नक्सल प्रभावित इलाके का लड़का पहले IIT में गया फिर विदेश में नौकरी की और आज है अपनी कंपनी का CTO

Sumit Gaur

सोहनलाल द्विवेदी की एक मशहूर कविता है, ‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हर नहीं होती.’ ख़ैर, ये तो हर कोई जानता कि ये कविता उन्होंने किसे ध्यान में रखते हुए लिखी होगी, पर एक बात साफ़ है कि उनकी ये कविता आज भी उतनी प्रासंगिक लगती है.

अब जैसे 23 वर्षीय अनूप राज की कहानी ही ले लीजिये, जो बिहार के औरंगाबाद के चेंव गांव के रहने वाले हैं. बिहार का ये इलाका देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में गिना जाता है, जिसकी वजह से यहां कोई स्कूल या कॉलेज नहीं है.

गांव के अन्य बच्चों की तरह ही अनूप ने पांचवी क्लास तक स्कूल का मुंह नहीं देखा था, पर अनूप के पिता चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिख कर कोई बड़ा आदमी बने. वो खुद भी गांव के सबसे पढ़े लिखे आदमियों में से एक थे. अनूप का कहना है कि उनके पिता ने हिस्ट्री में ग्रेजुएशन की हुई थी. वो चाहते थे कि घर के पास ही रह कर कोई काम करें, पर नौकरी न मिलने की सूरत में उन्होंने खेती-बाड़ी का काम संभाल लिया.

अनूप कहते हैं कि गांव में स्कूल न होने की वजह से उनके पिता ने एक दोस्त के ज़रिये उनका एडमिशन गांव से दूर रफीगंज में करवा दिया, जिसके बाद अनूप की पढ़ाई शुरू हुई. सब कुछ सही चल रहा था कि 2008 में उनके पिता घर पर बिना कुछ कहे सभी को छोड़ कर चले गए. अनूप और उनके घरवालों ने उन्हें तलाशने की बहुत कोशिश की, पर उनका कोई नामों-निशान नहीं मिला. इस बाबत उन्होंने थाने में पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई, पर उनका कुछ पता नहीं चला. 

इस हादसे से अनूप की मां भी सदमे में चली गई और काम छोड़ कर घर पर रहने लगी और प्रार्थना करने लगी कि एक दिन अनूप के पिता लौट आएंगे. इस बीच रिश्तेदारों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और अनूप को अपना घर ख़ुद चलाने के लिए कह दिया. अनूप ने हिम्मत हारने के बजाय हालातों से लड़ने का मन बनाया और ट्यूशन करके पढ़ाई के साथ-साथ घर का ख़र्च भी चलाया.

12 वीं पास करने के बाद अनूप सुपर-30 के सम्पर्क में आये और वहां मेहनत करके 997 रैंक के साथ आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन लिया. यहां आने के बाद अनूप ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इसके बाद अनूप को सऊदी में सिविल इंजीनियर की नौकरी मिल गई. 

2015 में अनूप अपने देश लौट आये और कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक स्टार्टअप शुरू किया. आज ये स्टार्टअप सालाना करोड़ों का कारोबार कर रहा है. जिस तरह हालात के सामने हार न मान कर अनूप ने खुद लिखा किस्मत लिखी, वो लाखों लोगों के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.

Feature Image Source: prabhatkhabar

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