आज़ादी से पहले नहीं था भारत का ख़ुद का झंडा, उस दौर में कुछ इस तरह बदलता रहा भारत का झंडा

Maahi

आज़ादी से पहले भारत का अपना कोई एक स्थिर झंडा नहीं था. उस दौर में क्रांतिकारी अपने मुताबिक़ समय-समय पर अलग-अलग झंडा फ़हराया करते थे. 15 अगस्त 1947 को पहली बार आज़ाद भारत ने अपना तिरंगा फ़हराया था. 22 जुलाई 1947 को हुई Constituent Assembly की मीटिंग में पहली बार तिरंगे को भारत का झंडा बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. देश की आन-बान-शान इस तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिज़ाइन किया था.

30 दिसंबर, 1943 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना ग्राउंड (अब नेताजी स्टेडियम) में पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज फ़हराया था. नेताजी सुभाषचंद्र बोस ही पहले क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराया था. पहली बार साल 1943 में भारतीय फ़ौज ने आज़ाद हिन्दुस्तान में कदम रखा था.

आज़ादी से पहले समय-समय पर भारत के झंडे कुछ इस तरीके के थे:

1- 1906 में सिस्टर निवेदिता ने भारत का ये झंडा बनाया था

साल 1904 से 1906 तक स्वामी विवेकानंद की शिष्य बहन निवेदिता ने नीले, पीले और लाल रंग का झंडा बनाया था. जिसके मध्य में ‘वंदेमातरम’ लिखा हुआ था. नीले रंग के ऊपर सफ़ेद रंग के स्टार बनाये गए थे, जबकि लाल रंग से सूरज और चंद्रमा के प्रतीक बनाये गए थे.

2- साल 1906 में बना था ये लोटस फ़्लैग

इस झंडे को सचिन्द्र प्रसाद बोस और सुकुमार मित्रा ने डिज़ाइन किया था. इसे पहली बार 1906 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में पारसी बागान में 7 अगस्त को फ़हराया गया था. नारंगी, पीले और हरे रंग की पट्टियों वाले इस झंडे को उस दौर में ‘कलकत्ता ध्वज’ या ‘कमल ध्वज’ के रूप में भी जाना जाता था.

3- साल 1907 The Berlin फ़्लैग

इस झंडे को मदम भिकाजी कामा, विनायक दामोदर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा ने डिजाइन किया था. इस झंडे को 22 अगस्त को जर्मनी के स्टुटगार्ट में फ़हराया गया था. तीन रंगों वाले इस झंडे के बीच में ‘वंदे मातरम’ लिखा हुआ था.

4- साल 1917 The Home Rule फ़्लैग

भारत के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक बाल गंगाधर तिलक ने इस झंडे को लेकर अंग्रेजों द्वारा भारत को अपने अधीन बनाने के ख़िलाफ़ Home Rule आंदोलन किया था.

5- साल 1921 में चरखे के साथ पहला झंडा

साल 1916 में लेखक पिंगली वेंकैया ने राष्ट्र को एकजुट करने के लिए इस झंडे को तैयार किया. गांधी ने ही उन्हें भारत की आर्थिक प्रगति के प्रतीक के तौर पर झंडे में ‘चरखा’ शामिल करने का सुझाव दिया था. गांधी जी ने 1921 में इस ध्वज को फ़हराया था, जिसके शीर्ष में सफ़ेद रंग, बीच में हरा और सबसे नीचे लाल रंग था. चरखे में खींची गयी तीन रेखाएं समुदायों को प्रदर्शित करने के लिए की गई थी.

6- साल 1931 को पहली बार जब तिरंगा दिखा था

पिंगली वेंकैया के पिछले झंडे को लेकर लोगों ने समुदाय-आधारित डिजाइन पर नाराज़गी दिखाई थी. जबकि इस झंडे में उन्होंने केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग के बीच में चरखे से समुदाय के प्रतीक को हटा दिया था और लोगों ने इसकी ख़ूब सराहना की. इस झंडे को 1931 में कांग्रेस कमेटी की बैठक में मंजूरी दी गई थी.

7- साल 1858 से 1947 तक ये थे ब्रिटिश-इंडिया का झंडा

ब्रिटिश साम्राज्य ने 1858 में इस ध्वज को जारी किया था. अंग्रेज़ों ने भारत समेत कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों में भी इसी झंडे को आधिकारिक तौर पर जारी किया था. इस झंडे में एक ओर ब्रिटिश झंडा, जबकि दूसरी तरफ़ स्टार ऑफ़ इंडिया को रखा गया था.

Source: indiatoday

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