट गया है. लेकिन हम में से बहुत ये बात मानने को तैयार नहीं है. लॉकडाउन में ढील देने के साथ ही हमने Social Distancing के नियमों की कैसी धज्जियां उड़ाई हैं, नीचे दिए गए उदाहरण इसी बात के सुबूत हैं:
1. प्लेन के रुकते ही सबसे पहले उतरना है क्योंकि Social Distancing का आचार डाला जा चुका है
2. ठेके खुलते ही शराब लेने के लिए लंबी लाइनों में खड़े मिले हज़ारों लोग
3. सब घर से ऐसे निकले कि सड़कों पर जगह कम पड़ गई
4. मुंबई में हज़ारों लोग टहलने के लिए निकले जबकि महाराष्ट्र में कोरोना पॉज़िटिव लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है
5. लाइन या दूरी बनाए रखने के बारे में लोग शायद भूलने लगे हैं
6. लॉकडाउन में ढील के बाद हावड़ा बस स्टॉप पर बस पकड़ने को जुटे यात्री
7. राजस्थान में महाराणा प्रताप की मूर्ति के अनावरण समारोह में जुटी भीड़
8. TDP प्रमुख चंद्र बाबू नायडू का स्वागत करते वक़्त किसी को Social Distancing की याद भी नहीं आई
9. इनको ‘कोरोना थीम’ पार्टी करनी है!
10. सड़क पर Push-Ups लगा के इन बॉडी बिल्डर्स ने जिम बंद रखने के खिलाफ़ अपना विरोध जताया (उनकी नाराज़गी को समझा जा सकता है, फिर भी अभी ऐसे विरोध व्यक्त करना कहां तक उचित है).
क्या हम ‘महामारी’ को सही अर्थों में समझ नहीं पायें हैं?