सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला, MIG-21 हादसे में घायल पायलट को मुआवज़े में मिलेंगे 55 लाख रुपये

Jayant

भारतीय वायु सेना के लिए सिर का दर्द बन चुके MIG-21 ने कई पायलेट्स की जान ली है. तकनीकी तौर पर ही ख़राब, इन फ़ाइटर प्लेंस को सुधारने के कई प्रयास किए गए, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. हर साल कई पायलेट्स अपनी जान गंवा देते हैं.

vishwagujarat

साल 2005 में MIG क्रैश के कारण घायल हुए Wing Commander Sanjeet Singh Kaila को दिल्ली कोर्ट ने अपने फ़ैसले से सम्मानित किया है. Justices S Ravindra Bhat और Deepa Sharma ने सरकार और Hindustan Aeronautics Limited को 55 लाख रुपये अदा करने का आदेश दिया है. सरकार 5 लाख और फ़ाइटर प्लेन की देख-रेख करने वाली कंपनी Hindustan Aeronautics Limited को 50 लाख रुपये Wing Commander Sanjeet Singh Kaila को देने को कहा है.

ndtv

ये सिर्फ़ एक फ़ैसला है, इस जहाज़ के कारण आज तक जितने लोगों की जान गयी है, उनके लिए भी कोर्ट को कुछ करना चाहिए. एक आंकड़े के हिसाब से भारतीय वायु सेना ने अपने आधे से ज़्यादा MIG 21 को क्रैश में खो दिया है. एक वक़्त इन फ़ाइटर प्लेन्स की संख्या 872 हुआ करती थी, लेकिन अब वो घट कर 400 के आस-पास रह गई है.

ibtimes

इन दुर्घटनाओं में ज़्यादातर पायलेट्स ने अपनी जान तक गंवा दी है. कई बार ये प्लेन रिहायशी इलाके में गिरे और वहां भी जान-माल का नुकसान हुआ.

एक आंकड़े के हिसाब से इन दुर्घटनाओं में 200 से ज़्यादा पायलेट्स, 30 से ज़्यादा आम लोग और 8 दूसरी सर्विसेज़ के लोगों की जान गई है.

indianexpress

घायल होने वाले पायलेट्स और आम लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा है. इन दुर्घटनाओं में कई प्रतिभावान सीनियर और जूनियर पायलेट्स को खोया है भारतीय वायु सेना ने और सबसे अजीब बात ये रही कि ज़्यादातर पायलेट्स को ही दोषी बताया गया.

लेकिन बढ़ते हादसों से साफ़ हो गया था कि ये प्लेन नहीं, बल्कि उड़ती मौत है. बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण कुछ वक़्त के लिए इन्हें उड़ाने पर रोक लगी और फिर थोड़े समय बाद इन प्लेन को सही बताया जाने लगा.

ibtimes

लेकिन कुछ दिनों बाद ही फिर से ये प्लेन क्रैश होने लगे और एक बार फिर MIG-21 कई मौतों का ज़िम्मेदार बना, पर आज भी भारतीय वायु सेना में ये प्लेन्स सक्रिय हैं. करीब 50 साल से ज़्यादा भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहे इन प्लेन्स के बारे में अब सरकार ने फ़ैसला लिया है. साल 2019 तक इन प्लेन्स की पूरी तरह से सेवाएं लेना बंद कर दिया जाएगा.

इसमें अभी भी एक साल से ज़्यादा का वक़्त है. इस दौरान भी हादसे हो सकते हैं. भारतीय सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इस पर भी कुछ कड़े फ़ैसले लेने पड़ेंगे, तभी शायद बचे दिनों में किसी हादसे को टाला जा सकेगा. 

आपको ये भी पसंद आएगा
बेवफ़ा समोसे वाला: प्यार में धोखा मिला तो खोल ली दुकान, धोखा खाये लवर्स को देता है डिस्काउंट
जानिये दिल्ली, नई दिल्ली और दिल्ली-NCR में क्या अंतर है, अधिकतर लोगों को ये नहीं मालूम होगा
जानिए भारत की ये 8 प्रमुख ख़ुफ़िया और सुरक्षा जांच एजेंसियां क्या काम और कैसे काम करती हैं
मिलिए गनौरी पासवान से, जिन्होंने छेनी व हथोड़े से 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां
ये IPS ऑफ़िसर बेड़िया जनजाति का शोषण देख ना पाए, देखिए अब कैसे संवार रहे हैं उन लोगों का जीवन
अजय बंगा से लेकर इंदिरा नूई तक, CEO भाई बहनों की वो जोड़ी जो IIM और IIT से पास-आउट हैं