केरल की कई उपलब्धियां हैं, उनमें से एक है ट्रांसजेंडर्स के हक़ मे आवाज़ उठाते रहना. जहां पूरे देश में इस मुद्दे पर सरकारें चुप्पी साध लेती है या ट्रांसजेंडर विरोधी फ़ैसलें लेती है, वहां केरल नई मिसालें पेश करता रहता है.
इन ग्यारह मौकों पर केरल ने ट्रांसजैंडर्स के लिए आवाज़ बुलंद की है.
1. ट्रांसजैंडर पॉलिसी
2015 में केरल ही देश में पहली बार ट्रांसजेंडर पॉलिसी लेकर आया था. इस पॉलिसी में सभी श्रेणियो में ट्रांसजेंडर्स को शामिल किया गया था. इसके तहत अल्पसंख्यक ग्रुप को ये अधिकार भी दिया गया कि वो अपनी पहचान एक पुरुष, महिला या ट्रांसजेंडर के रूप में भी कर सकते हैं.
2. ब्यूटी पेजेंट
The Dhwayah Arts And Cultural सोसायटी ने राज्य में पहली बार ट्रांसजेंडर ब्यूटी पेजेंट प्रतियोगिता करवाई थी.
3. पेंशन
60 से ज़्यादा उम्र के ट्रांसजेंडर्स को केरल में पेंशन देने का प्रावधान राज्य सरकार 2016-17 बजट में लेकर आई. इन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए पेंशन की शुरुआत की गई.
4. स्कूल
सहज इंटरनेश्नल देश का पहला ट्रांसजेंडर रेसिडेंशियल स्कूल है. यहां ट्रांसजेंडर बच्चे राष्ट्रिय खुला विद्यालय व्यव्स्था के तहत पढ़ाई कर सकते हैं और परीक्षा दे सकते हैं.
5. स्वास्थ्य
सरकारी अस्पतालों में ख़ास ट्रांसजेंडरों के लिए मुफ़्त स्वास्थ्य सेवा महैया कराई जाती है. इसकी शुरुआत सितंबर 2017 में Kottayam Medical College खोल कर की गई थी.
6. न्याय
ट्रांसजेंडर्स से जुड़े मामले जिनमें भेदभाव और हिंसा मुख्य बिंदु होते हैं, उन्हें Justice Board For Transgenders के सामने पेश किया जाता है. उन्हें क़ानूनी मदद भी मुफ़्त में मुहैया कराई जाती है.
7. खेल
केरल के स्पोर्ट्स काउंसिल ने ट्रांसजेंडरों के लिए पहला राज्य स्तरीय खेल आयोजन किया था. इसमें 14 ज़िलों से 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया था.
8. न्युट्रल फ़ुटबॉल
10 फरवरी, 2016 को मल्लापुरम में एक ऐतिहासिक नज़ारा देखा गया.पहली बार महिला. पुरुष और ट्रांसजेंडर कंधे से कंधा लगा कर आपस में फ़ुटबॉल खेल रहे थे.
9. मैगज़ीन
वनिता पत्रिका ने पहली बार एक ट्रांसजेंडर को अपने कवर तस्वीर में छापा.
10. नौकरी
केरल में कोच्ची मेट्रो की शुरुआत 23 ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के रूप में हुई थी. ये देश का इकलौता सरकारी संस्थान भी है, जिसमें 80 प्रतिशत महिला कर्मचारी काम करती हैं.
11. G-Taxi
इस राज्य के पास एक ऐसी टैक्सी सर्विस भी है, जो पूरी तरह से ट्रांसजेंडर्स के देख-रेख में चलती है.
जहां देश ने सफ़र की शुरुआत तक नहीं की, केरल ने एक लंबा रास्ता तय कर लिया है.