ये हैं महिलाओं को मिले वो 9 क़ानूनी अधिकार, जिनके बारे में देश की हर महिला को जानना चाहिए

Kratika Nigam

धरती से चांद तक कि दूरी महिलाओं ने तय कर ली है. आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जो उनसे छूटा हो. हर क्षेत्र में वो परिपक्व हैं. उन्हें क्या चाहिए और क्या नहीं, वो भी बेहतर जानती हैं. जब वो अपनी हर बात को पूरे विश्वास के साथ रखती है, तो फिर क़ानून और उसके अधिकारों के मामले में कैसे पीछे रह जाए. और देश के क़ानून ने महिलाओं को कई अधिकार दिए हैं, जो मुसीबत में उनकी मदद कर सकते हैं. ये वो अधिकार हैं जो हर महिला को जानने चाहिए.

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तो चलिए जानते हैं महिलाओं के इन ज़रूरी अधिकारों के बारे में:

ये रहे वो अधिकार और क़ानून:  

1.

सुनवाई के दौरान वो एक पुलिस अधिकारी और महिला कॉन्स्टेबल के साथ अकेले में बयान रिकॉर्ड कर सकती है. पुलिस के लिए एक महिला की निजता को बनाए रखना ज़रूरी है.

2.

महिलाओं को अकेले जाकर अपना बयान दर्ज कराने का अधिकार होता है.

3.

IPC की इस धारा के अलावा, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भी महिलाओं को उचित स्वास्थ्य देखभाल, क़ानूनी मदद, परामर्श और आश्रय गृह संबंधित मामलों में मदद करता है.

4.

ये अधिनियम भर्ती और सेवा शर्तों में महिलाओं के ख़िलाफ़ लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकता है.  

5.

Medical Termination Of Pregnancy Act, 1971 मानवीयता और चिकित्सा के आधार पर Registered Doctors को अबॉर्शन का अधिकार देता है. यही क़ानून कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए प्रसव से पहले लिंग निर्धारण से जुड़े टेस्ट पर भी प्रतिबंध लगाता है. भ्रूण हत्या को रोकने में ये क़ानून उपयोगी है.

6.

समिति का नेतृत्व एक महिला करे और उसमें पचास फ़ीसदी महिलाएं ही शामिल हों. समिति के सदस्यों में से एक महिला कल्याण समूह से भी हो. ऑफ़िस में उत्पीड़न की शिकार महिला घटना के तीन महीने के अंदर इस समिति को लिखित शिकायत दे सकती है. आपकी तरफ़ से शिकायत कोई दूसरा व्यक्ति भी कर सकता है.

7.

महिला द्वारा की गई एफ़आईआर पुलिस उपायुक्त या पुलिस आयुक्त के स्तर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को संबोधित की गई हो. पुलिस उसे दर्ज करने से इंकार नहीं कर सकती है. 

8.

सर्वोच्च न्यायालय का ये फ़ैसला महिलाओं के हक़ में है. क्योंकि बलात्कार या छेड़छाड़ की घटना के तुरंत बाद महिलाओं का रिपोर्ट कराना संभव नहीं होता है. इस दौरान वो कई उधेड़-बुन में होती है. 

9.

आईटी एक्ट की धारा 67 और 66-E के तहत किसी भी व्यक्ति (महिला/पुरुष) की अनुमति के बिना उसके निजी क्षणों की तस्वीर को खींचने, प्रकाशित या प्रसारित करने को निषेध करती है.

इन अधिकारों को अच्छे से समझ लीजिए, ताकि कोई भी आपको बेवकूफ़ न बना पाए.

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