“एक बच्चा, एक शिक्षक, एक किताब, एक क़लम दुनिया बदल सकती है – मलाला यूसूफ़जई”
जहां आपके और मेरे जैसे करोड़ों बच्चों को बैग पैक कर स्कूल जाने का मौक़ा मिला है. चार दीवारों का एक कमरा, क्लासरूम मिला. वहीं, आज भी दुनिया में 260 मिलियन बच्चें ऐसे हैं जिन्होंने स्कूल में क़दम नहीं रखा.
आपदा, युद्ध, ग़रीबी और राजनीति के बीच क्लासरूम एक ऐसी जगह होती है जहां से सपने शुरू होते हैं. स्कूल की वो चार दिवारी आपको ग़रीबी से बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है और आपके आने वाले कल को एक दिशा भी दे सकती है.
तो आइए सीखने और सिखाने की इस लगातार चलती गाड़ी के बीच, आज एक नज़र दुनियाभर के क्लासरूम पर मार लेते हैं.