वो 15 सशक्त महिलाएं, जिन्होंने भारत के संविधान के स्वर्णिम अक्षरों को लिखने में अहम भूमिका निभाई

Sanchita Pathak

भारत का संविधान…

संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित किया गया और 26 जनवरी 1950 से ये प्रभाव में आया. पूरी दुनिया में सबसे बड़ा है भारत का संविधान.संविधान सभा के 389 सदस्य थे.

CAD India

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को हम संविधान के मुख्य रचयिता के रूप में जानते हैं. कुछ अन्य पुरुष सदस्यों के बारे में भी हमने सुना है लेकिन 389 सदस्यों में से सभी पुरुष नहीं थे, 15 महिलाएं भी थीं जिन्होंने संविधान बनाने में सहायता की.

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1. दुर्गाबाई देशमुख

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15 जुलाई, 1909 को राजमंद्री में दुर्गाबाई का जन्म हुआ. 12 साल की उम्र में ही उन्होंने ‘आंध्र केसरी’ टी. प्रकासम के साथ ‘असहयोग आंदोलन’ में हिस्सा लिया. मई 1930 में मद्रास में उन्होंने नमक सत्याग्रह में भी हिस्सा लिया था. दुर्गाबाई ने 1936 में ‘आंध्र महिला सभा’ की स्थापना की.

दुर्गाबाई योजना आयोग, संसद, आंध्र एजुकेशनल सोसाइटी की भी सदस्या थी.1975 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से नवाज़ा था.

2. मालती चौधरी

Nua Odisha

पूर्व बंगाल(अब बांग्लादेश) के समृद्ध परिवार में मालती का जन्म हुआ. 1921 में, 16 साल की उम्र में मालती को विश्व भारती में पढ़ने के लिए शांतिनिकेतन भेजा गया.

मालती ने नबक्रुष्ण चौधरी से विवाह किया जो आगे चलकर ओडिशा के मुख्यमंत्री बने. नमक सत्याग्रह के दौरान मालती अपनी पति के साथ इंडियन नेशनल कान्ग्रेस से जुड़ी.

1933 में उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर ‘उत्कल कान्ग्रेस समाजवादी कर्मी संघ’ की स्थापना की. 1934 में गांधी जी की ओडिशा ‘पदयात्रा’ में मालती भी उनके साथ थी. पिछड़े समुदायों के उत्थान के लिए भी मालती ने कई संस्थाएं बनाई. इमरजेंसी का विरोध करने के लिए मालती को जेल भी जाना पड़ा.

3. रेणुका रे

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ICS सतीश चंद्र मुखर्जी और समाज सेविका चारुलता मुखर्जी की बेटी थी रेणुका. London School of Economics से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे All India Women’s Conference के साथ लीगल सेक्रेटरी के रूप में जुड़ी.

1943-46 के बीच वे Central Legislative Assembly, Constituent Assembly और Provisional Parliament की सदस्य रही. 1952-57 के बीच उन्होंने पश्चिम बंगाल विधान सभा में Minister for Relief & Rehabilitation के तौर पर काम किया. 1957 और 1962 में वे मालदा से लोक सभा की सदस्य रही.

4. सुचेता कृपलानी

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1908 में अंबाला में सुचेता का जन्म हुआ. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. 1940 में उन्होंने कान्ग्रेस पार्टी की महिला विंग का गठन किया.

आज़ादी के बाद सुचेता, नई दिल्ली से सांसद बनी. 1967 तक वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही. वे भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थी.

5. हंसा जीवराज मेहता

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बरोडा के दीवान, मनुभाई नंदशंकर मेहता की संतान हैं हंसा जीवराज मेहता. 3 जुलाई, 1897 को जन्मी हंसा ने इंग्लैंड से पत्रकारिता और समाजशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की. समाज सुधारक, सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ ही वो एक शिक्षिका और लेखिका भी थी.

उन्होंने गुजराती में कई अंग्रेज़ी किताबों का अनुवाद किया.

1945-1960 के बीच उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में बड़े ओहदे संभाले, बरोडा के महारजा सयाजीराव विश्वविद्यालय की वो वाइस चांसलर भी थी.

6. दक्षायनी वेलायुधन

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कोच्चि में 4 जुलाई, 1912 को दक्षायनी का जन्म हुआ. दक्षायनी पुलाया समुदाय से थीं. इस समुदाय के साथ बहुत भेदभाव किया जाता था. अपने समुदाय से शिक्षा पाने वाली और शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकने वाली वो पहली महिला थी.

1945 में दक्षायनी को राज्य सरकार ने कोच्चि विधान सभा के लिए नॉमिनेट किया. 1946 में संविधान सभा के लिए चुनी गई वो इकलौती दलित महिला थीं.

7. पूर्णिमा बैनर्जी

पूर्णिमा इंडियन नेशनल कान्ग्रेस कमिटी की सेक्रटरी थी. आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने वाली कई कट्टरपंथी महिलाओं में से एक पूर्णिमा भी एक थी.

‘सत्याग्रह’ और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा लेने के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा. संविधान सभा में उनके भाषणों में समाजवादी विचारधारा साफ़ तौर पर नज़र आती है.

8. सरोजनी नायडू

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13 फरवरी, 1879 को सरोजनी नायडू उर्फ़ ‘भारतीय कोकिला’ का जन्म हैदराबाद में हुआ. इंडियन नेशनल कान्ग्रेस की प्रेसिडेंट बनने वाली वे पहली महिला थी.

लंदन के King’s College और कैंब्रिज के Girton College से पढ़ाई ख़त्म करने के बाद 1924 में सरोजिनी ने दक्षिण अफ़्रीका, उत्तरी अमेरिका का सफ़र किया. जगह-जगह जाकर उन्होंने भारत में चल रहे आंदोलन के बारे में लोगों को बताया.

