राजस्थान के इस IAS ऑफ़िसर की शानदार पहल, अब गांव की टॉपर लड़कियों के नाम से होंगी सड़कें

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IAS अधिकारी जितेंद्र कुमार सोनी ने क़रीब 1 महीने पहले राजस्थान के नागौर ज़िला कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला था. कार्यभार संभालने के साथ ही जितेंद्र कुमार ने एक ऐसी पहल शुरू की जिसकी आज देश भर में चर्चा हो रही है.

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IAS अधिकारी जितेंद्र कुमार सोनी ने इस पहल को ‘रास्ता खोलो अभियान’ नाम दिया है. इस पहल का मक़सद राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र को शहरों से जोड़ना है. इसके तहत कई गावों को शहरों से जोड़ने के लिए सड़कें बनाई जा रही हैं. इस शानदार पहल की सबसे अच्छी बात ये है कि सड़कों के नाम किसी नेता या मंत्री के नाम पर न रखकर गांव की उन महिलाओं और लड़कियों के नाम पर रखे गए हैं, जिन्होंने शिक्षा और खेल के क्षेत्र में अच्छा काम किया है. 

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इन्हीं भाग्यशाली लड़कियों में से एक नागौर के कुचेरा की रहने वाली दिव्या शर्मा भी हैं. राज्य स्तर की हॉकी खिलाड़ी होने के साथ ही दिव्या इस साल 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में ‘कल्पना चावला इंटरनेशनल स्कूल’ की टॉपर भी रहीं. ‘रास्ता खोलो अभियान’ के तहत अब उनके नाम से एक सड़क का नामकरण किया गया है.

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‘मुझे नहीं पता था कि सड़क का नामकरण मेरे नाम पर किया जाएगा, लेकिन जब मुझे उस सुबह फोन आया, तो मैं बेहद हैरान और उत्साहित थी. उस दिन मुझे एक नए रेस्टोरेंट के उद्घाटन के लिए भी आमंत्रित किया गया था. इस दौरान अधिकारियों द्वारा मुझे सम्मानित भी किया गया. गांव में आज भी कई लोग अपनी बेटियों को शिक्षा पूरी नहीं करने देते, लेकिन इस तरह की पहल से शायद उनकी सोच बदल जाए.
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आख़िर क्यों शुरू किया ‘रास्ता खोलो अभियान’? 

The Better India से बातचीत में जितेंद्र कुमार सोनी ने कहा, ज़िला कलेक्टर के रूप में नियुक्त होने के बाद मैंने महसूस किया कि स्थानीय पुलिस स्टेशनों में रास्ते बंद होने और भूमि अतिक्रमण के मामलों की कई शिकायतें आई हुई हैं, लेकिन उनके बारे में कुछ नहीं किया गया. इस दौरान हमने देखा कि जिन इलाक़ों से ये शिकायतें आ रही थी वहां पर उचित सड़कें नहीं हैं, जबकि ये राजस्व विभाग के तहत पंजीकृत भूमि है.

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इस दौरान जिस बात ने मुझे सबसे ज़्यादा दुःख पहुंचाया वो थी गांव के सीधे-साधे लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर का सफ़र तय करना. मुझे ये बात कहीं से भी न्यायसंगत नहीं लगी. सड़क की मांग को लेकर इनकी शिकायतों का भी समय पर निपटारा नहीं किया गया था. इसके बाद पिछले महीने की 31 जुलाई को हमने ‘रास्ता खोलो अभियान’ लॉन्च किया.  
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‘रास्ता खोलो अभियान’ के तहत 1 हफ़्ते में ही इन ग्रामीण इलाक़ों की 38 सड़कों को प्रशासन की ओर से मंज़ूरी दे दी गई. इस दौरान हमने पंचायत समितियों और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर सड़कों को क्लीयरेंस देकर वहां पर पत्थर की आधारशिला स्थापित की, जिन्हें ‘Vidya Gaurav Patikas’ नाम दिया. इन आधारशिलाओं पर सड़कों के नाम गांव की ऐसी महिलाओं और लड़कियों के नाम पर रखने का फ़ैसला किया, जिन्होंने शिक्षा या खेल के क्षेत्र में कुछ हासिल किया है. 
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हमारी तरफ़ से ये महिलाओं का शक्रिया अदा करने का एक छोटा सा प्रयास है. इस दौरान हमने जो आधारशिलाएं स्थापित की हैं उन पर मार्ग के बारे में जानकारी के अलावा पत्थरों में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम भी लगाया है, जो छेड़छाड़ करने पर पुलिस अधिकारियों को सूचित करेगा.

IAS अधिकारी जितेंद्र कुमार सोनी ने कहा कि, हमारा मकसद केवल सड़कों को मंज़ूरी देना ही नहीं है, बल्कि ये सुनिश्चित करना भी है कि आज के बाद एक ऐसी प्रणाली स्थापित हो सके, जिसके अंतर्गत इस तरह के मामलों का निबटान समय से हो सके.

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