रेप की सज़ा काट रहे 100 कैदियों से मिल, एक लड़की ने सुनाई वो हक़ीक़त, जो हर शख़्स को पता होनी चाहिए

Akanksha Tiwari

ये हैं 26 साल की मधुमिता पांडे. आप लोगों को मधुमिता के बारे में बताना इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि मधुमिता उस वक़्त महज़ 22 साल की थी, जब उन्होंने दिल्ली के तिहाड़ जेल जाकर बलात्कार के ज़ुर्म में जेल की हवा खा रहे, कैदियों का इंटरव्यू किया. बीते तीन सालों में मधुमिता अब तक करीब 100 से अधिक कैदियों का इंटरव्यू कर चुकी हैं.

मधुमिता ने कैदियों के ये इंटरव्यू अपनी ‘Doctoral Thesis’ के लिए किये थे. दरअसल, उस समय वो United Kingdom की Anglia Ruskin University से Criminology पढ़ाई कर रही थी. उसी दौरान यानि, साल 2012 में दिल्ली में बड़ी घटना घटित हुई, जिसे हम सब निर्भया गैंगरेप के नाम से जानते हैं. निर्भया कांड ने देश-दुनिया के तमाम लोगों को झकझोर कर रखा दिया था. वहीं सैकड़ों-हज़ारों लोगों ने अपना विरोध प्रकट करते हुए, सड़क पर प्रदर्शन भी किया. दिल वालों के शहर दिल्ली में आधी रात एक लड़की के साथ हुई, दरिंदगी की घटना ने मधुमिता को भी अंदर से हिला कर रखा दिया था. इस दर्दनाक घटना ने मधुमिता को रेप के आरोपियों की मानसिकता पर रिसर्च करने के लिए मजबूर कर दिया.

दरअसल, मधुमिता इन कैदियों का इंटरव्यू करके सिर्फ़ इतना जानना चाहती थी कि जब ये कैदी किसी भी महिला को अपना शिकार बना कर, बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं, उस वक़्त उनके मन में क्या चल रहा होता है. क्या ये कैदी आम इंसानों से अलग होते हैं, इनकी प्रवृति कैसी होती है? आख़िर ये लोग कैसे आसानी से एक पल किसी भी महिला की ज़िंदगी बर्बाद कर देते हैं?

कैदियों की मानसिकता जानने के लिए मधुमिता करीब एक सप्ताह तक उनके साथ तिहाड़ जेल में रही. मधुमिता बताती हैं कि ‘रेप के आरोप में बंद इन कैदियों से मिलने से पहले मैंने यही सोचा था कि ये लोग पक्का राक्षस प्रवृति के होंगे. जेल में बंद ये कैदी पढ़े-लिखे नहीं थे. इनमें से कुछ तो ऐसे थे, जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह ही नहीं देखा और कुछ सिर्फ़ पांचवी पास थे. कुल मिला कर इनके पास शिक्षा का अभाव था. इन लोगों से मिलने के बाद कहीं से भी ये नहीं लग रहा था कि ये दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं. स्वभाव से ये ठीक वैसे ही हैं, जैसे हम और आप. बस अगर हम में और इनमें किसी भी चीज़ का फ़र्क है, तो वो है ‘परवरिश’. मधुमिता आगे बताती हैं कि ‘जेल में बंद इन कैदियों को अहसास तक नहीं है कि इन्होंने रेप जैसी वारदात को अंजाम दिया है.’

मुधमिता कहती हैं कि भारत आज भी एक रुढिवादी देश है. कई स्कूलों में आज भी बच्चों को यौन शिक्षा से वंचित रखा जाता है. भारतीय माता-पिता कभी भी Penis, Vagina, Rape और Sex जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेंगे, साथ ही वो बच्चों से कभी इस मसले पर खुल कर बात नहीं करेंगे. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2015 में 34,651 बलात्कार की घटनाएं सामने आई थी.

कैदियों पर किए गए मधुमिता की इस रिसर्च से एक बात तो साफ़ है कि वाकई अगर इन्हें बचपन से अच्छी सीख मिलती, तो शायद आज ये लोग बलात्कार के ज़ुर्म में जेल की सज़ा नहीं काट रहे होते. 

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