96,000 पाकिस्तानी सेनाओं को परास्त कर हिन्दुस्तान ने रचा था इतिहास, इसलिए हम मनाते हैं ‘विजय दिवस’

Bikram Singh

‘हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्‌’

इस श्लोक का अर्थ है- या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी पर राज-सुख भोगेगा. बात करते हैं 16 दिसंबर की. इस दिन को हम विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं. आप सोच रहे होंगे कि आख़िर इस दिन को क्या हुआ था कि लोग ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाते हैं. आइए, आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं.

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यही वो दिन है, जब सभी हिन्दुस्तानियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है क्योंकि इसी दिन हमने पाकिस्तान को उसी की ज़मीन पर हराया था. 16 दिसंबर 1971 हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन है. इस दिन हमने पूरी दुनिया को दिखा दिया था कि जो कोई भी हमसे पंगा लेगा, हम उसको ऐसे ही जवाब देंगे. 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 16 दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी. यूं तो इस युद्ध में कई दिलचस्प बातें थीं, जो हमारे लिए काफ़ी ज़रुरी हैं.

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बांग्लादेश का बनना

16 दिसंबर 1971 को ढाका में 96,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था. इस युद्ध के 12 दिनों में अनेक भारतीय जवान शहीद हुए और हज़ारों घायल हो गए. सबसे अच्छी बात रही कि बांग्लादेश पाकिस्तान के आधिपत्य से मुक्त हो गया. अब वो एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया.

दुनिया के लिए भी था ऐतिहासिक दिवस

इस युद्ध को ऐतिहासिक युद्ध भी कहा जाता है. उस समय पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व कर रहे थे जनरल एके नियाज़ी. उनके पास क़रीब 96,000 जवानों की टुकड़ी थी. उन्होंने अपनी इस सेना के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर हार मान ली थी. इतिहास में ऐसा दो ही बार हुआ है.

इस युद्ध में तक़रीबन 3,900 भारतीय जवान शहीद हुए और 9,851 जवान घायल. हम इस मौके पर उन जवानों को नम आंखों से श्रद्धांजली दे रहे हैं, जिन्होंने वतन की रखवाली के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.

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