समाज की कड़वी हक़ीक़त और इंसानों के अंदर छिपे हैवान से रूबरू कराती हैं मन्टो की ये 11 लघु कथाएं

Sanchita Pathak

हमें हमेशा ये बताया गया है कि अंधे को अंधा, बहरे को बहरा और नंगे को नंगा कहना बुरा है. पर मन्टो जो जैसा है उसे वैसा ही कहते थे. उनकी कहानियों को आप पसंद कर सकते हैं और अश्लील भी कह सकते हैं, पर उनकी कहानियों को आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं. विभाजन के बाद के हालात का जो वर्णन उन्होंने किया है वो जितना दर्दनाक है उतना ही सच है. नंगे समाज को जामा पहनाने का ठेका नहीं ले रखा है, ऐसा वो कहते थे. पर असल में उन्होंने नंगे समाज को आईना दिखाया था.

दुख की बात है कि आज मन्टो को और उनकी कहानियों को लोग भूलते जा रहे हैं. हद तो तब हो गई जब एक महिला ने ख़ुद को ‘लेडी मन्टो’ कह दिया. ख़ैर, अगर आप भी उनमें से हैं जो पूछते हैं कि ये मन्टो क्या है, तो पढ़े उनकी 10 लघु कथाएं. इन्हें पढ़ने के बाद आप मन्टो की अन्य कहानियां बिना पढ़े नहीं रह पाएंगे.

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