अगर आनंद महिंद्रा जी के बारे में ये कहा जाए कि वो कहा जाए हर उद्यमी के लिए एक मसीहा हैं, तो ग़लत नहीं होगा. महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा को उनकी ऐसी पैनी नज़र के मालिक के तौर पर जाना जाता है, जो व्यक्ति की प्रतिभा को पहचान लेती है. फिर उनको इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि वो व्यक्ति किस बैकग्राउंड से आता है. ऐसा कई बार हुआ है, जब आनंद जी ने व्यक्ति की प्रतिभा को परख कर उसकी मदद भी की है. अगर आपको याद हो, तो पिछले साल मई में उन्होंने एक ऑटो ड्राइवर की क्रिएटिविटी देखकर उसकी ज़िन्दगी ही बदल दी थी.
ऐसा ही एक मामला फिर से सामने आया है, जिसमें एक मोची के अच्छे दिन आ गए हैं. जी हां, इस मोची की यूनीक मार्केटिंग स्किल्स ने आनंद महिंद्रा का ध्यान आकर्षित किया है. मिस्टर महिंद्रा को WhatsApp पर किसी ने एक फ़ोटो फ़ॉरवर्ड की, जिसमें एक अधेड़ उम्र का मोची अपने छोटे से खोखे पर बैठा था, और उसके खोखे पर एक साइनबोर्ड लगा था जिस पर लिखा था, ‘ज़ख़्मी जूतों का डॉक्टर’. इस टैलेंटेड मोची को लोग डॉक्टर नरसीराम के नाम से भी जानते हैं. नरसीराम ने जूतों की अपनी दुकान पर ‘OPD’ का समय और मरीज़ जूतों के इलाज की जर्मन टेकनीक के बारे में भी लिखा हुआ है.
ये फ़ोटो देखने के बाद नरसीराम की रचनात्मकता से प्रभावित होकर आनंद महिंद्रा ने उस फ़ोटो को अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया, उन्होंने फ़ोटो को कैप्शन दिया कि, ‘इस आदमी को भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में मार्केटिंग पढ़ानी चाहिए.
आनंद महिंद्रा ने केवल इस आदमी की प्रतिभा की सराहना ही नहीं की, बल्कि उसको अपना छोटा सा स्टार्टअप शुरू करने के लिए भी कहा और उसमें इन्वेस्ट करने की पेशकश भी की. उन्होंने लिखा, ‘ये फ़ोटो मुझे WhatsApp पर मिली. मुझे नहीं पता कि ये व्यक्ति कहां है और ये फ़ोटो कितनी पुरानी है. अगर कोई उसे ढूंढ सकता है और वो अभी भी ये काम कर रहा है ,तो मैं उसके ‘स्टार्टअप’ में एक छोटा सा निवेश करना चाहता हूं.’
इस ट्वीट पर लोग गर्मजोशी के साथ मोची की सराहना कर रहे हैं, क्योंकि इस शख़्स ने अपनी रचनात्मकता की प्रशंसा करने के लिए लोगों को विवश कर दिया है.
लोग बोल रहे हैं कि आप कठिन परिश्रम करो और परिणाम आपके फ़ेवर में ही आएगा.
ज़मीनी स्तर पर मिला ज्ञान ही असली शिक्षा है.
अपने काम को कभी कम मत समझो
किसी भी काम के लिए केवल जुनून की ज़रूरत है और कुछ नहीं
आनंद महिंद्रा, प्रतिभा को पहचाने वाले
That’s why mr. @anandmahindra sir is the best.
Means he has the #thirdeye to recognize the #Talent.— ravi dutt sharma (@ravi_sharma47) April 17, 2018
लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब मिस्टर महिंद्रा ने किसी की प्रतिभा को इस तरह से सराहा है और उसकी मदद की है.
पिछले साल मई महीने में एक ट्विटर यूज़र अनिल पनिकर ने महिंद्रा ग्रुप के मालिक आनंद महिंद्रा को टैग कर एक तस्वीर पोस्ट की. पनिकर ने जो फ़ोटो पोस्ट की थी, वो एक ऑटो की थी जिसे ऑटो ड्राईवर ने मॉडीफ़ाई करके महिंद्रा ग्रुप की फ़ेमस गाड़ी स्कॉर्पिओ का रूप दिया था. इस ऑटो का पीछे का हिस्सा स्कोर्पियों गाड़ी का था.
