जब सबकुछ बदला तो दोस्ती कैसे नहीं बदलती? सो उसके प्रकार भी बदले, ये 7 नए टाइप वाले हैं

Kundan Kumar

वो वक़्त बीत गया, जब दोस्ती भी सात जन्मों तक चलती थी. ये फ्रेंडलिस्ट का ज़माना है, इसमें लिस्ट में हज़ार लोग होते हैं, मुलाकात एक से भी नहीं हुई होती. 

पुराने लोगों ने ‘चड्डी-बड्डी’ से शुरू हुई दोस्ती को ‘बियर-बड्डी’ तक पहुंचाया है. और अब ऐसा ज़माना है कि दोस्त को इंस्टा पर फ़ॉलोबैक न करो तो दोस्ती ओवर. 

जब इतना कुछ बदल चुका है, तब दोस्ती का मतलब बदलना भी लाज़मी है. इसलिए नए ज़माने की दोस्ती की नई कैटेगरी तैयार की है. 

1. मीम वाली दोस्ती

शेयर करना, टैग करना, पेज प्राइवेट है तो स्क्रीनशॉट लेकर इंबॉक्स में भेजना. आजकल इनकी दोस्ती बहुत तगड़ी मानी जाती है. 

2. बर्थ डे विश करने वाली दोस्ती

जब-जब फ़ेसबुक याद दिलाता है कि सामने वाले का बर्थ डे है तभी दुआ-सलाम होती है. पहले बर्थ डे विश होता है, फिर पार्टी मांगी जाती है, बस. 

3. लेट नाइट चैट वाले दोस्ती

रात के दो इनबॉक्स में कोई दाखिल होगा, दो चार मैसेज भेजेगा, ‘अब तक जाग रहे हो’, ‘क्या कर रही हो’ टाइप… बात बनी तो कुछ दिनों तक चलेगी, वरना उसी वार्तालाप का दि एंड हो जाता है. 

4. DSLR की दोस्ती

इसके बारे में तो सब जानते हैं, इसमें गिटार को भी जोड़ लीजिए. जिसके पास DSLR/गिटार होता है, उसकी सोशल लाइफ़ सबसे बिज़ी होती है. 

5. Netflix स्क्रीन शेयर करने वाले दोस्त

कोई जान पहचान नहीं, बस WhatsApp पर एक ग्रुप में चार लोग होते हैं, जो मिलकर Netflix का 4 स्क्रीन वाला पैकेज लेते हैं. 

6. ‘मिलते हैं’ वाले दोस्त

दोस्ती बहुत पुरानी होती है, बचपन से एक दूसरे को जानते हैं, बीच-बीच में बातचीत भी होती रहती है, एक-दूसरे की याद भी आती है. बस कभी मिलने का प्लान नहीं बन पाता. 

7. डिबेट वाले दोस्त

पॉलिटिक्स को लेकर फेसबुक-ट्विटर पर ये ऐसे उलझे रहते हैं, जैसे देखते ही एक दूसरे की खोपड़ी छेद देंगे लेकिन सामने मिलते ही दांत निपोड़ देते हैं. 

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