संविधान में हुए ये 7 संशोधन महत्वपूर्ण हैं, जिनका देश के वर्तमान और भविष्य पर गहरा असर हुआ है

Kundan Kumar

26 जनवरी है तो संविधान की बात ही होगी. स्कूल में ही आपने पढ़ लिया होगा भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. इसको अन्य देशों के संविधानों की मुख्य बातों को जोड़-जोड़ कर तैयार किया गया.

लेकिन ये पुरानी बात हो गई, वक़्त काफ़ी बदल चुका है, अपना देश बदल चुका है और संविधान भी बदल चुका है.

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पिछले 7 साल में संविधान में कई संशोधन किए जा चुके हैं, उनमें से ये 7 संशोधन अहम हैं.

20वां संशोधन, 22 दिसंबर, 1966

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चंद्रमोहन बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य में हुए कई ज़िला न्यायधीशों की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था. संविधान में संशोधन करके उसमें अनुच्छेद 233A जोड़ा गया और उन सभी जजों की नियुक्ती को संवैधानिक मान्यता दी गई.इस संशोधन को The Constitution Act,1966 के नाम से जाना जाता है.

24वां संशोधन, 5 नवंबर, 1971

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The Constitution Act 1971, इस संशोधन के साथ ही मूल संविधान द्वारा दिए गए नागरिकों के अधिकार को लचीला बनाया दिया गया. संशोधन के साथ ही संसद को ये शक्ति मिल गई कि वो संविधान के किसी भी भाग का संशोधन कर सकती है यहां तक कि नागरिक अधिकारों का भी.

इस संशोधन के साथ राष्ट्रपति को सदन के दोनों सदनों द्वारा पारित बिल के ऊपर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर दिया गया.

42वां संशोधन, 3 जनवरी,1977

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ये भारतीय इतिहास का सबसे विवादास्पद और बड़ा संवैधानिक संशोधन है. इस संशोधन को Mini-Constitution और Indira Constitution नाम से भी जाना जाता है. 42वां संशोधन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा अपातकाल के दौरान किया गया था.

संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘एकता और अखंडता’ आदि शब्द जोड़ दिया गया. अनुच्छेद 51A , Part IV में मौलिक कर्तव्य भी जोड़े गए. इस संशोधन के साथ ही प्रधानमंत्री की शक्तियों में भी इज़ाफ़ा कर दिया गया.

52वां संशोधन,

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सांसद और विधायकों के दल बदल से परेशान होकर Anti-Defaction Law बनाया गया. इस क़ानून को संवैधानिक मानयता देने के लिए संशोधन कर दसवीं अनुसूची में डाला गया. इससे पहले तक संविधान में कही किसी राजनैतिक पार्टी की महत्ता नहीं थी. ये क़ानून कई बंदिशों को किसी चुने हुए प्रतिनिधी को अपनी पार्टी को छोड़ने से रोकता है. इस संशोधन के बाद हमारे लोकतंत्र में संवैधानिक रूप से राजनैतिक पार्टियां भी महत्वपूर्ण हो गईं.

86वां संशोधन, 12 दिसंबर, 2002

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इसे आप शिक्षा का अधिकार के तौर पर भी जानते हैं, इस क़ानून के तहत सरकार को संविधान द्वारा दिए गए मूल अधिकारों में जोड़ कर 6 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चे को मुफ़्त शिक्षा देने के लिए बाध्य कर दिय गया. बाद में क़ानून में बदलाव कर 14 साल को 16 साल कर दिया गया.

88वां संशोधन, 15 जनवरी, 2004

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संविधान में 268A अनुच्छेद जोड़ कर भारत सरकार द्वारा ‘सेवा के ऊपर कर’ लगाने का प्रावधान किया गया. इन कर का संग्रहण और उपयोग भारत सरकार और राज्यों द्वारा संशोधन में दिए प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा.

94वां संशोधन, 12 जून, 2006

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साल 2000 में दो नए राज्यों का जन्म हुआ- झारखंड और छत्तीसगढ़. इन दोनों राज्यों में आदिवासी जन समुदाय सबसे ज़्यादा रहते हैं. इसलिए ख़ास उनके लिए Minister Of Tribal Welfare का गठन किया गया और इसके लिए संविधान में संशोधन की ज़रूरत पड़ी.

संविधान लागू होने से अभी तक इसमें कुल 103 संशोधन हो चुके हैं. इन संशोधन और सही-ग़लत निर्णयों के माध्यम से हम अपने लोकतंत्र को बेहतर बनाते जा रहे हैं.

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