ग़ैर सरकारी गतिविधियों के लिए वे कई बार जेल गई. 1931 में Round Table Conference के दूसरे सेशन में सरोजिनी भी बापू के साथ गई.

9. विजयलक्ष्मी पंडित

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18 अगस्त, 1900 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में विजयलक्ष्मी का जन्म हुआ. भारत के पहले प्रधानमंत्री की बहन, विजयलक्ष्मी को भी अंग्रेज़ों ने कई बार जेल भेजा.

इलाहाबाद म्युनिसिपल बोर्ड में सेलेक्श के साथ विजयलक्ष्मी के राजनैतिक करियर की शुरुआत हुई. 1936 में उन्हें Assembly of the United Provinces में चुना गया और 1937 में वो Minister of Local Self-Government & Public Health बनी.

कान्ग्रेस पार्टी के कई अन्य नेताओं की तरह उन्होंने भी द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत के भाग लेने के विरोध में अंग्रेज़ सरकार को अपना इस्तीफ़ा दे दिया. 1953 में उन्हें UN General Assembly का प्रेसिडेंट चुना गया.

10. अम्मु स्वामिनाथन

News 18

पालघाट, केरल में एक हिन्दू परिवार में अम्मु स्वामिनाथन का जन्म हुआ. 1917 में एनि बेसेंट, Margaret Cousins, Malathi Patwardhan, श्रीमति दादाभोए और श्रीमति अम्बुजम्मल के साथ मिलकर अम्मु ने, मद्रास में Women’s India Association की स्थापना की. 1946 में अम्मु मद्रास चुनवा क्षेत्र से, संविधान सभा की सदस्य बनीं.

संविधान सभा में एक भाषण के दौरान अम्मु ने कहा,

बाहर के लोग ये कहते हैं कि भारत में स्त्रियों को अधिकार नहीं दिया जाता. अब हम कह सकते हैं कि जब हम भारतीयों ने ख़ुद अपना संविधान बनाया है तो हमने भारतीय नारियों को भी अन्य देशवासियों की भांति ही समान अधिकार दिया है.

अम्मु को 1952 में लोकसभा और 1954 में राज्यसभा का सदस्या चुना गया.

11. बेग़म एज़ाज़ रसूल

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एज़ाज़ मालेरकोटला के शाही घराने से थीं और नवाब एज़ाज़ रसूल की बेग़म थी. संविधान सभा की वो इकलौती मुस्लिम महिला सदस्य थी. Government of India Act 1935 बनने के बाद अपने पति के साथ वो मुस्लिम लीग से जुड़ गईं. 1937 के चुनाव के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश विधान सभा का सदस्य चुना गया.

1950 में मुस्लिम लीग टूट गई और बेग़म एज़ाज़ कान्ग्रेस से जुड़ गई. 1952 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया और वो 1969 से 1990 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा की सदस्या रहीं. 2000 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया.

12. लीला रॉय

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असम के गोआलपाड़ा में 1900 में लीला रॉय का जन्म हुआ. लीला के पिता डिप्टी मेजिस्ट्रेट थे लेकिन देशभक्त थे. Bethune College से 1921में ग्रैजुएशन करने के बाद वे All Bengal Women’s Suffrage Committee की असिस्टेंट सेक्रेटरी बनी.

1923 में दोस्तों के साथ मिलकर ‘दिपाली संघ’ की और स्कूलों की स्थापना की जहां राजनैतिक मुद्दों पर चर्चाएं होती थी. 1937 में वे कान्ग्रेस से जुड़ी. लीला नेताजी द्वारा बनाए गए Women’s Subcommittee की सदस्या बनी और जब 1940 में नेताजी जेल गए तब उन्हें Forward Bloc Weekly का एडिटर बनने के लिए नॉमिनेट किया गया..

भारत छोड़ने से पहले पार्टी की बागडोर नेताजी ने लीला और उनके पति को सौंपी.

13. राजकुमारी अमृत कौर

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2 फरवरी, 1889 को लखनऊ में राजकुमारी अमृत कौर का जन्म हुआ था. वो भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री थी. कपूरथला के महाराजा हरनाम सिंह की बेटी, अमृत कौर की पढ़ाई इंग्लैंड में हुई थी. बापू के साथ काम करने के लिए उन्होंने ये सभी एश-ओ-आराम त्याग दिए.

उन्होंने AIIMS की स्थापना की. स्त्रियों के उत्थान के लिए भी उन्होंने काम किया. Tuberculosis Association of India, the Central Leprosy & Research Institute की भी स्थापना अमृत कौर ने की.

14. एनी मस्कराने

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एनी का जन्म एक लेटिन कैथलिक परिवार में तिरुवनंथपुरम में हुआ था. त्रावणकोर स्टेट कान्ग्रेस से जुड़ने वाली पहली महिलाओं में से वो एक थी.

भारत से त्रावणकोर राज्य के समन्वय में एनी की अहम भूमिका थी. 1951 में हुए भारत के पहले आम चुनाव में वे केरल से पहली महिला सांसद चुनी गई

15. कमला चौधरी

लखनऊ के जाने-माने घर में कमला का जन्म हुआ लेकिन शिक्षा ग्रहण करने के लिए उन्हें भी काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. परिवार के अंग्रेज़ों के प्रति प्रेम को नकारते हुए वो देशभक्तों के साथ जुड़ी. 1930 में बापू के सविनय अवज्ञा आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. 70 के दशक में उन्हें लोक सभा सदस्य के रूप में चुना गया. कमला जानी-मानी लेखिका भी थी.

संविधान से जुड़ा ये लेख आपको कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएं. हम इतिहास के पन्नों से ऐसे विषयों पर और लेख लेकर आएंगे.

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