इस कॉलमनिस्ट के अनुसार, मोदी सरकार का अगला बड़ा कदम ‘इंडिया’ का नाम ’हिन्दुस्तान’ करना हो सकता है

Pratyush

क्या मोदी सरकार का अगला बड़ा कदम भारत का औपचारिक नाम इंडिया से ‘हिन्दुस्तान’ करना हो सकता है? ये महज अटकलें नहीं हैं, Mid Day के वरिष्ठ कॉलमनिस्ट आदित्य सिन्हा ने बड़ी तर्कशीलता के साथ अपनी बात रखी है.

आदित्य के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक और सहयोगी एक प्रमुख बदलाव के लिए कार्य कर रहे हैं, जो संघ की भी इच्छा है. ये बदलाव इंडिया का नाम ‘हिन्दुस्तान’ होना है. ये बात पहली बार साल 1921 में हिन्दू महासभा के अध्यक्ष वीर सावरकर द्वारा कुछ पैम्फलेट में छपवाई गई थी, जिसका शीर्षक था ‘हिंदुत्व के लिए अनिवार्य’. हिंदुत्व नाम वीर ने ही दिया था. वीर, संघ और कई हिन्दू संगठनों के लिए प्रेरणा हैं. यही वो वक़्त था जब ‘हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान’ स्लोगन आया था. वीर ने शेक्सपियर की कहावत ‘नाम में क्या रखा है’ का भी विरोध भारत के नाम के लिए किया. वीर का कहना था कि इंडिया को सिन्धु की भूमि के नाम से भी जाना जाता है. (काफ़ी फ़रसी और विदेशी लोग ‘स’ को ‘ह’ कहते थे, जिसके कारण सिन्धु, हिन्दू हो गया था.) वीर चाहते थे कि वही पहचान दोबारा देश को मिल जाए. इसके अलावा हिन्दुस्तान शब्द का मतलब हिन्दू + स्थान है, यानि वो जगह जहां हिन्दू रहते हैं. इन दोनों केस से वीर सावरकर ने दुनिया को अखंड भारत का सपना दिखा दिया और अपनी राजनितिक मंशा भी पूरी कर ली.

हिन्दुत्व के अनुसार, अखण्ड भारत प्रोजेक्ट की शरुआत राम युग में हुई थी और श्री राम की लंका पर जीत हासिल करने के बाद वो समाप्त हो गया था. ये कहा गया है कि ये प्रोजेक्ट अयोध्या प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसके पहले भाग में हिन्दुत्व के नाम पर बाबरी मस्जिद का विध्वंस होना था. इससे हिन्दुत्व की राजनीति दोबारा जागेगी और उन रिवायतों को सुधारा जाएगा, जो 800 साल पहले थोपी गई थी.

क्या नाम बदलना इतना आसान है?

किसी देश का नाम बदलना इतना आसान नहीं है. ये तो वहां संभव है, जहां सैन्य तानाशाही चलती है, जैसे बर्मा, म्यांमार बना था. या जब उनका राजनैतिक जन्म होता है, जैसे पाकिस्तान से अलग ,होने के बाद बांग्लादेश हुआ. इंडिया का नाम बदलने के लिए संविधान में संशोधन की ज़रूरत होगी, जिसके लिए संसद में दो तिहाई बहुतमत की ज़रूरत पड़ेगी. ‘भारतीय संविधान’ में स्पष्ट लिखा है ‘इंडिया, जो कि भारत है’. संसद में दो तिहाई बहुमत के अलावा दो तिहाई राज्यों से भी मंज़ूरी लेनी पड़ेगी. मौजूदा स्थिती में मोदी की मज़बूत छवि सरकार में बनी है. सरकार ने GST बिल पास कर के अपनी शक्ति दिखा दी है.

यूपी में बीजेपी की जीत ने सबको चौका दिया. आदित्य का कहना है कि अर्नब का चैनल ‘Republic’ मोदी सरकार का अनऔपचारिक स्पीकर है, जिसके कारण बाकी सभी चैनल्स की रेटिंग गिर गई है. विपक्ष कुछ भी सवाल उठाने से डर रहा है कि कहीं उसकी वजह से उन्हें जेल न जाना पड़े. आप ये देख सकते हैं कि अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संयुक्त उम्मीदवार का प्रस्ताव देने में कितना वक़्त लग रहा है. कईयों ने तो इस्तीफ़ा दे दिया है ताकि मोदी का उम्मीदवार जीत सके.

अगर नोटबंदी के आधिकारिक आंकड़े देखे जाएं तो वित्तीय वर्ष 2016-17 के आखिरी तिमाही में GDP 2 प्रतिशत से नीचे गया है, जो​ कि प्रर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहले ही आंक लिया था. लेकिन भारतीय लोगों के अनुसार, ये मोदी का भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक कड़ा कदम था. कालेधन का कोई हिसाब नहीं बताया गया क्योंकि वो न के बराबर पकड़ा गया है. इससे अमीरों पर कोई असर नहीं हुआ बल्कि गरीब ही परेशान हुआ है. कश्मीर में ​मध्यवर्गी वोटर राजनैतिक दबाव के कारण इनके साथ है. असहमति के लिए कोई जगह नहीं है इस सरकार में.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि नाम बदलने का काम चल रहा है. अगर ये होता है तो नोटबंदी की तरह लोगों के जीवन में कोई खास फ़र्क नहीं आएगा. इससे सिर्फ़ कुछ वोटर्स को लगेगा कि हिन्दुस्तान और प्रबल हो रहा है. 

Source- Mid Day

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