370 ज़िंदगियां पल-पल मौत के मुंह में जा रहीं थी, अपनी सूझबूझ से एयरइंडिया के पायलेट्स ने बचाई जान

J P Gupta

मुसीबत के समय सुझबूझ और धैर्य से काम लेना चाहिए. बुज़ुर्गों की इस सीख को हम में से कई लोगों ने अनसुना कर दिया होगा. मगर इसी सीख ने न्यूयॉर्क में 370 से भी अधिक लोगों की जान बचाई जा सकी. जी हां, इसे किया भी दो इंडियन पायलेट्स ने है.

हुआ यूं के एयर इंडिया की फ़्लाइट AI 101 Delhi-JFK दिल्ली से न्यूयॉर्क जा रही थी. डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बाद पायलेट्स को पता चला कि उनका फ़्यूल ख़त्म हो रहा है और फ़्लाइट के तमाम नैविगेशन सिस्टम भी फ़ेल हो चुके हैं. ये सब हुआ John F. Kennedy(JFK) एयरपोर्ट पर आसमान में.

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370 यात्री और क्रू मेंबर्स थे सवार

सीनियर पायलेट रुस्तम पालिया और को-पायलेट सुशांत सिंह बोइंग के इस प्लेन को उड़ा रहे थे. इसमें 370 यात्री और क्रू मेंबर्स सवार थे. मगर इतनी खौफ़नाक सिचुएशन में भी हमारे पायलेट घबराए नहीं. उन्होंने बड़ी ही धैर्यता और सुझबूझ के साथ JFK Air Traffic Control (ATC) को अपनी सिचुएशन के बारे में बताया.

कैप्टन पालिया ने कहा- ‘हमारा फ़्यूल ख़त्म हो गया है और ILS (Instrument Landing System) भी काम नहीं कर रहा है.’

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ATC कंट्रोलर के उड़ गए थे होश

ये सुनने के बाद ATC कंट्रोलर के होश उड़ गए और वो उनसे दोबारा फिर यही पूछता कि सच में ऐसा हुआ है. दरअसल, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी बड़ी मुसीबत सिर पर होने के बाद भी कोई कैसे इतने इत्मीनान से बात कर सकता है.

उधर ATC कंट्रोलर ये तय करने में लगे थे कि अब क्या करना चाहिए, इधर फ़्लाइट का फ़्यूल तेज़ी से ख़त्म हो रहा था. क्योंकि फ़्लाइट में सामान और पैसेंजर्स को मिलाकर कुल 7200 किलो वज़न था. इसलिए दोनों पायलेट्स ने वक़्त न गंवाते हुए Vertical and Lateral Navigation Systems की मदद से प्लेन को लैंड करने का फै़सला किया.

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Newark में की सुरक्षित लैंडिंग

उन्होंने ATC को इस बारे में बताया और Newark में आपातकालीन लैंडिंग की. 38 मिनट तक हवा में लटके इस प्लेन में जेट सिस्टम ख़राब था और ईंधन भी तेजी से घट रहा था. और तो और दोनों पायलेट्स को Vertical and Lateral Navigation Systems की मदद से लैंडिंग करने की ट्रेनिंग भी नहीं मिली थी.

फिर भी दोनों पायलेट ने अपनी सूझ-बूझ और धैर्य से न सिर्फ़ प्लेन को सुरक्षित लैंड किया बल्कि 370 से अधिक लोगों की जान भी बचाई. जिस तरह से रूस्तम पालिया और सुशांत सिंह ने मुश्किल हालात को अपने काबू में किया, वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. उन्हें धन्यावाद नहीं दिल से सैल्यूट करने का मन कर रहा है.

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पायलट रुस्तम ने बताया, ‘ये मेरी लाइफ़ की सबसे ख़तरनाक उड़ान थी. हमारे पास सिर्फ़ एक रेडियो स्रोत था. विमान का सिस्टम फे़ल हो गया था और मौसम काफ़ी ख़राब था. विंडशियर सिस्टम और ऑटो स्पीड ब्रेक काम नहीं कर रहे थे और सहायक पावर यूनिट भी नहीं चल रही थी.’

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यहां एयर इंडिया को भी सबक लेने की ज़रूरत है. उसे अपने सभी पायलेट्स को अत्याधुनिक ट्रेनिंग दिलाने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. क्योंकि हर बार क़िस्मत साथ नहीं देती. 

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