“हल्लो! आदाब! नमस्कार! रउआ पढ़त बानी ग़ज़बपोस्ट, पेस बा देस अउर दुनिया के तमाम खबर.” क्या आपको ये लाइन समझ में आई? ‘तू लगावे लू जब लिपिस्टिक, हिलेला आरा डिस्टिक’ अब ये समझ में आया? अब आप कहेंगे- अरे ये तो भोजपुरी है. जी हां! ये भोजपुरी ही है. कई विद्वानों का मानना है कि भोजपुरी दुनिया की सबसे मीठी बोली है. दुनिया की एकमात्र बोली, जिसे कई देशों में बोला जाता है. भोजपुरी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे नहीं समझने वाले भी इसकी मिठास से दूर नहीं रह पाते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, हिन्दुस्तान की 5 करोड़ और विश्व की कुल 7 करोड़ आबादी भोजपुरी बोलती है. इसका मतलब ये हुआ कि विश्व की कुल 12 करोड़ आबादी भोजपुरी बोलती है. संख्या के हिसाब से भोजपुरी विश्व की 10वीं सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. ये सुनने में थोड़ा रोचक लग सकता है. लेकिन इसके पीछे कई कहानियां भी छिपी हैं. हम आपके लिए भोजपुरी के बारे में कुछ ऐसे ही तथ्य लेकर आए हैं, जिनके बारे में जान कर आप भी हिन्दुस्तानी होने पर गर्व करेंगे.
भोजपुरी बोली से कैसे बनी?
दरअसल, बिहार के आरा जिले से भोजपुरी भाषा का विकास हुआ. मध्य काल में मध्य प्रदेश के उज्जैन से भोजवंशी परमार राजा आकर आरा में बस गए. उन्होंने अपनी इस राजधानी को अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर रखा था. इसी वजह से यहां बोले जाने वाली भाषा का नाम “भोजपुरी” पड़ गया.
हिन्दुस्तान में भोजपुरी
वैसे तो हिन्दुस्तान में भोजपुरी बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में प्रमुखता से बोली जाती है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के सभी हिस्सों में भोजपुरी बोलने वाले मिल जाएंगे.
भोजपुरी और हिन्दुस्तान
हिन्दुस्तान में भोजपुरी महज एक बोली नहीं, बल्कि एक इंडस्ट्री है. व्यवसाय, मनोरंजन और साहित्य में भोजपुरी ने पूरे हिन्दुस्तान में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है. आज भोजपुरी सिनेमा करीब 20,000 करोड़ रुपये की हो गई है. टीवी के 52 चैनल सिर्फ़ भोजपुरी के ही हैं. इस आधार पर हम कह सकते हैं कि भोजपुरी के बिना हिन्दुस्तानी बोली की कल्पना ही नहीं की जा सकती है.
अंतर्राष्ट्रीय होती भोजपुरी
विश्व में करीब 8 देश ऐसे हैं, जहां भोजपुरी धड़ल्ले से बोली जाती है और सुनी भी जाती है. ये सुनने में भले थोड़ा अजीब लगे, लेकिन ये बिल्कुल सच है. परिस्थितियों के कारण बिहार के लोगों को अन्य देशों में जाना पड़ा. ऐसे में वे वहीं के हो गए, मगर अपनी बोली को अपने साथ सदैव बनाए रखा.
नेपाल
बांग्लादेश
पाकिस्तान
फिजी
मॉरिशस
अमेरिका
त्रिनिनाद और टोबैगो
सुरीनाम
BHAI (Bhojpuri Association of India) एक ऐसी संस्था है, जो भोजपुरी के विकास के लिए प्रयासरत है.
भोजपुरी के विकास एवं बेहतरी के लिए यह संस्था हमेशा भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, फिजी, मॉरिशस, अमेरिका, त्रिनिनाद और टोबैगो तथा सुरीनाम सरकार से गुहार लगाते आ रही है.
UNESCO ने इस भाषा के विकास के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है.
अमेरिका में भोजपुरी बोलने वालों को नौकरी भी मिलेगी. ओबामा सरकार इस बात की घोषणा भी कर चुकी है.
कुछ अफ़सोस भी है
भोजपुरी विकसित होने से पहले उजड़ रही है. वैश्वीकरण के कारण फ्रेंच, जापानी, जर्मन और चीनी भाषाओं की डिमांड बढ़ रही है. लोगों को न चाहते हुए भी इधर झुकना पड़ रहा है. ऐसे में भोजपुरी जैसी बोलियों के लिए यह एक चैलेंज ही है. भोजपुरी की सबसे बड़ी दुश्मन भोजपुरी इंडस्ट्री बन चुकी है. आज कला के नाम पर फूहड़ता परोसी जा रही है. इस कारण इसे लेकर कई लोगों की रुचि खत्म हो रही है.