जिस पर Re-tweet करते हुए आनंद महिंद्रा ने लिखा, ‘इस लाजवाब फ़ोटो को शेयर करने के लिए धन्यवाद और लिखा कि क्या आप इस ऑटो ड्राइवर को ढूंढ सकते हैं? मैं इस ऑटो को खरीद कर अपने म्यूज़ियम में रखना चाहूंगा. इसके बदले में मैं ऑटो ड्राइवर को एक 4 व्हीलर भी दूंगा.’ और दो महीने बाद उनकी टीम ने उस ऑटो ड्राइवर को ढूंढ निकाला. वो ऑटो ड्राइवर सुनील केरल के कोच्चि शहर का है और वहीं ऑटो चलता है. अपनी बात को रखते हुए आनंद महिंद्रा ने उसका ऑटो खरीद कर उसे एक 4 व्हीलर सुप्रो मिनी वैन गिफ़्ट में दी.
पिछले साल ही दिसंबर महीने में आनंद महिंद्रा ने मंगलोर में रहने वाली एक उद्यमी महिला की मदद भी की थी. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार, 34 वर्षीय शिल्पा ने, जो एक सिंगल मदर भी हैं, ने अपना और अपनी बेटी का पेट पालने के लिए महिंद्रा बोलेरो को एक फ़ूड ट्रक में बदल दिया था. और उसको नाम दिया था, ‘हल्ली माने रोटीज़’. ये मोबाइल फ़ास्ट फ़ूड ट्रक अब उत्तरी कन्नड़ व्यंजनों को परोसने वाला सबसे पसंदीदा फ़ूड ट्रक्स में से एक बन चुका है. लेकिन जब शिल्पा ने ये बिज़नेस शुरू किया था, उस समय उनके पास फ़ंड्स की कमी थी, तो कुछ दिनों बाद ही उनको अपना बिज़नेस बंद करना पड़ रहा था.
ट्विटर यूज़र ने जब शिल्पा की स्टोरी में आनंद महिंद्रा को टैग किया. उस पर Re-Tweet करते हुए महिंद्रा ने लिखा, ‘मुझे ख़ुशी है कि बोलेरो इनके बिज़नेस में एक अहम रोल निभा रही है.’ साथ ही उन्होंने लिखा, ‘मुझे नहीं लगता कि वो मेरी मदद चाहती है या उनको मेरे दान की ज़रूरत है. वो एक सफ़ल उद्यमी है. मैं उनके बिज़नेस को बढ़ाने के लिए निवेश की पेशकश कर रहा हूं.’ और उन्होंने अपना वादा पूरा भी किया. अब शिल्पा की दिन की कमाई 3 हज़ार से 7 हज़ार रुपये तक की है. और 4 बजे शाम से 10 बजे रात तक उनके फ़ूड ट्रक पर लोगों की लाइन लगी रहती है.
ये एक मामला, जो इसी साल फरवरी महीने का है.
इसमें भी आनंद महिंद्रा ने एक कलाकार की प्रतिभा को पहचाना और उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया. उनको WhatsApp पर एक आर्टिस्ट का पेंटिंग करता हुआ एक वीडियो मिला.
वो उस आर्टिस्ट की प्रतिभा से इतने प्रभावित हुए कि अपने ट्वीटर अकाउंट से उसकी फ़ोटो पोस्ट करते हुए लिखा कि ये फ़ोटो मुझे WhatsApp पर मिली, मुझे नहीं पता ये कौन है, और कहां है? क्या प्रतिभा और क्या करिश्माई चरित्र है इस आर्टिस्ट का. वो ऐसे पेंट करता है, जैसे उसपर किसी जादूई शक्ति का हाथ हो. क्या कोई वॉल-आर्ट के इस जादूगर का समर्थन करता है? हालांकि, कोई उसे अभी तक पहचान नहीं पाया है, पर आनंद महिंद्रा उसको ढूंढना चाहते हैं. ताकि वो उसकी प्रतिभा को और निखारने में उसकी मदद कर पाएं.
ख़ैर, यहां हम बस यही कहेंगे कि ये सोशल मीडिया का ज़माना है और आज का हर व्यक्ति सोशल मीडिया के किसी न किसी प्लेटफ़ॉर्म जैसे ट्विटर, इन्स्टाग्राम, फेसबुक आदि एक्टिव है. जहां आजकल लोग सोशल मीडिया को अपने फ़ायदे के लिए यूज़ करते हैं. वहीं आनंद महिंद्रा जैसे लोग लोगों की मदद के लिए भी सोशल मीडिया का यूज़ करते हैं. अपने प्रयासों से उन्होंने कई लोगों की ज़िन्दगी बदल दी है.