70 वर्षीय बुज़ुर्ग ने कोरोना वॉरियर्स के लिए खोले अपने होटल के द्वार, दे रहे हैं निशुल्‍क सुविधा

Maahi

कोरोना के चलते घोषित लॉकडाउन के दौरान कई लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा है. इस दौरान कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले के रहने वाले 70 वर्षीय सुरेश कुमार इन्हीं लोगों में से एक हैं. निस्वार्थ भाव से राष्ट्रहित का कार्य कर रहे सुरेश कुमार आज न सिर्फ़ अपने गांव के लोगों बल्कि युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्रोत बन चुके हैं.

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दरअसल, सुरेश कुमार कांगड़ा ज़िले के ज्वालामुखी में स्थित अपने होटल में कोरोना संकट में लोगों की सेवा में लगे पुलिस के जवानों, प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को निशुल्क आवासीय सुविधा दे रहे हैं. इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान अपने 4 किरायेदार (दुकानदारों) का 2 महीने का 58 हज़ार रुपये का किराया भी माफ़ कर चुके हैं. .

70 वर्षीय सुरेश कुमार का कहना था कि, मुझे बचपन से ही सेना में जाकर देश सेवा करने का शौक था. मैं पढ़ाई के दौरान सेना में चयनित भी हो गया था, लेकिन परिवार की ज़िद के चलते शिक्षक बन गया. हालांकि, सेना में तो नहीं जा सका, लेकिन कोरोना काल में देशहित में काम करके सेना में जाने की इच्छा पूरी हो गई है. 

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बता दें कि शिक्षक के तौर पर 32 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद सुरेश कुमार पिछले कुछ सालों से कांगड़ा ज़िले के ज्वालामुखी में अपना एक होटल चला रहे हैं.

पिता और दादा देश के लिए हो गए थे शहीद 

पिता और दादा देश के लिए हो गए थे शहीद सुरेश कुमार के पिता स्वर्गीय सूबेदार मान सिंह 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए थे, जबकि दादा स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह ‘प्रथम विश्व युद्ध’ में मुल्तान मोर्चे पर शहीद हुए थे. उनके ताया हरनाम सिंह ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ में शहीद हुए जबकि भतीजा कैप्टन शैलेश सेना के ‘गाजिकुंड ऑपरेशन’ के दौरान जम्मू में शहीद हो गए थे.

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ज्वालामुखी (कांगड़ा) के डीएसपी तिलक राज शांडिल्य का कहना था कि, सुरेश कुमार सही में प्रेरणास्रोत हैं. कोरोना संकट में इन्होंने पुलिस की जो सहायता की उसे भुलाया नहीं जा सकता. सुरेश कुमार अब भी प्रशासन की सहायता को लगे हुए हैं.  

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