कैसे BBC की एक ग़लती की मदद से 1971 के युद्ध में भारत को मिली थी जीत, दिलचस्प है ये कहानी

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इतिहास गवाह है पाकिस्तान हर युद्ध में भारत से हर बार मात खाता आया है. बावजूद इसके वो हर युद्ध में अपनी जीत के गुणगान गाता रहता है. साल 1971 में बांग्लादेश के अलग देश की मांग को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच जंग हुई थी. इस जंग में भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी और बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था.   

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इस युद्ध के हीरो रहे रिटायर्ड मेजर जनरल Ian Cardozo ने बांग्लादेश के बनने में अहम भूमिका निभाई थी. 1971 वॉर के हीरो रहे सेन्ट्रल कमांड के हेड लेफ़्टिनेंट जनरल एफ़एन बिलिमोरिया की ज़िन्दगी पर आधारित क़िताब ‘लेफ़्टिनेंट जनरल बिलिमोरिया: हिज लाइफ़ एंड टाइम्स’ के लॉन्च समारोह के दौरान भारतीय सेना के सबसे अनुशासित अधिकारियों में से एक Ian Cardozo ने सिलहित पर कब्ज़ा करने और पाकिस्तान पर जीत की यादों को ताज़ा किया. 

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कई दशकों बाद उन्होंने इस युद्ध के दौरान BBC की शानदार कवरेज के लिए शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि बड़ी फ़ोर्स होने के बावजूद पाकिस्तान की एक ग़लती की वजह से भारत को बड़ी सफ़लता मिली थी.

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Cardozo उस दौरान ‘5 गोरखा राइफ़ल्स बटालियन’ में मेजर थे, जिसमें क़रीब 750 सैनिक शामिल थे. इस दौरान इस टुकड़ी को सिलहेत के पास अटग्राम पर कब्ज़ा करने का काम सौंपा गया था.

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उस दौरान हथियार और खाद्य सामग्री कम होने के बावजूद भारतीय फ़ौज ने पाकिस्तानी सेना के तीन ब्रिगेडियर, एक कर्नल, 107 अधिकारी, 219 जेसीओ और 7,000 सैनिकों सहित दो पाकिस्तान आर्मी ब्रिगेडों को आत्मसमर्पण करने पर मज़बूर किया था. 

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साल 2016 में हुए इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि ‘मैं बीबीसी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. युद्ध के दौरान हमारे पास समाचार माध्यम के तौर पर BBC ही एकमात्र विश्वसनीय प्रसारण स्टेशन था. भारतीय सेना के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं था, इसलिए युद्ध के दौरान BBC संवाददाता हमारे सैनिकों के साथ चल रहे थे.

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इस दौरान BBC के संवाददाता युद्ध की मिनट-मिनट की रिपोर्टिंग कर रहे थे. लेकिन BBC ने ग़लती से घोषणा की कि गोरखा ‘ब्रिगेड’ सिलहेत में उतर चुकी है. और इस ख़बर को हम भी सुन रहे थे और पाकिस्तानी भी. इसलिए हमने ये दिखाने की कोशिश की कि हम ही वो ब्रिगेड हैं. ये ग़लती हमारे लिए सही साबित हुई.

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ग़लत जानकारी का लाभ उठाते हुए Ian Cardozo की बटालियन ने छोटी-छोटी लड़ाईयां जीतकर ऐसी स्थिति बनाई कि पाकिस्तानी सैनिकों को मजबूरन 15 दिसंबर, 1971 को आत्मसमर्पण करना पड़ा. Cardozo और उनकी टीम को ये तो मालूम था कि इस इलाक़े में पाकिस्तानी ब्रिगेड है, लेकिन वो ये जानकर आश्चर्यचकित थे कि यहां पर पाकिस्तानी सेना की ताक़त एक ब्रिगेड से कहीं दोगुनी थी.

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इस युद्ध के दौरान अपना एक पैर गंवा चुके रिटायर्ड मेजर जनरल Ian Cardozo को ‘अति विशिष्ठ सेवा मेडल’ और ‘सेना मेडल’ से सम्मानित किया जा चुका है.

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रिटायर्ड मेजर जनरल Ian Cardozo आज हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत हैं. उनकी बहादुरी के लिए हम उन्हें सलाम करते हैं.

Source: msn.com

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