क्या आपको पता है कि Weed भारत में 1985 तक क़ानूनी था? आइए, जानते हैं ऐसा क्या हुआ कि ये बैन हो गया

Ishi Kanodiya

भारत में कई चीज़ों का सेवन करना गैरक़ानूनी है मगर फिर भी लोग उसका सेवन करते आए दिन दिख ही जाते हैं. एक ऐसी ही चीज़ जो अक्सर पार्टियों और आए दिन बहस का हिस्सा रहती है वो है Weed, गांजा या कुछ लोग उसे पॉट भी कहते हैं. एक समय पर भारत में इसका सेवन करना क़ानूनी था. आज हम इस पर ही बात करेंगे मगर उससे पहले कुछ बेसिक चीज़ों को जान लेते हैं.

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आइए, पहले आपको बताते हैं की Weed होता क्या है ?  

इसका सइंटिफ़िक नाम Cannabis sativa है, एक पौधा जिसकी सूखी पत्तियों का उपयोग Marijuana बनाने में किया जाता है. Marijuana को बोल-चाल की भाषा में लोग माल, गांजा और पॉट भी बोलते हैं. इस ही पौधे से हैश और भांग भी बनती है.  

इसके साथ ही आपको बता दूं की भारत में 1985 तक Weed क़ानूनी था.  

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अब आपके मन में काफ़ी सारे सवाल होंगे की भांग कैसे ग़ैर क़ानूनी नहीं है ? और भारत में Marijuana बैन क्यों हुआ? आइए आपके इन सवालों का जवाब देते हैं.   

1. भांग और भारत का नाता वैदिक युग से चला आ रहा है. 1000 ईसा पूर्व (1000 BCE) से ही भांग हमसे जुड़ा हुआ है. यहां तक कि अथर्व वेद कहता है कि पांच सबसे पवित्र पौधों में से एक कैनाबिस सैटिवा(Cannabis Sativa) है. यह भारतीय आयुर्वेदिक उद्योग की रीढ़ थी और इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा के पेनिसिलिन के रूप में भी जाना जाता था.  

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2. जब पुर्तगाली और ब्रिटिश भारत आए, तो उन्होंने भारत में Cannabis का एक बड़ा व्यापार और उपभोग पैटर्न देखने को मिला जिसके बाद उन्होंने इस पर टैक्स लगा दिया.

3. पहली बार ब्रिटिश राज के अंदर ही साल 1838, 1871, 1877 और आगे कई सालों तक Cannabis को ग़ैर क़ानूनी करने की बात चली थी.

4. 1960 के दौरान Cannabis को ग़ैर क़ानूनी करने की मांग जोरों पर थी. अमेरिकी मीडिया और सरकार बड़े ज़ोर-शोर से Marijuana और बाक़ी ड्रग्स को विश्व स्तर पर बैन करवाने की मुहिम चला रही थी. जिसके बाद, 1961 में ‘Single Convention on Narcotic Drugs’ नाम की एक अंतर्राष्ट्रीय संधि पास हुई जिसके अंतर्गत सभी देशों को अपना मत देना था की Marijuana एक ख़तरनाक ड्रग के अंतर्गत आता है.  

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5. जिसके बाद भारत ने ये बात रखी की वो गांजा (Marijuana) को बैन कर देगा लेकिन भांग से उनका धार्मिक संबंध है इसलिए उसको बैन नहीं किया जाएगा. 

 6. 1985 में भारत आख़िरकार दबाव में आ गया और राजीव गांधी की सरकार ने Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act पास कर गांजा या चरस को ग़ैर क़ानूनी घोषित कर दिया. वहीं, भांग की बिक्री को राज्यों पर छोड़ दिया.   

उम्मीद है, आपको अपने सारे सवालों के जवाब मिल गए होंगे.  

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