एयर होस्टेस मां का सपना था कि नौकरी के आख़री दिन बेटी उनकी पायलट हो… बेटी ने दे दिया तोहफ़ा

Akanksha Thapliyal

38 साल से एयर इंडिया के लिए काम कर रही पूजा चिंचणकर के लिए फ़्लाइट पर सर्विस का आख़री दिन हमेशा के लिए यादगार बन गया. फ़्लाइट पर उनके आखरी दिन उनकी पायलट थी उन्हीं की बेटी, आश्रिता चिंचणकर.

किसी भी पेरेंट के लिए इससे ज़्यादा ख़ुशी का दिन नहीं हो सकता. पूजा के लिए भी अपना Farewell यादगार बन गया. एयर इंडिया की मुंबई-बैंगलोर-मुंबई फ्लाइट जैसे ही लैंड करने जा रही थी, पायलट ने प्लेन में बैठे यात्रियों और क्रू को सूचित करते हुए पूजा के फे़यरवेल की बात कही. आखरी बार प्लेन की Aisle से जाती पूजा के लिए सभी तालियां बजा रहे थे.

इस फ़्लाइट के ठीक बाद आश्रिता ने ट्विटर पर इस ख़ूबसूरत लम्हे को सभी के साथ बांटा. शायद ही ऐसा कोई होगा, जिसकी आंखों में ये पढ़ कर आंसू न आये हों.

आश्रिता ने लिखा:

जो भी पूछ रहे थे, ये मम्मी है… एयर इंडिया के केबिन क्रू के तौर पर उनका ये आख़री दिन था. ये बहुत ही ख़ूबसूरत और यादगार लम्हा था.. और सभी पैसेंजर्स को शुक्रिया… और हां, मैं डेक पर थी 🙂

पूजा चिंचणकर एयर इंडिया के साथ 1980 से जुड़ी हैं और उनकी बेटी, आश्रिता इस एयरलाइन के साथ 2016 से हैं. आश्रिता एक मास मीडिया स्टूडेंट थी और पायलट बनने की शुरुआत पूजा के एक सपने से हुई. 

पूजा का सपना था कि फ्लाइट पर उनके आख़री दिन पायलट के तौर पर आश्रिता हो. इस सपने का पता जैसे ही आश्रिता को चला, वो अगले दिन से पायलट की ट्रेनिंग तैयार थी. उसने कनाडा से कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया. पायलट बनते ही, उसे कई प्राइवेट एयरलाइन्स के ऑफ़र आये, लेकिन वो अपनी मां का सपना पूरा करना चाहती थी, इसलिए उसने एयर इंडिया को चुना.

मां के फे़यरवेल डे पर आश्रिता ने टीम से उन्हें उनके साथ Schedule करने को कहा, ऐसा ही हुआ. ये दोनों के लिए सबसे यादगार दिन बन गया.

हमारे बीच ऐसी कई खूबसूरत कहानियां भटक रही होती हैं, बस उन्हें नज़र देने की ज़रूरत है. आपके लिए ऐसी और प्यारी कहानियां लेकर आते रहेंगे.   

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