कर्नाटक के इस गांव में रहते हैं ओबामा से ले कर अमिताभ बच्चन और शशि कपूर

Medhavini

ये हम सब जानते हैं कि भारत के अन्य क्षेत्रों की तुलना में साउथ इंडिया ज़्यादा साक्षर है, पर कर्नाटक में ये साक्षरता कहीं ज़्यादा आगे नज़र आती है. यहां एक गांव ऐसा है, जहां के लोग इंग्लिश से बिल्कुल नहीं घबराते, क्योंकि वे उसे अच्छी तरह जानते हैं. अगर आप उनसे पूछेंगे कि क्या वो इंग्लिश जानते हैं, तो वो एक बच्चे को आगे कर देंगे, जिसका नाम इंग्लिश है. इंग्लिश ही क्यों, धारवाड़ ज़िले के भद्रपुरा नामक इस गांव में अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, राज कपूर भी रहते हैं. महारानी एलिज़ाबेथ से भी यहां आपकी मुलाक़ात हो सकती है. इतना ही नहीं, आपको कोलकाता, बेंगलूरू, दिल्ली, जापान समेत कई जगहें एक साथ इस गांव में मिल जाएंगी. दरअसल, ये सब इस गांव के लोगों के नाम हैं. शेक्सपियर की कहावत “नाम में क्या रखा है?” को शायद इन लोगों ने बहुत गंभीरता से ले लिया है और अपने बच्चों के नाम कुछ भी रख देते हैं.

जो भी दिखता है, उसी के नाम पर रख लेते हैं नाम

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अगर आप इस गांव में जाएंगे, तो लोगों के अजीबोग़रीब नाम सुन कर हैरान रह जाएंगे. सिर्फ़ हीरो-हीरोइन या प्रसिद्ध हस्तियों के नाम पर ही नहीं, बल्कि यहां लोग किसी भी चीज़ पर बच्चों के नाम रख देते हैं. कोई मिठाई पसन्द आ गई, तो उसके नाम पर अपने बच्चे का नाम रख दिया. किसी शहर से गुज़र रहे हैं, तो उस शहर या किसी देश का नाम सुन लिया, तो उस देश के नाम पर बच्चों के नाम रख दिया. इंग्लिश के शब्दों पर नाम रखना इन्हें कुछ ज़्यादा ही पसन्द है. यहां किसी का कुछ भी नाम हो सकता है. कॉफ़ी, फ़ेसबुक, गूगल, टेबल, मिलिट्री. यानि कुछ भी! मज़ेदार है न?

घुमक्कड़ी का असर है यह

इस गांव में रहने वाले लोग हक्की-पिक्की जनजाति के हैं, जो कि एक घुमन्तू जनजाति है. ये लोग आमतौर पर प्लास्टिक और कपड़ों के सजावटी सामान और फूलों के हार बना कर बेचते हैं. शायद पूर्वजों द्वारा इधर से उधर घूमते रहने के दौरान नई-नई चीज़ें, जगहें और लोग पसन्द आने पर उनके नाम पर नाम रख लेने से इस परम्परा की शुरूआत हुई हो, जिसे उनके वंशज आज भी निभा रहे हैं. लेकिन बदलते वक़्त के साथ अब इस गांव में भी कुछ लोग बदलना चाहते हैं और बाकी दुनिया की तरह अपने बच्चों के आम नाम रखना चाहते हैं. इस गांव की एक ख़ास बात और है कि यहां के लोग दो या तीन नहीं, बल्कि पूरे 14 भाषाओं के मिश्रण वाली बोली बोलते हैं. यह भी शायद घुमक्कड़ी का ही असर है.

अगर आपको भी कभी कर्नाटक जाने का मौका मिले, तो इस गांव में ज़रूर घूम कर आइएगा. क्या पता, इस गांव के लोगों को आप इतने पसन्द आ जाएं कि आपके ही नाम पर वो अपने बच्चे का नाम रख लें!

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