अपनी शायरी से अहम सामाजिक मुद्दों पर तंज के तीखे बाण चलाना बख़ूबी जानते थे अकबर इलाहाबादी

Rashi Sharma

‘हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है…

डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है…’

एक ग़ज़ल का एक ख़ूबसूरत शेर है ये… ये ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखने वाले अकबर हुसैन रिज़वी को अकबर इलाहाबादी और इंक़ेलाब के नाम से जाना जाता है. समाज में फैले दक़ियानूसी विचारों, कट्टरपन और मज़हबी ढोंग से सख्त नफ़रत करने वाले अकबर इलाहाबादी अपनी शायरियों के ज़रिये इन सब पर तंज कसते थे और उनका विरोध करते थे. 16 नवंबर को 1846 को इलाहबाद में इनका जन्म हुआ था. बचपन से ही वो काफ़ी तेज़ दिमाग के थे. चाहे इश्क़ के बारे में लिखना हो या फिर राजनीति के बारे में, किसी भी मुद्दे पर तंज कैसे करना है उनको काफ़ी अच्छे से आता था. उनकी शायरी की ख़ासियत है उनकी चुटकियां, चुहलबाज़ियां, हाज़िर-जवाबी और ह्यूमर.

पेशे से जज अकबर साबह, उर्दू के एक महान शायर थे, लेकिन उनके लेखन में आपको अंग्रेज़ी के कई शब्द भी देखने को मिलेंगे. इनको एक हास्य कवि के रूप में भी जाना जाता है. इन्हें हिंदुस्तान के महान शायरों में गिना जाता है. गांधीनामा में उन्होंने गांधी जी के ऊपर कई कविताएं भी लिखी हैं.

हिन्दुस्तान के इस महान शायर की जयंती पर आज हम आपके लिए लाये हैं उनकी कुछ मशहूर शायरियां.

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