जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मासूम का एक मंदिर के अंदर, बेरहमी से रेप कर क़त्ल करने की घटना ने देश के कुछ लोगों को (क्योंकि हम एकजुट नहीं हो सके) झकझोर कर रख दिया है. घाटी में अपराधिक मामले ने सांप्रदायिक और राजनीतिक रंग इख़्तियार कर लिया. क्रूरता की हदें तब लांघ दी गईं, जब बार एसोशियेशन के लोग चार्जशीट दायर करने का विरोध करते नज़र आए और कुछ राजनीतिक पार्टियों के लोग भी आरोपियों के समर्थन में नज़र आए.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में विधायक पर बलात्कार का आरोप लगाया एक लड़की ने. महीनों इंतज़ार किया, शिकायत दर्ज करवाने का. पर कुछ नहीं हुआ. उसी के पिता को गिरफ़्तार कर पीट-पीटकर मार डाला गया.
इन घटनाओं का देशवासियों ने संगठित होकर विरोध नहीं किया. इसका कारण क्या है, ये आप सोचिए. कुछ हैवान तो ऐसे भी दिखे, जो सोशल मीडिया पर इन घटनाओं को सही और पीड़िता को दोषी ठहरा रहे थे. ये किस मानसिकता के लोग हैं, आप समझ ही गए होंगे.
हम एक आवाज़ बनकर सरकार पर इंसाफ़ का दबाव न बना सके लेकिन, बॉलीवुड की कई जानी-मानी हस्तियों ने आसिफ़ा को न्याय दिलाने की मांग की है और ट्वीट कर आक्रोष जताया है-
सोचिये, एक 8 साल की बच्ची के दिमाग़ में क्या चल रहा होगा जब उसे नशे की दवाई दी जा रही होगी, बांधकर रखा गया होगा, गैंगरेप किया जा रहा होगा और फिर मार दिया गया होगा.
अगर आपको इसमें से कुछ भी महसूस नहीं होता, तो आप इंसान नहीं है.
अगर आप आसिफ़ा के लिए न्याय की मांग नहीं कर सकते, तो आप कुछ भी नहीं है.
मुझे फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी, फ़र्ज़ी हिन्दुओं को देखकर शर्म आ रही है. यक़ीन नहीं होता ये हमारे देश में हो रहा है.
8 साल की एक बच्ची को बेहोशी की दवा देकर रेप किया गया और मार दिया गया. एक दूसरी लड़की न्याय के लिए लड़ रही है और उसके पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई.
हम या तो चुप रह सकते हैं या आवाज़ उठा सकते हैं.
‘चुप्पी साधकर बैठ जाने से बेहतर है, जो सही है उसके लिए खड़े होना.’
A 8 year old is drugged, raped & murdered and another one is fighting for justice for herself and the death of her father in custody.
We have a choice either raise your voice or be a silent spectator. ‘Stand up for what is right even if you are standing alone.’#Kathua #Unnao— Riteish Deshmukh (@Riteishd) April 12, 2018
जो औरतों को इंसाफ़ दिलाना चाहते हैं उन्हें एकजुट होना चाहिए और बलात्कारियों और उनका समर्थन करने वालों के खिलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए.
जम्मू-कश्मीर में 8 साल की बच्ची का रेप हो जाता है. एक 18 साल की लड़की का रेप किया जाता है और विरोध करने वाले पिता को पीट-पीटकर मार दिया जाता है और आरोपी की रक्षा की जाती है. ये देश कहां जा रहा है? बदलाव से पहले कितनी ‘निर्भयाओं’ की बलि देनी होगी? एक देश जो अपनी औरतों की सुरक्षा नहीं कर सकता उसे इलाज की ज़रूरत है.
8 साल की बच्ची के रेप/हत्या को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता. गौ-हत्या को कारण बताने की हिम्मत कैसे कर सकते हो, जब रेप मंदिर में किया गया? ये लोग फ़र्ज़ी हिन्दू हैं. धर्म के नाम पर काले धब्बे.
प्रिय नेतागणों,
क्या आप लोग अपनी नीच मानसकिता को साइड करके एक बच्ची का दर्द नहीं देख सकते? शायद नहीं, क्योंकि आप सब इस देश के हक़दार नहीं हैं.
8 साल की बच्ची के रेप और हत्या पर राजनीति बंद कीजिये. बच्ची किस धर्म से या किस क्षेत्र से थी ये मायने नहीं रखता! सच यही है कि उसके साथ ग़लत हुआ है और कोई भी वजह अपराधियों के कृत्य को सही नहीं ठहरा सकती.
उन्नाव और कठुआ के बारे में पढ़कर बहुत तकलीफ़ पहुंची है. सरकार का इस पर क्या रवैया होगा ये असली टेस्ट है. अगर कोई एक्शन नहीं लिया जाता तो कम से कम मैं तो उन्हें वोट नहीं करूंगी.
रेणुका शहाणे ने विरोध में फ़ेसबुक पर पोस्ट लिखा-