बचपन में लाइट जाने पर क्या करते थे? लोगों ने यादों का पिटारा इन 15 जवाबों के रूप में खोल दिया

Kratika Nigam

ज़िंदगी का पन्ना जब भी बचपन पर रुका उससे हमेशा कुछ मासूमियत भरा ही दिखा. बचपने में कोई झूठ नहीं होता कोई छल नहीं होता, बस वो बचपन होता है. जिस दोस्त से लड़ाई हुई अगले दो मिनट में दोस्ती हो गई. आज तो अगर गुस्सा भी हो जाओ, तो कोई नहीं आता एक-दूसरे से दोस्ती करने.

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दोस्ती पर जगजीत सिंह की ग़ज़ल की पंक्तियां,

ये दौलत भी ले लो, ये शौहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो बचपन की यादें, वो क़ागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी… एक दम सही है.

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मैंने जितना अपने आस-पास से देखा मुझे पता चला ज़िंदगी का एक ऐसा पड़ाव है जिस पर सबको दोबारा जाने का मन करता है. इसलिए मैंने लोगों को उनके बचपन की याद दिलाई और पूछ लिया एक सवाल, बचपन में जब रात में लाइट चली जाती थी, तो आप लोग क्या-क्या करते थे?

सबने इस सवाल का टूटकर जवाब दिया, जबकि बदले में उन्हें सिर्फ़ बचपन की यादें मिलाी थीं.  

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