जब बच्चे थे, तब सोचते कि कब बड़े होंगे. जब बड़े हो गये तो सोचते हैं कि बचपन ही ठीक था. बेपरवाह, बेफ़्रिक और मस्त मौला अंदाज़. आज ज़िंदगी में सारी सुख-सुविधाएं हैं, पर फिर भी बचपन याद आता है. सच कहूं तो कितने ही दशक आयेंगे-जायेंगे, पर किसी भी दशक में हमारे 90 के दशक जैसी बात नहीं. ऐसा सिर्फ़ हमारा मानना नहीं है, बल्कि हम जैसे कई लोग अपने सुनहरे बीते कल को याद करते हैं.
जैसे इन ट्वीट्स में आप 90’s के लोगों की भावनाओं को महसूस कर सकते हैं
1. खु़शबू आई क्या?
2. यादों के पिटारे का संग्रह
3. मेरा भी पहला सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म यही था
4. कौन-कौन इसे मानता था?
5. क्या दिन थे वो!
6. सच में कितना मस्ती करते थे हम
7. किताबों में रखा करते थे
8. याद है कैसे हम इस पेंसिल के मिलने की प्रे करते थे!
9. ये हमारा दौर था
10. कुछ हो न हर किसी के पास ये ज़रूर होता था
11. शक्तिमान ये है शक्तिमान
12. तब लाइफ़ कितनी आसान थी
13. तब इसकी भी बहुत क़ीमत थी
14. बेपरवाह बचपन
15. इसे कलेक्ट करना भी काम था
16. आधा टाइम पास तो इसी से होता था
17. गुब्बारा फुला कर कैसे टशन मारते थे न
18. ये काम तो बहुत किया है.
19. इसकी बात ही कुछ और थी
20. हैलो कौन?
अरे ट्वीट्स देख कर रोने तो नहीं लगे!