गुजरात हो या राजस्थान, भारत के हर कोने में बसते हैं कला के सदियों पुराने रंग और रूप

Rashi Sharma

भारत कला और संस्कृति का देश है. यहां पर हर धर्म की अपनी अलग संस्कृति है, लेकिन इसके अलावा यहां हमारे देश में विभिन्न प्रकार की सदियों पुरानी कलाएं हैं, जो आज भी कई इलाकों में बसती हैं. हमारे देश में कला के कई रूप हैं, जो न सिर्फ़ सदियों पुराने हैं, बल्कि अपने अलग-अलग और अनूठे तरीकों से भी मन मोह लेते हैं.

एक यात्री ने अपनी यात्रा के दौरान देश की सदियों पुरानी कला के अनन्य रूपों को अपने कैमरे में कैद कर एक वीडियो सीरीज़ के रूप में पेश किया है. इन वीडियोज़ में उन्होंने हर कला के इतिहास, मान्यता और उसकी खूबसूरती को बड़े ही सुन्दर तरीके से दिखाने की कोशिश की है. हमारा दावा है कि आपने इससे पहले इनके बारे में इतने विस्तार से ना ही देखा होगा और ना ही सुना होगा. ये देखकर आप भी उसी वक़्त में पहुंच जाएंगे.

ये हैं भारत की सदियों पुरानी आर्ट फ़ॉर्म्स:

1. छाऊ नृत्य (Chhau)

छाऊ (Chhau) एक नृत्य कला है, जो मार्च या अप्रैल महीने के अंत में चैत्र के दौरान किया जाता है. इस नृत्य कला के लिए विशेष प्रकार के मुखौटे बनाये जाते हैं. ये मुखौटे इस कला का एक अभिन्न अंग हैं. इन मुखौटों को चिकनी मिट्टी और पेपर से बनाया जाता है और इन पर अगल तरह के रंगों से कलाकारी की जाती है. ये कलाकारी ही है, जो कला को और अधिक आकर्षक बनाती है. भारत की अन्‍य नृत्‍य विधाओं से अलग हटकर छाऊ नृत्‍य ओजस्विता व शक्ति से परिपूर्ण हैं. छाऊ की शुरुआत तीन अलग-अलग क्षेत्रों सेराई केला (बिहार), पुरूलिया (पश्चिम बंगाल) और मयूरभंज (उड़ीसा) से हुई है.

2. गुजराती पगड़ी

शादी हो या कोई पारम्परिक समारोह, पगड़ी हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग रही है और आज भी है. पग, पगड़ी, साफ़ा, पेच, फेटा ये पगड़ीयों के अलग अलग नाम हैं और इनका अपना-अपना एक अलग इतिहास है. हालांकि, कई षियों पहले, जब इंसान ने अपने सिर को किसी भी तरह की दुर्घटना से सुरक्षित रखने के लिए इस तरह की पड़गी पहनना शुरू किया था और तब से ही ये हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गयीं, जो आज भी अपनी जगह बनाये हुए है. इनको पहनने की भी एक अलग एक कला होती है.

3. उत्तर प्रदेश का तिब्बती ब्रोकेड

तिब्बती ब्रोकेड एक बहुत ही आकर्षक कलाकारी है. ये एक तरह का कपड़ा होता है, जो रंगीन सिल्क और गोल्डन या सिल्वर के धागों से सुन्दर और बेहतरीन कलाकारी करके बनाया जाता है. ये पूरी तरह से हाथों से ही बनाया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तिब्बती ब्रोकेड बनाने की प्रक्रिया थोड़ी कठिन और अधिक समय लेने वाली हैं. लेकिन भले ही इसमें वक़्त ज़्यादा लगता है पर जब कपड़ा बनकर तैयार होता है, तो उसकी कलाकारी और ख़ूबसूरती देखने लायक होती है. ब्रोकेड अधिकतर मूर्ति, फ़र्नीचर और कला के अन्य कामों में उपयोग किया जाता है.

4. राजस्थान में शीशे की कारीगरी

शीशे से नक्काशी करने की कला भारत में कई शताब्दियों पुरानी है. लेकिन ये काम एक बार फिर से लोगों को आकर्षित कर रहा है. राजा-महाराजों के समय में शीश महल बनवाये जाते थे, जिनमें शीशे बेहद ही ख़ूबसूरत और बेहतरीन नक्काशी की जाती थी. 17वीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह शाहजहां ने शीशमहल बनवाया था, जो इसी प्राचीन कलाकारी का अनुपम नमूना है.

5. Perak, Ladhak

Perak एक प्रकार की टोपी होती है, जो लद्दाख की महिलायें पहनती हैं. Perak, लद्दाख में महिलाओं की समृद्धि और स्थिति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है. ये बहुमूल्य रत्नों और फ़िरोज़ा पत्थरों से बनाया जाता है. कान तक ढंकने वाली ये टोपी समाज में महिलाओं की स्थिति को दर्शाती है. टोपी में फ़िरोज़ा पत्थरों की संख्या पर उनका प्रभुत्व निर्भर करता है.

6. राजस्थानी गलीचे

कुशल कारीगरों द्वारा हाथों से बुने हुए दरी या गलीचे विशेष रूप से राजस्थान में बनाए जाते हैं. इन कालीनों को बनानने की प्रक्रिया घंटों तक चलती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जन एक कारीगर इसको बनाना शुरू करता है, तो उसके दिमाग में कोई डिज़ाइन नहीं होता है, बस वो बुनाई के दौरान एक के बाद एक रंगीन धागों का इस्तेमाल करता जाता है.

तो क्या आप जानते थे इन कलाओं के बारे में, जो सदियों पुरानी हैं और आज भी देश के कुछ इलाकों में की जा रही हैं. अगर आपको भी ऐसी ही किसी अनोखी कला के बारे में पता हो तो हमें कमेंट बॉक्स में बतायें.

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